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पांच दिवसीय श्री हरि कथा के प्रथम दिन कार्यक्रम का शुभारंभ वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ दीप प्रज्वलित कर किया गया

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के तत्वाधान में सत्संग भवन, माता वैष्णो देवी नगर फेज दो, पुनदाग टीओपी के पास दिनांक 19 दिसंबर से 23 दिसंबर तक दोपहर 2:00 से 5:00 तक आयोजित पांच दिवसीय श्री हरि कथा के प्रथम दिन कार्यक्रम का शुभारंभ वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ दीप प्रज्वलित कर किया गया इस अवसर पर श्री सुरेश कुमार पूर्व न्यायाधीश श्री विकास साहदेव, प्रोपराइटर एक्वा सेफ आदि ने दीप प्रज्वलन को संपन्न किया। कार्यक्रम में श्री गुरु आशुतोष महाराज जी के शिष्या साध्वी शितली भारती जी ने कहा भारत भूमि को यह अनुपम सौभाग्य प्राप्त रहा है कि इस भूमि पर अनंत काल से ऋषि, मुनि, संत और भक्त ज्ञान और भक्ति की गंगा बहाते रहे हैं। ऐसे ही महान विभूति में नाम आता है हनुमान जी का। हनुमंत जी जिनके प्रेम और सेवा का वर्णन स्वयं राघवेंद्र अपने मुख से बार-बार करते हैं। हनुमंत जी श्रीराम के अमोघ बाण बन गए थे। जिस भी लक्ष्य का भेदन करने हेतु श्रीराम ने उन्हें भेजा हनुमंत जी उसे भेद करके ही वापस आए। हनुमंत जी जब मां सीता की खोज में निकले तो मार्ग में कई बाधाएं आई लेकिन वह बाधाएं उनका मार्ग रोक नहीं पाई क्योंकि जब जीवन में लक्ष्य को पाने का उत्साह, उमंग और जोश होता है तब इंसान सभी बाधाओं को चीरते हुए आगे निकल जाता है। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी अक्सर अपने भक्तों को समझाते हुए कहते रहे हैं की बाधाएं कब बांध सकीं है आगे बढ़ने वालों को, विपदाएं कब मार सकी है मर कर जीने वालों को।। जब मन में लक्ष्य को पाने के लिए इंसान चलता है तो अवश्य मंजिल पाता है क्योंकि चलने वाला मंजिल पाता है और बैठा पीछे रह जाता है। आप देखें वायु, रक्त हमेशा चलाएं मान होता है। बहते नदी के जल से आचमन होता है बहते नदी के जल से अभिषेक होता है लेकिन तालाब के ठहरे पानी से ना तो आचमन होता है और ना ही अभिषेक अतः भक्त हनुमान जी का जीवन चरित्र हमें हर परिस्थिति में चलने की प्रेरणा देता है
श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी यादवेंद्रानंद जी ने कहा की हनुमंत जी को ठगने के लिए कालनेमि संत का वेश बनाकर आया और कहा कि हनुमंत मैं सब कुछ जानता हूं तुम लखन के लिए संजीवनी बूटी लाने जा रहे हो लेकिन तुम मेरी शरण में आ जाओ मैं ऐसा मंत्र दूंगा कि तुम पल में वहां पहुंच जाओगे जहां तुझे जाना है लेकिन हनुमंत जी प्रभु राम की कृपा से बच गए आज भी समाज में ढोंगी संत कालनेमि की तरह तथाकथित संत का वेश धारण कर लोगों की श्रद्धा को ठगने के लिए कई चमत्कार करके दिखाते हैं लेकिन संत की पहचान कोई बाहरी चमत्कार नहीं होता संत की पहचान ब्रह्म ज्ञान होता है जिस ज्ञान के द्वारा अंतर्गत में ईश्वर का दर्शन प्राप्त होता है कार्यक्रम में भारी संख्या में श्रद्धालु भक्तों ने भाग लिया। कार्यक्रम का समापन से पूर्व आरती में श्री मनोज कुमार श्री भैरव सिंह श्री सुरेश राय पूर्व न्यायाधीश श्री शंकर केसरी श्रीमती गीता देवी सरोज तिवारी विंध्याचल दुबे बीएन राय नीलम श्रीवास्तव बी पोद्दार आदि ने भाग लिया

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