आलेख़

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थता नमस्तस्ये नमो नमः

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थता नमस्तस्ये नमो नमः

विषय :‐- ” बेटी बचाओ बेटी पढाओ”
कुछ पंक्तियाँ अपने समाज और अभिभावकों के लिए

सारा आसमां हमारा है…….
मत रोक हमें, मत टोक हमें,
मत कतरों हमारे पर को,
उड़ने दो खुले आसमां में!
कर विश्वास हम पर, हर क्षेत्र में
आगे बढ़ने दो!
कर विश्वास हमारे संस्कारों और कर्तव्यों पर, परिवार और समाज के सोच को परिवर्तित करने दो!
अपने संकीर्ण रीति रिवाजों से,
पैरों में जंजीर नहीं, कदमों में आगे बढ़ने की रफ्तार भरने दो!
मत कतरो हमारे पर को,
खुले आसमां में उड़ने दो…
हम कोई गीली मिट्टी की बर्तन नहीं,
ईश्वर भी किसी खाश मकशद से बनाया है हमें!
हम पर अपने रूढ़िवादी विचारों को लाद कर जंजीरों में जकड़ों नहीं!
क्यूँ मांगू हर बार न्याय ,क्यूँ अपने हक के लिए लडू,
कर लो दृढ़ विशवास हमारे पंखों पर,
कुछ नया समाज में करने दो!
चल पड़ी है बदलाव की लहर,
हर किसी को हमारी ताकत और कर्मठता का ज्ञान हो गया है
क्योंकि हमने थल पर ही नहीं, नभ और जल पर भी अपना स्थान बना लिया है!
हम दूसरों के सहारे नहीं, स्वयं के सहारे चलाते हैं सबको!
हम अबला नहीं सबला बन, सबकी प्रेरणाश्रोत बन गए हैं
जरूरत है हमारे हौसलों को प्रोत्साहित करने की, हमसे सीख
अपने लड़कों को सिखाने की!
असफलता से हताश न हो, उनका सामना कर जीवन में आगे बढ़ने की!
जब भी हम बढ़ते हैं अपनी मंजिल की ओर, सूरज, चाँद, सितारें खुली बाहों से
स्वागत करते हैं, चिड़ियाँ भी मुस्कुरा कर बना देती हैं रास्ता!क्योंकि हम कमजोर नहीं , राष्ट्र के भविष्य की जननी हैं!
हैं कर्मठ, संस्कारी, हिम्मतवाली
हमारा सहयोग, सम्मान करो!
हमारे पर को कतरो नहीं, खुले आसमां में उड़ने दो!
अब ये जमी ही नहीं सारा आसमां हमारा है, सारा आसमां हमारा है….!

अर्पणा सिंह

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