Behaviour change by words.
आलेख़

शब्दों से व्यवहार परिवर्तन : गुड़िया झा

रांची, झारखण्ड | मार्च | 14, 2020 :: हमारी जुबान से निकले हुये एक एक शब्द बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं।
इसकी विशेषता का पता तब चलता है जब हमारी बातचीत करने के तरीके से सामने वाले पर इसका अच्छा असर होता है और वे हमारी बातों को ध्यानपूर्वक सुनते और समझते हैं।

लेकिन कभी कभी हमसे किसी गलतफहमी और गुस्से में आकर शब्दों के गलत उपयोग से किसी की भावना को बहुत ही ठेस पहुंचती है।
क्यों ना हम शब्दों के गलत उपयोग को ही छोड़ दें। बड़े बुजुर्गों ने भी ठीक ही कहा है कि तीर कमान से और बात जुबान से एक बार निकल जाए तो वापस नहीं आते।

कुछ बातों पर ध्यान देकर इस तरह की प्रवृत्ति को रोक जा सकता है।

1, शब्दों के चयन पर सावधानी
जब भी हम किसी से बात करें तो बोलते समय शब्दों के चयन पर विशेष ध्यान दें। गंभीरता से कम और उचित मात्रा में बोले हुए शब्द ही अनमोल होते हैं।
इससे किसी की भावना को ठेस नहीं पहुंचेगी। ये बात भी सच है कि जीवन में ऊँचा उठने के लिए किसी विशेष डिग्री की जरूरत नहीं होती है।
अच्छे शब्द ही इंसान को बादशाह बना देते हैं। घर हो या बाहर कहीं भी हमारे द्वारा बोले अच्छे शब्द ही लोगों के दिलों और दिमाग में एक महत्वपूर्ण छाप छोड़ते हैं।
एक बार अगर हमने अपने भाषा को सही रूप देकर इसका उपयोग किया तो तय मानें हमारे आलोचक भी हमारी मुरीद हुए बिना नहीं रह सकेंगे। प्रेम से कहे गये कुछ शब्द ही हमारी मंजिल को आगे ले जाने में अहम भूमिका निभाते हैं।

2, निंदा करने से बचे।
ये एक ऐसी आदत है जिसके कारण हम मानसिक, आर्थिक और शारीरिक तीनो ही रूप से कमजोर हो जाते हैं।
इन आदतों से छुटकारा पाने के लिए हमें खुद ही अपने आप पर अंकुश लगाना होगा। पीठ पीछे या सामने किसी की भी निंदा करना हमारे सामाजिक दायरे को सीमित कर के रख देता है।
यदि हमें किसी व्यक्ति को अपनी बात कहनी भी हो तो संबंधित व्यक्ति से ही संपर्क कर करनी चाहिए। हां लेकिन शब्दों के इस्तेमाल पर ध्यान देकर।
हमारी नियत अगर साफ होगी तो सामने वाले भी हमारी बातों का गलत अर्थ नहीं निकलेंगे और इसका अच्छा रिजल्ट भी देखने को मिलेगा।

3, क्रोध में शांत रहें।
क्रोध आना एक स्वाभाविक क्रिया है। कभी कभी हम भूल जाते हैं कि हमारे सामने कौन खड़ा है या हमें कौन सी भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए।
क्रोध में बोलने के लिए ज्यादा ताकत की जरूरत नहीं पड़ती। ज्यादा ताकत की जरूरत पड़ती है चुप रहने के लिए। जिसने अपने गुस्से पर काबू पा लिया उसने दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज पा ली।
हमारे द्वारा बोले गए अनुचित शब्द से माहौल खराब होता है। हम उन परिस्थितियों को ही ना आने दें जो हमारी प्रगति में बाधा उत्पन्न करें।
दूसरी ओर यदि कोई व्यक्ति भी गुस्से में हमसे बोलता है तो उस समय हमें शांत रह कर सभ्य भाषा का इस्तेमाल करते हुए विवेक से काम लेना चाहिए। इससे सामने वाला खुद ही शांत हो जायेगा।

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