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इंसान आज सत्संग का महत्व ही नहीं समझ पाया है :: साध्वी शीतली भारती

राची, झारखण्ड  | दिसम्बर  | 20, 2022 :: आज दिनांक 20 दिसंबर 2022 को दिव्य ज्योति जागृति संस्थान, सत्संग भवन, माता वैष्णो देवी नगर फेज- 2 पुनदाग टीओपी के पास आयोजित पांच दिवसीय हरि कथा के द्वितीय दिवस दिव्य गुरु श्री आशुतोष जी महाराज जी की शिष्या साध्वी शीतली भारती जी ने कहा कि राजा परीक्षित जी ने 7 दिन की श्रीमद् भागवत कथा सुनकर अपने जीवन में कल्याण प्राप्त कर लिया लेकिन आज देखा जाए तो जगह जगह कथा व सत्संग प्रवचन आदि अनेकों आध्यात्मिक कार्यक्रम हो रहा है लेकिन जीवन का कल्याण तो दूर की बात है आज समाज में ना कोई बदलाव है ना ही कोई परिवर्तन अपितु अनाचार दुराचार और व्यभिचार बढ़ता ही जा रहा है क्योंकि सही मायने में इंसान आज सत्संग का महत्व ही नहीं समझ पाया है। उसे यही नहीं पता कि वास्तव में सत्संग क्या होता है, जबकि हमारे संतो ने कहा है सत्संग की महिमा से काक भी कोयल बन जाया करता है परंतु आज देखा जाए तो सत्संग जगह-जगह होने के बावजूद भी मानव के स्वभाव में कोई परिवर्तन नहीं हो रहा है। हम सभी जानते हैं की इतिहास के अंदर ऐसे अनेकों उदाहरण है जैसे उंगली माल डाकू, सदना कसाई, गणिका वेश्या, अम्रपाली वेश्या आदि के जीवन में परिवर्तन सत्संग से ही हुआ है। सही मायने में सत्संग के अर्थ को जानकर उन्होंने अपने जीवन को सफल बना लिया था सत्संग 2 शब्द के मेल से बना है सत् + संग।सत्य तो केवल ईश्वर है। भगवान शिव भी कहते हैं।
“उमा कहूं मैं अनुभव अपना;
सत्य हरि भजन जगत् सब सपना”।
सत्य केवल वह परमात्मा है, वह दर्शन है जगत और संसार तो मिथ्या एवं नश्वर है। आज इस हरि कथा के माध्यम से दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के द्वारा इसी सत्य को समझाने का प्रयास किया जा रहा है अगर आप अपने जीवन में परिवर्तन एवं कल्याण चाहते हैं तो आप जीवन में उस सत्संग क अपने घट के अंदर प्राप्त करें जो कि सिर्फ और सिर्फ पूर्ण सद्गुरु के द्वारा ही संभव है। पूर्ण संत व सद्गुरु की यही पहचान है कि वह उस सत्य को आपके घर के अंदर प्रकट कर दें, आत्मा और परमात्मा का मिलन करा दे। शास्त्रों में लिखा गया है
“अखंड मंडलाकाराम व्याप्तम ये न चराचरम् ; तत्पद्म दर्शीतम् येन तस्मै श्री गुरुवे नमः। कार्यक्रम का शुभारंभ उपस्थित गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया एवं समापन आरती के उपरांत हुआ इस अवसर पर मुख्य रुप से श्री घनश्याम पांडे श्री दीपक झा श्री सतीश गुप्ता श्री आर एस पोद्दार श्री प्रेम शंकर प्रेमीश्रीमती पूनम देवी श्रीमती पिंकी देवी श्रीमती नीतू देवी श्रीमती कंचन देवी आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे

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