आलेख़

बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर :  जन्म 14 अप्रैल 1891 ( मध्यप्रदेश )

बाबा साहब भीम राव अंबेडकर की जयंती पर नमन एवं उनकी स्मृति पर लेख
आधुनिक भारत के अग्रणी निर्माताओं में बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में मध्यप्रदेश के मऊ में हुवा था । डॉ अंबडेकर एक युग पुरुष थे ।डॉ भीमराव आंबेडकर के जीवन संघर्ष से भरा रहा । दुर्भाग्य से उन्हें पढ़ने और गुनने की जगह उनके नाम के जपने की प्रविर्ति भी बढ़ रही है जो उनके शिक्षा और राजनीती के विपरीत है। बाबा साहेब के जन्मदिन को “समता दिवस ” के रूप में भी मनाया जाता है बाबा साहेब कुल 64 विषय के मास्टर थे उनके पास 32 डीग्री थी लोग उन्हें दलित के नेता के रूप में जानते थे जबकि उन्होंने बचपन से ही जाति प्रथा का खुलकर विरोध किया ।15 अगस्त 1947 में भारत की स्वत्रंता के बाद कोंग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार बनी तो उसमें डॉ आंबेडकर को देश का पहला काननू मंत्री नियुक्त किया गया ।29 अगस्त 1947 को डॉ साहेब को भारत के नये संविधान की रचना के लिए बनी संविधान मसौदा समिति का प्रेसिडेंट नियुक्त गया ।उन्होंने कहा भारत का संविधान सार्वभौमिक ,समाजवादी,धर्मनिपेछ ,लोकत्रंत, गणत्रत ,नया स्वत्रंता ,समानता व्यक्ति की प्रतिष्ठा राष्ठ की एकता और बंधुत्व के आधार पर निर्भीक किया गया है डॉ भीमराव आंबेडकर बाबा साहेब ने जैसे समाज बनाने के लिए संघर्स किया आज देश की हालात देखकर खुद महसूस कर सकते है ।हम मानते है कि आजादी के बाद देश ने बहुत तररकी की है किंतु बहुलता में अद्भुत समन्वय वाला संविधान होने के बावजूद 2022 के चुनोती विकराल होकर देश के सामने खड़ी है।जिसका सामना करने के लिए हम सभी को भारतीय का धर्म है जाति और धर्म से ऊपर उठकर देश के विकाश में सहयोग करना होगा तभी भारत का संविधान का महत्व बढ़ेगा क्योकि भारत का संविधान ही देश की पहचान है । हम सभी को उनके बताये गये बात को मानकर उनके मार्ग पर चलने का प्रयत्न करना चाइये और अंत में बाबा साहेब की जयंती पर उन्हें सत सत नमन ।

 

ओम वर्मा
रिसर्च स्कॉलर

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