Give your willpower a new dimension : guriya jha
आलेख़

अपनी इच्छाशक्ति को दें नया आयाम : गुड़िया झा

रांची, झारखण्ड | अप्रैल | 07, 2020 :: कई बार जब हम अपनी योग्यता और क्षमता के अनुसार किसी कार्य को अपने हाथ में लेते हैं, तो असफताओं का डर हमेशा मन में बना रहता है।
इसके विपरीत यदि हम असफताओं के बावजूद भी पूरे जोश के साथ अपने काम में लगे रहें तो निश्चित ही हमें सफलता मिलेगी। इससे हमारी संकल्पशक्ति और भी मजबूत होती जाएगी तथा ईश्वर में हमारा विश्वास भी गहरा होता जायेगा।

जैसा कि पुस्तक ‘जन्मजात विजेता’ में श्री नवीन चौधरी ने और भी सुंदर तरीके से इसका वर्णन किया है कि अगर हम अपनी इच्छाशक्ति को जानते हैं और उसे परमात्मा के साथ जोड़ते हैं, तो हमारे रास्ते में आने वाली चुनौतियों और कठिनाइयों के बावजूद हमारी इच्छाशक्ति मजबूत और ऊर्जावान बनी रहती है।
उन्होंने महात्मा गांधी का सुंदर सा उदाहरण देते हुए कहा कि उनकी संकल्पशक्ति बहुत अच्छी थी और उन्होंने साधना के रूप में दो प्रमुख औजार ‘सत्य और अहिंसा’ को लागू करके भारत को आजाद कराया।

उन्होंने “सत्य” और “अहिंसा” के साथ कभी समझौता नहीं किया। लोगों को शक था कि क्या इन रास्तों पर चल कर ब्रिटिश शासकों से लड़ने में मदद मिलेगी, जो उस समय के सबसे घातक हथियारों से लैस थे।

लेकिन अंत में अंग्रेजों को गांधी जी के संकल्प के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा और भारत को आजादी मिली।

1, सही रास्ता चुनें।
अपनी अपनी मंजिल तक तो सभी पहुंचना चाहते हैं। लेकिन मंजिल तक पहुंचने के लिए सही रास्तों का होना भी बहुत जरूरी है।
जब हम पूरी ईमानदारी के साथ सही रास्तों का चुनाव कर उस तरफ अपने कदम आगे बढ़ाते हैं, तो मंजिल भी अपने करीब दिखाई देती है।
सच्चाई के रास्ते पर चलते हुए मिली सफलता की उम्र भी काफी लंबी होती है।

2, अपने कार्य पर ध्यान केंद्रित करें।
अपने कार्य में लगातार लगे रहने से उस कार्य के प्रति हमारी दिलचस्पी और भी बढ़ती जाती है।
जब हम पूरी ईमानदारी और निष्ठा से लगे रहते हैं, तो असफल होने का डर भी हमें नहीं सताता है।
हमारी संकल्पशक्ति ज्यादा मजबूत होती है तथा उसका फल भी हमें अच्छा मिलता है।
पैसा कमाना हमारी इच्छा हो सकती है।
लेकिन पैसा प्राप्ति के बाद हम कौन सा अच्छा काम करेंगे, इस पर विचार करेंगे, तो हमें पैसा कमाने में होने वाले परिश्रम और कष्ट भी सहज लगेंगे।

अच्छा काम सिर्फ दिखावे के लिए नहीं, बल्कि अंतरात्मा से होनी चाहिए। दिखावा हमें अपने में बदलाव लाने नहीं देगा और इच्छा शक्ति को दैवीय गुणों के साथ जोड़ने नहीं देगा।

Leave a Reply