आलेख़

जगदीश से जनिये, क्या है उद्गीत प्राणायाम

उद्गीत प्राणायाम को “ओमकारी जप” भी कहा जाता है। यह एक अति सरल प्राणायाम और एक प्रकार का मैडिटेशन अभ्यास है। उद्गीत प्राणायाम प्रति दिन सुबह में करने से व्यक्ति को कई शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। उद्गीत प्राणायाम चिंता, ग्लानि, द्वेष, दुख, और भय से मुक्ति दिलाता है। इस प्राणायाम के अभ्यास से ध्यान-शक्ति बढ़ जाती है। व्यक्ति भयमुक्त हो जाता है और आत्मविश्वास बढ़ जाता है। शरीर में रक्त संचार प्रक्रिया ठीक से होने लगती है, जिस कारण व्यक्ति के मुख पर एक दिव्य तेजस्वी आभा निखर आती है।

उद्गीत प्राणायाम के लिए शिव संकल्प – 

ओउम का ध्यान कर के प्रकृति के हर एक कण में “ॐ कार” का दर्शन करना है। सर्व प्रकार की दैहिक परेशानीयों और बीमारियों से मुक्त होने का अभ्यास कर के अपनी चेतना को विश्वात्मा से जोड़े। अपने आप को जानें और स्वयं में विद्यमान उस “अलौकिक शक्ति” को पहचाने। अपनीं आत्मा और परमात्मा के साक्षात्कार करने का निश्चय कर के, उद्गीत प्राणायाम शुरू करें।

उद्गीत प्राणायाम कैसे करें  –

सर्वप्रथम किसी शुद्ध वातावरण वाली, स्वच्छ जगह पर आसन बिछा कर पद्मासन अथवा सुखासन में बैठ जाएं। उद्गीत प्राणायाम शुरू करने से पूर्व अगर दूसरे प्राणायाम किए हों तो उसकी थकान मिटा कर सांस सामान्य कर के ही यह अभ्यास शुरू करें।

उद्गीत प्राणायाम अभ्यास के लिए आसन जमा लेने के बाद सामान्य गति से सांस शरीर के अंदर लेना होता है। और उसके बाद ओमकारी जप के साथ सांस बाहर छोड़ना होता है।

यह ध्यान में रखें कि इस अभ्यास में लंबी सांस अंदर लेनी है, सामान्य गति से सांस लेनी है और जब सांस बाहर निकालें तब ओमकार(ओउम) जप के साथ उसी सामान्य गति से सांस बाहर निकालनी है।

उद्गीत प्राणायाम करते वक्त अग्निचक्र पर ध्यान केन्द्रित करना होता है। और साथ में यह भी ध्यान में रखिए की सांस बाहर निकलते वक्त ओमकार जप में “O” जितनी देर तक बोले, उस से अधिक तीन गुना “M” इस तरह अपनी शक्ति अनुसार जितना लंबा हो सके उतना लंबा जप करना होता है।

उद्गीत प्राणायाम समय सीमा  – 

उद्गीत प्राणायाम में सांस शरीर के अंदर लेने का समय तीन से पांच सेकंड का रखें।

ओमकारी जप के साथ जब सांस बाहर छोड़ें तब उसका समय पंद्रह से बीस सेकंड तक, अपनी शक्ति अनुसार खींचने की कोशिश करें। (Note- अपनें शरीर की मर्यादा में रह कर ही बल लगाए)।

एक सामान्य व्यक्ति उद्गीत प्राणायाम अभ्यास को प्रति दिन सात बार तक कर सकता है। सात बार उद्गीत प्राणायाम करने के लिए तीन-चार मिनट का समय लगेगा।

प्राणायाम के हर एक प्रकार में सांस लेने और सांस बाहर छोड़ने की गति का बड़ा महत्व है। उद्गीत प्राणायाम में ना ही तो अति तीव्र गति से सांस लेनी है, नाही तो अति धीमी गति से सांस लेनी है, इस प्राणायाम में अपने आसपास सकारात्मक ऊर्जा महसूस करते हुए सामान्य गति से सांस अंदर लेनी है।

अभ्यास बढ़ जाने पर इस प्राणयाम को 10 से 20 बार यानि कि पाँच से दस मिनट तक किया जा सकता है। विकट रोगों से ग्रस्त व्यक्ति उद्गीत प्राणायाम को 10 मिनट से अधिक भी कर सकते हैं।

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