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बीएयू में प्रयोगशालाओं के एक्रीडिटेशन के लिए जागरूकता कार्यक्रम

 

रांची, झारखण्ड  | सितंबर  | 28, 2022 ::  भारतीय गुणवत्ता परिषद की अंगीभूत इकाई नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेट्रीज (एनएबीएल), गुरुग्राम द्वारा बुधवार को प्रयोगशालाओं के एक्रीडिटेशन की जरूरत, महत्व, फायदे, प्रक्रिया एवं स्कोप विषय पर बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के लिए एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन बीएयू के कृषक भवन में किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बीएयू के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने विभिन्न प्रयोगशालाओं की देखरेख कर रहे वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे एक्रीडिटेशन की पात्रता और प्रक्रिया को गंभीरता से समझें ताकि आने वाले समय में बीएयू के प्रयोगशालाओं का एक्रीडिटेशन कराया जा सके। इससे बीएयू के उत्पादों, सेवाओं, तकनीकों, जांच रिपोर्ट और अनुशंसाओं की विश्वसनीयता और मांग बढ़ेगी तथा कोई विवाद पैदा होने की स्थिति में कानूनी कवच भी प्राप्त होगा। आज के दौर में जब समाज में नैतिक क्षरण और मिलावट बढ़ रहा है तथा ईमानदारी में कमी आ रही है, एक्रीडिटेशन से अपनी गतिविधियों के प्रति आत्मविश्वास बढ़ेगा।
एनएबीएल की निदेशक मल्लिका गोप ने कहा कि अपनी फोकस्ड व्यापार-उद्योग नीतियों द्वारा भारत सरकार ने घरेलू व्यापार में गुणवत्ता जागरूकता बढ़ाई है और निर्यात के लिए अधिक विश्वास पैदा किया है। इसलिए जांच केन्द्रों और प्रयोगशालाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य क्षमता के साथ काम करना होगा।
प्रयोगशाला एक्रीडिटेशन एक तरह से तृतीय पक्ष द्वारा प्रयोगशाला की दक्षता, निष्पक्षता और सतत कार्य प्रणाली का प्रमाणीकरण है। इस प्रक्रिया द्वारा एक प्राधिकृत निकाय द्वारा अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करते हुए तृतीय पक्ष के आकलन पर आधारित जांच और माप की तकनीकी दक्षता को मान्यता प्रदान की जाती है। उन्होंने कहा कि एनएबीएल निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करते हुए आवेदन करने वाली विभिन्न जैविक, रासायनिक, थर्मल, मेडिकल, इलेक्ट्रिकल, रेडियोलॉजिकल और फॉरेंसिक संस्थाओं को मान्यता प्रदान करता है। लाभों की बात करें तो इससे प्रयोगशाला के उत्पादों, सेवाओं को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिलती है, वैश्विक बाजार उपलब्ध होता है, ग्राहकों को अधिक विश्वास एवं संतोष मिलता है, बेहतर संचालन नियंत्रण होता है, ज्यादा विश्वसनीय एवं एक्यूरेट परिणाम मिलता है तथा समय और लागत की बचत होती है।
एनएबीएल की उप निदेशक मालांचा दास ने एक्रीडिटेशन हेतु ऑनलाइन आवेदन, एक्नॉलेजमेंट, प्रलेखों की समीक्षा, आकलन, एनएबीएल द्वारा आकलन रिपोर्ट की जांच, अनुशंसा एवं अनुमोदन तथा एक्रीडिटेशन प्रमाणपत्र जारी किए जाने की प्रक्रिया पर विस्तार से प्रकाश डाला।
आरंभ में स्वागत भाषण करते हुए मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विभाग के अध्यक्ष तथा एनएबीएल की ओर से बीएयू के लिए घोषित नोडल अफसर डॉ डीके शाही ने एक्रीडिटेशन के उद्देश्यों और लाभों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर बीके अग्रवाल ने किया।
जागरूकता कार्यक्रम में बीएयू के विभिन्न संकायों के वैज्ञानिकों, कृषि विज्ञान केंद्रों के प्रमुखों और राज्य सरकार के कृषि विभाग की विभिन्न प्रयोगशालाओं के प्रभारियों ने भाग लिया, जिनकी संख्या लगभग 100 थी।

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