राची, झारखण्ड | मार्च | 12, 2024 ::
पशुपालकों की आर्थिक समृद्धि के लिए गव्य विकास निदेशालय की पहल:
* एकीकृत डेयरी फार्मिंग से आजीविका व आर्थिक विकास विषयक कार्यशाला आयोजित
रांची। गाय के दूध व अन्य उत्पादों के उपयोग से पशुपालकों की आमदनी बढ़ सकती है। दुग्ध जनित पदार्थों के अलावा गोबर गैस, वर्मी कंपोस्ट आदि तैयार कर गो-पालन करने वाले कृषक आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकते हैं। उक्त बातें गव्य विकास निदेशालय के निदेशक शाहनवाज अख्तर ने मंगलवार को गव्य विकास विभाग के प्रशिक्षण एवं प्रसार संस्थान, धुर्वा में गव्य निदेशालय के सौजन्य से आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए कही।
एकीकृत डेयरी फार्मिंग द्वारा आजीविका और आर्थिक विकास विषयक कार्यशाला में किसानों/पशुपालकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि गाय के दूध व गोबर के उपयोग से पशुपालक अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। गाय पालना आजीविका का एक सशक्त साधन है। खास करके ग्रामीण क्षेत्र के आर्थिक सशक्तिकरण में गो-पालन काफी सहायक है।
कार्यशाला में गव्य निदेशालय के उप निदेशक सह मुख्य अनुदेशक मनोज कुमार तिवारी ने कहा कि पशुपालकों को गाय के दूध के अलावा गोबर के अन्य उत्पादों से भी लाभ लेने की जरूरत है। श्री तिवारी ने कार्यशाला का विषय प्रवेश करते हुए किसानों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए झारखंड मिल्क फेडरेशन/मेधा डेयरी के सहायक प्रबंधक राहुल वर्मा ने कहा कि किसान यदि समेकित डेयरी व्यवसाय करें तो इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी। श्री वर्मा ने पशुपालकों को दुग्ध उत्पादन में वृद्धि की अत्याधुनिक तकनीक की जानकारियां भी दी।
कार्यशाला में गव्य विकास विभाग की तकनीकी पदाधिकारी प्रियंका कुमारी ने कार्यक्रम के समन्वयक की भूमिका निभाते हुए पशुपालकों के सफल व्यवसाय की शुभकामनाएं दी।
कार्यशाला का संचालन करते हुए सेवानिवृत गव्य विकास पदाधिकारी अशोक कुमार सिन्हा ने समेकित कृषि प्रणाली की महत्वपूर्ण पहलुओं से पशुपालकों/ किसानों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि गो-पालन के साथ-साथ मुर्गी पालन, बत्तख पालन, सूकर पालन, मत्स्य पालन आदि पर भी किसान ध्यान दें, तो आर्थिक रूप से सशक्त हो सकते हैं। उन्होंने पशुपालन के क्षेत्र में सरकारी योजनाओं की जानकारी देते हुए कृषकों से इसका अधिक से अधिक लाभ उठाने की अपील की।
इस अवसर पर गव्य विकास निदेशालय के अवर सचिव शिवकुमार चौधरी सहित राज्य के 16 जिलों के गव्य विकास पदाधिकारी एवं काफी संख्या में पशुपालक उपस्थित थे।