Fourth Foundation Day of ICAR - Indian Institute of Agricultural Biotechnology
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आईसीएआर-भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान का चतुर्थ स्थापना दिवस

Fourth Foundation Day of ICAR - Indian Institute of Agricultural Biotechnology

रांची, झारखण्ड । अगस्त | 25, 2017 :: आईसीएआर-आईआईएबी ने अपने चतुर्थ स्थापना दिवस पलाश सभागार, आईसीएआर-आईआईएनआरजी, नामकुम, रांची में आयोजित किया । इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में बीएयू रांची के प्रख्यात वैज्ञानिक एबं उप-कुलपति, डॉ परविंदर कौशल उपस्तिथ थे। “स्थापना दिवस व्याख्यान” जेएनयू, नई दिल्ली के प्रो. अश्विनी पारीक द्वारा दिया गया।
इस कार्यक्रम में रांची स्थित विभिन्न संस्थानों और विश्वविद्यालयों जैसे आईसीएआर-आईआईएनआरजी, बीएयू, आईसीएआर-आरसी के लिए पूर्वी क्षेत्र, आईएफपी, बीआईटी, सीएयू, रांची विश्वविद्यालय, केवीके आदि के वैज्ञानिक उपस्थित थे।
कार्यक्रम के आरम्भ में, आईसीएआर-आईआईएबी, रांची के निदेशक डॉ टी.आर. शर्मा ने सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया एबं संस्थान के द्वारा संचालित अनुसन्धानं और विकास कार्यो के सम्बन्ध में अबगत कराया। उन्होंने रांची में गढ़खतंगा स्थित मुख्य परिसर में चल रहे बुनियादी ढांचागत विकास गतिविधियों का भी विवरण दिया।

इस अबसर पर डॉ परविंदर कौशल ने आईसीएआर-आईआईएबी की संकायों को बधाई दी और “स्थान विशेष उच्च पौष्टिक फसल ” के विकास में इस संस्थान की भूमिका पर बल दिया । उन्होंने झारखंड राज्य में फसल उत्पादकता को बढ़ाने के लिए की विशेष आवश्यकता को पूरा करने के लिए फसल उत्पादकता को बढ़ाने के लिए विभिन संस्थाओं के सम्मलित अनुसंधान कार्यों की आवश्यकता पर जोर दिया ।

आईसीएआर-आईआईएनआरजी के निदेशक डा. के.के. शर्मा सम्मानित अतिथि रूप में उपस्थित थे। उन्होंने बढ़ती आबादी के लिए गुणवत्ता वाले अनाज की मांग को पूरा करने के हेतु आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी तकनीक की उपयोगिता पर बल दिया ताकि लिए तथा वर्तमान परिपेछ्य में उच्च पोषक तत्त्व वाले क़िस्मों के विकास में आईसीएआर-आईआईएबी की होने वाली अहम् भूमिका को चिन्हित किया। उन्होंने पूर्वी भारत में हरित क्रांति लाने के लिए आईसीएआर-आईआईएबी की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया है।

आईसीएआर-आरसी पूर्वी क्षेत्र, रांची के प्रमुख डॉ ए.के. सिंह ने इस अवसर पर आईसीएआर- आईआईएबी के वैज्ञानिको को बधाई दी और बागवानी फसलों में सहयोगी कार्यों का संस्थान के सहयोग की अपेछा जताई।

“कृषि-जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से खाद्य और पोषण सुरक्षा” पर अपने स्थापना दिवस व्याख्यान के दौरान डॉ. अश्विनी पारीक ने अनुसंधान कार्य में फसलों के विकास स्वरूप को समझने के साथ ही फसलों में उपस्थित प्राकृतिक विविधता के उपयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह संस्थान दक्षिण एशिया में जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान कार्य के लिए एक प्रमुख संस्थान के रूप में विकसित होगा।

कार्यक्रम के अंत में, डॉ. वी.पी. भादान, प्रधान वैज्ञानिक ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया

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