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परिवर्तन, संसार का एक शाश्वत सत्य : गुड़िया झा

परिवर्तन, संसार का एक शाश्वत सत्य : गुड़िया झा

बदलना तय है इस सांसर में हर चीज का। कुछ भी स्थायी नहीं रहता है। ना समय, ना स्थान और ना जीवन के चक्र आदि। अब यह हमारी सोच पर निर्भर करता है कि हम बदलाव को किस रूप में स्वीकार करते हैं। इसका सबसे बेहतर तरीका यह है कि हम खुद में बदलाव लाकर ही बदलते हुए परिवेश के साथ सही तरीके से सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं। ये बदलाव की प्रक्रिया जब तक हमारे खुद के भीतर नहीं आयेगी, तब तक हम किसी भी परिस्थिति को सच्चे दिल से स्वीकार नहीं कर पायेंगे। यहां तक कि जब किसी रिश्ते से हम खुश नहीं भी होते हैं, तो सबसे पहले घुटन हमारे ही भीतर होती है। यह कोई एक दिन वाली बात नहीं है कि हम जब चाहें रिश्ते भी बदल देंगे। लेकिन ज्योंही हम उन रिश्तों को भी सच्चे दिल से अपनाते हैं, तो सबसे पहले हमें ही सुखद अनुभूति की प्राप्ति होती है। फिर धीरे-धीरे हमें उन रिश्तों से भी अपनापन महसूस होने लगता है।
जीवन में जब सब कुछ ठीक से चल रहा होता है लेकिन जैसे ही कभी हमें विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, तो हम विचलित हो जाते हैं। हम उन विपरीत परिस्थितियों को अपनाने के लिए तैयार नहीं होते हैं। हम जब तक उन विपरीत परिस्थितियों से पीछा छुड़ाना चाहते हैं तब तक वे और भी ज्यादा जटिल होती जाती हैं। जैसे ही हम उन परिस्थितियों को अपनाते हैं और पूरी हिम्मत के साथ उनका सामना करते हैं, तो वे विपरीत परिस्थितियां भी धीरे-धीरे अनुकूल परिस्थितियों में परिवर्तित होती जाती हैं।
लेकिन इन सबके साथ हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि हमारे साथ चाहे कितनी भी जटिलताएं क्यों न हो, हमें अपने अच्छे कर्मों के साथ ही निरंतर आगे बढ़ना होगा। क्योंकि जीवन के किसी न किसी मोड़ पर हमारे द्वारा किए गए अच्छे कर्म ही विपरीत परिस्थितियों में भी हमारे लिए अच्छे रास्ते का निर्माण करते हैं। कुछ बातों को अपनाकर हम औरों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन सकते हैं।
1, कार्मिक एकाउंट बढ़ाना।
जिस प्रकार हमारे पास पैसा जमा करने के लिए बैंक में एकाउंट होता है, जिसका हम समय-समय पर सदुपयोग करते हैं। ठीक उसी प्रकार से सबसे बड़ा कार्मिक एकाउंट हमारा ईश्वर के पास होता है। हमारे अच्छे-बुरे सभी कर्मों का एकाउंट ईश्वर रखते हैं। ये बात भी सत्य है कि हम जो देते हैं वही कभी न कभी लौट कर हमारे पास ही आता है। क्योंकि कई बार ऐसा भी होता है कि पैसे से ज्यादा हमारे अच्छे कर्म ही हमारे काम आते हैं
2, सत्य का साथ।
किसी ने ठीक ही कहा है कि समय के साथ-साथ सत्य के साथ चलने से भी हमारी बाधाओं के रास्ते धीरे-धीरे दूर होने लगते हैं। सत्य परेशान जरूर होता है लेकिन पराजित नहीं। वो सत्य जिसमें हमारे खुद के साथ दूसरों का भी भला हो, तो ऐसे सत्य का साथ ईश्वर भी नहीं छोड़ते हैं।
झूठ का सहारा लेकर हम कुछ रास्ते अपने लिए बना सकते हैं। लेकिन उन रास्तों की उम्र बहुत लंबी नहीं हो सकती है। जबकि सत्य का दामन थाम कर हम अपने और दूसरों के लिए भी लंबी दूरी के रास्ते तय कर सकते हैं। सत्य कभी अकेला नहीं होता है। उसके पीछे हजारों की संख्या में प्रमाण होते हैं जो यूं तो दिखाई नहीं देते हैं लेकिन समय आने पर अपनी उपस्थिति अवश्य ही दर्ज करा देते हैं।

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