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प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों के लिए सम्मान समारोह का आयोजन

रांची, झारखण्ड  | सितम्बर  | 11, 2021 :: अलग झारखंड राज्य गठन के बाद पहली बार आज प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों के लिए ऐतिहासिक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। राज्य में शिक्षकों के लिए आयोजित सबसे बड़े सम्मान समारोह में झारखंड के विभिन्न हिस्सों से आए लगभग 700 से अधिक शिक्षकों को सम्मानित किया गया। प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन पासवा एवं एनएसएस राँची वि.वि.की ओर से आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में राज्य के वित्त तथा खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ,पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमायल अहमद और 10 राज्यों से आए पासवा के प्रतिनिधि और पासवा के प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे, उपाध्यक्ष लाल किशोर नाथ शाहदेव और महासचिव डॉ राजेश गुप्ता छोटू,अरविन्द कुमार, नीरज कुमार, डा.सुषमा केरकेट्टा, संजय कुमार, आलोक बिपीन टोप्पो,मोजाहिद आलम,राशीद इकबाल एवं निजी स्कूलों के शिक्षक उपस्थित थे।समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में पासवा ओडिशा की चेयरमैन चिदातमका खुटुआ,दिल्ली के पासवा महासचिव प्रियंका वर्मा, पश्चिम बंगाल की अध्यक्ष मसुदा याशमीन के अलावा तमिलनाडु के चेयरमैन बेलाल नट्टर, उत्तर प्रदेश की चेयरमैन पूनम वर्मा, राजस्थान के महासचिव रेहान खान भी मौजूद थे। समारोह में डीएवी समूह के निदेशक और प्राचार्य डॉक्टर एम.के.सिन्हा को भी शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।
शिक्षक सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए राज्य के वित्त तथा खाद आपूर्ति मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने यह घोषणा की कि प्रदेश में अब जल्द ही पहली से लेकर आठवीं कक्षा तक के स्कूल भी खुल जाएंगे। उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्य बिहार में स्कूल खुल गए हैं और ऐसा कोई कारण नहीं अब दिखता है कि झारखंड में भी स्कूल ना खोला जाए। उन्होंने बताया कि इस संबंध में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अध्यक्षता में होने वाली राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार की बैठक में अंतिम निर्णय लिया जाएगा। प्राइवेट स्कूल के संचालक को और शिक्षकों को वित्त और खाद्य आपूर्ति मंत्री द्वारा यह भी भरोसा दिलाया गया कि स्कूलों को मान्यता देने को लेकर जमीन संबंधी जो बाध्यता है उसमें आवश्यक ढील दी जाएगी ।उन्होंने बताया कि पिछले दिनों उन्हें लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र के सबसे बड़े मदरसा को अनुदान देने में आ रही कठिनाइयों के बारे में जानकारी लेने पर पता चला कि जमीन संबंधी जो बाध्यता है उसके कारण उस मदरसे को सरकारी सहायता नहीं मिल पा रही है ।इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री से भी बात की है और जल्द ही शिक्षा विभाग के सचिव से भी बात कर रास्ता निकालने का प्रयास करेंगे। उन्होंने निजी स्कूलों के शिक्षकों की प्रशंसा करते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण काल में भी प्राइवेट स्कूलों की ओर से ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से बच्चों को पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध कराई गई और अब प्राइवेट स्कूल के शिक्षक यह चाहते हैं कि कोरोना का इलाज के तहत स्कूलों का संचालन भी पूर्व की भांति हो लेकिन अब तक उन्हें ऐसे कोई भी सरकारी शिक्षक या प्रतिनिधि नहीं मिले जो यह मांग करता है कि स्कूलों का संचालन पहले की तरह हो। इसका कारण सिर्फ एक ही है कि सरकारी शिक्षकों को नियत समय पर वेतन मिला तय है और वह कितना पढ़ाई बच्चों को कराते हैं इसका आकलन करना मुश्किल है। स्कूल खोल कर बच्चों को पढ़ाने की ललक यह दर्शाता है कि प्राइवेट स्कूल के संचालक बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के प्रति गंभीर है जबकि सरकारी शिक्षकों इसे लेकर कोई उत्सुकता नजर नहीं आती है। यही अंतर निजी स्कूलों और सरकारी स्कूलों के अंतर को दर्शाती हैं। उन्होंने बताया कि जब वे एक जिले में एस पी के रूप में कार्यरत थे तो एक स्कूल के निरीक्षण के दौरान उन्हें यह पता चला कि स्कूल में हेड मास्टर आते ही नहीं है और जब इस संबंध में उन्होंने वहां कार्यरत कर्मचारियों से पूछा तो उन्हें बताया गया कि वे शिक्षक तो ठेकेदारी करते हैं ।उन्होंने इसकी जानकारी जिले के उपायुक्त को दी। उपायुक्त ने मामले की छानबीन कराई तो यह बात सच साबित हुई और वह हेड मास्टर निलंबित भी हुए ।राज्य के अधिकांश अधिकांश सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता पर वे कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं लेकिन जो हकीकत है वह किसी से छिपी भी नहीं है यदि प्राइवेट स्कूल नहीं होते तो आज गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के मामले में देश और झारखंड काफी पिछड़ गया होता। उन्होंने कहा कि शिक्षक ना सिर्फ राष्ट्र निर्माता होते हैं बल्कि वे विद्यार्थियों के जीवन निर्माता भी होते हैं। उन्होंने खुद भी एक पढ़ाई अपनी पढ़ाई एक निजी स्कूल में की और वे अपने शिक्षकों का शुक्रगुजार है कि जीवन में मिली सफलता में उनका अहम योगदान रहा। उन्होंने कहा कि एक मनुष्य के लिए प्रकृति सबसे प्रथम शिक्षक होता है ,माता-पिता दूसरे शिक्षक होते हैं ,दोस्त- साथी तीसरे शिक्षक होते हैं ।इस तरह जीवन में 7 तरह के शिक्षक मिलते हैं लेकिन राष्ट्र के निर्माण में शिक्षकों का बड़ा योगदान है और इसमें प्राइवेट स्कूलों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

इस मौके पर पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमायल अहमद ने कहा कि आज प्राइवेट स्कूलों की विश्वसनीयता इस तरह बढ़ी है कि गरीब से गरीब तबका भी अपने बच्चे को पढ़ाने के लिए प्राइवेट स्कूल ही भेजना चाहता है। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में निशुल्क शिक्षा ,दोपहर का भोजन ,किताब ,कॉपी ,पेंसिल और अन्य सुविधाएं भी दी जाती है । इसके बावजूद पढ़ाई की गुणवत्ता के मामले को लेकर सब्जी बेचने वाला और ठेला चलाने वाला व्यक्ति भी यह चाहता है कि उनका बच्चा प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई करें ताकि वह पढ़ लिख कर बेहतर जिंदगी जी सकें। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में यदि सुबह में 9बजे100 बच्चे पढ़ने जाते हैं तो दोपहर 3:00 बजे छुट्टी होने तक सिर्फ 5- 7 बच्चे ही बचते हैं ,लेकिन प्राइवेट स्कूलों में यदि 100 बच्चे सुबह में पढ़ाई के लिए पहुंचते हैं तो दोपहर में 3:00 बजे 100 बच्चे ही छुट्टी में बाहर निकलते हैं। इस दौरान गरीब बच्चों के माता-पिता जो सब्जी बेचते हैं या ठेला चलाते हैं वह अपने जीविकोपार्जन के लिए अपने काम में व्यस्त रहते हैं और छुट्टी के समय स्कूल पहुंच कर अपने बच्चों को सुरक्षित तरीके से वापस ले जाते हैं। इसी विश्वास के कारण आज सरकारी स्कूलों की बजाए प्राइवेट स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि एक और प्राइवेट स्कूलों के लिए सरकार या नियम बनाती है कि कितनी जमीन की जरूरत होगी जबकि सरकारी स्कूल एक कमरे में या एक मंदिर के नीचे अथवा पेड़ के नीचे भी चलते हैं। इस तरह से दो तरह की बातें नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि वे सरकारी स्कूलों के खिलाफ नहीं है वह अपना काम करें और प्राइवेट स्कूल भी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है इस दिशा में सरकार का भी सहयोग अपेक्षित है। उन्होंने कहा कि पिछले 17 महीनों में कोरोना संक्रमण काल के दौरान प्राइवेट स्कूलों को जो परेशानियों का सामना करना पड़ा है उससे सभी वाकिफ है। इस संकट के समय भी जब प्राइवेट स्कूलों के बस धूप और बारिश में खड़ी खड़ी चल रही थी उस दौरान भी सरकार ने रोड टैक्स और बीमा समेत अन्य टैक्स को माफ करने का काम नहीं किया, बल्कि जब स्कूल के पंखे नहीं चल रहे थे उस दौरान भी बिजली का बिल वसूला गया। उन्होंने कहा कि अभी स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है कक्षा 1 से लेकर आठवीं तक के स्कूल खुलने चाहिए। कई राज्यों में स्कूल खुल गए हैं ।उन्होंने राज्य सरकार से यह भी आग्रह किया कि जमीन संबंधी जो बाध्यता पिछली सरकार में लागू की गई थी उसमें आवश्यक ढील दी जाए।

स्वागत भाषण में आलोक कुमार दूबे ने कहा कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध शिक्षकों को पासवा प्रणाम करता है ।उन्होंने कहा कि जिस तरह से गुरु नानक रमन काल में प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों ने अपनी प्रतिबद्धता दर्शायी उसकी आज पूरे देश में प्रशंसा हो रही है। उन्होंने राज्य सरकार से यह आग्रह किया कि जल्द से जल्द पहली कक्षा से लेकर आठवीं तक के स्कूल भी खोले जाए। उन्होंने कहा कि जिस तरह से पूर्ववती रघुवर दास सरकार में निजी स्कूलों को मान्यता देने के संबंध में जमीन संबंधी प्रावधान लागू किए गए थे उसमें भी ढील देने की जरूरत है।
पासवा के प्रदेश उपाध्यक्ष लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा कि प्राइवेट स्कूल संचालक अब पासवा के नेतृत्व में राजभर में संगठित हो रहे हैं और जल्द इसका सुखद परिणाम भी देखने को मिलेगा।
पासवा के प्रदेश महासचिव डॉ राजेश गुप्ता छोटू ने कहा कि आज करीब 850 प्राइवेट शिक्षकों को सम्मानित किया गया यह छोटा सा प्रयास शिक्षकों के सम्मान में काफी कम है, लेकिन आने वाले समय में संगठन उनके हित को ध्यान में रखते हुए और अधिक संगठित होकर काम करेगा।
समारोह के दौरान राजधानी रांची और राज्य के विभिन्न हिस्सों से आए प्राइवेट स्कूल के शिक्षक को और संचालकों को स्मृति चिन्ह,पेन और डायरी देकर सम्मानित किया गया। मौके पर विभिन्न स्कूलों के बच्चों द्वारा आकर्षक प्रस्तुति भी दी गई।
समारोह के अंत में पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमायल अहमद ,पासवा ओडिशा की चेयरमैन चिदातमका खुटुआ, पश्चिम बंगाल की अध्यक्ष मुसदा याशमीन के अलावा तमिलनाडु के चेयरमैन बेलाल नट्टर,उत्तर प्रदेश की चेयरमैन पूनम वर्मा, राजस्थान के महासचिव रेहान खान को राज्य के वित्त तथा खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने शॉल ओढ़ाकर एवं पेन देकर सम्मानित किया।

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