जून | 01, 2017 :: नरगिस भारतीय हिंदी फिल्मों की एक खूबसूरत अदाकारा थी। उन्होंने कई हिट फिल्मे दी तथा अनेक राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किये। अपने उल्लेखनीय कार्य के लिए उन्हें पद्मश्री से नवाजा जा चुका है। श्री 420 और मदर इंडिया उनकी सफलतम फ़िल्में रही है। मदर इंडिया फिल्म ऑस्कर के लिए नामित हुई थी।
नरगिस दत्त का जन्म फातिमा अब्दुल रशीद के रूप में 1 जून, 1929 को कलकत्ता में हुआ था। नरगिस के पिता उत्तमचंद मूलचंद एवं माता जद्दनबाई, एक हिंदुस्तानी क्लासिकल गायिका थी तथा दो भाई, अख्तर व अनवर हुसैन थे। नरगिस की माता भारतीय सिनेमा से सक्रियता से जुडी हुई थी। वह गायक, नर्तक, निर्देशक, संगीतकार और अभिनेत्री के रूप में एक हरफनमौला थी। उनकी प्रिय पुत्री नरगिस ने भारतीय फिल्मों में बहुत कम उम्र (6 वर्ष) में प्रवेश कर लिया था। उनकी पदार्पण फिल्म थी तलाश-ए-हक़ जो 1935 में रिलीज हुई थी।
मदर इण्डिया की शूटिंग के दौरान सुनील दत्त ने उनके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा जिसे उन्होंने सहज स्वीकार का लिया था। 11 मार्च 1958 को नरगिस ने सुनील दत्त से विवाह कर लिया और फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा कह दिया। सुनील दत्त एक मशहूर फिल्म अभिनेता थे। उनके तीन बच्चे हुए, संजय, अंजू और प्रिया। वर्तमान में संजय दत्त फिल्म कलाकार है तथा प्रिया दत्त राजनीती से जुडी हुई है।
60 के दशक में वह फिल्मों में यदा-कदा फिर नजर आई। इस काल की कुछ फिल्मों में एक थी ‘रात और दिन’ (1967), जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए नेशनल फिल्म फेयर अवार्ड प्राप्त हुआ। 3 मई, 1981 को 51 वर्ष की उम्र में पेंक्रियाटिक कैंसर से नरगिस का देहांत हो गया। उनकी याद में नरगिस दत्त मेमोरियल कैंसर फाउंडेसन की स्थापना हुई।
1935 में जब नरगिस महज पांच बरस की थी मां जद्दनबाई ने अपनी फिल्म ‘तलाश-ए-हक़’ में उनसे काम करवाया। इसी फिल्म से उनका नाम बेबी नरगिस पड़ा था। चौदह वर्ष की उम्र में निर्देशक महबूब खान की फिल्म ‘तक़दीर’ में मोतीलाल की हीरोइन के तौर पर उनका पहला ऑडीशन हुआ था।
नरगिस एक अभिनेत्री से ज्यादा एक समाज सेविका रही है। उन्होंने नेत्रहीन और विशेष बच्चों के लिए काम किया था। वे भारत की पहली स्पास्टिक्स सोसाइटी की पेट्रन बनी थी। उन्होंने अजंता कला सांस्कृतिक दल बनाया जिसमें तब के नामी कलाकार-गायक सरहदों पर जा कर तैनात सैनिकों का हौसला बढ़ाते थे, उनका मनोरंजन करते थे। बांग्लादेश बनने के बाद 1971 में उनका दल पहला था जिसने वहां कार्य किया था।
नरगिस पहली अभिनेत्री थी जिसे पद्मश्री दिया गया। सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री की श्रेणी में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार पाने वालों में भी वह प्रथम अभिनेत्री थी। मुंबई में बांद्रा में उनके नाम पर सड़क है। हर साल हो रहे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में राष्ट्रीय एकता पर बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्म को नरगिस दत्त अवॉर्ड दिया जाता है।
मदर इंडिया, अंदाज़, अनहोनी, जोगन, आवारा, रात और दिन, अदालत, घर संसार, लाजवंती, परदेशी, चोरी चोरी, जागते रहो, श्री 420, अंगारे, आह, धून, पापी, शिकस्त, अम्बर, अनहोनी, आशियाना, बेवफा, शीशा, दीदार, हलचल, प्यार की बातें, सागर, आधी रात, बाबुल आदि फिल्मों में तो एेसी अदाकारी की, जो कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है।
आलेख: कयूम खान, लोहरदगा।