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प्रतिरोधक क्षमता बढाता है योग : डॉ. परिणीता सिंह ( योग विशेषज्ञ )

रांची , झारखण्ड | जून | 21, 2020 ::
* आसन, ध्यान और प्राणायाम उस बेचैनी को कम कर सकता है जो पृथक रहने को लेकर लोगों में पैदा हो रही है।

* लगातार योग करने से लोगों को अवसाद, चिंता, मानसिक तनाव में काफी राहत मिलेगी ।

* योग के बहुत से ऐसे आसन हैं जिनसे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनती है.

* योग के अभ्यास न केवल हमारी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं बल्कि हमें दिनभर ऊर्जावान और सकारात्मक बनाए रखने मे मदद करते हैं ।

आज सारा विश्व कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से गुजर रहा है चारों ओर परेशानी एवं चिंता ही दिखाई दे या सुनाई दे रही है। शारीरिक, मानसिक परेशानी के साथ-साथ आर्थिक स्थिति भी सभी देशों की कुछ ठीक नहीं है।

कोरोना महामारी को लेकर इतनी अनिश्चितता और उलझन है कि कब तक सब ठीक होगा, पता नहीं। ऐसे में सभी के तनाव में आने का ख़तरा बना हुआ है ।
इस तनाव का असर शरीर, दिमाग़, भावनाओं और व्यवहार पर पड़ता है. हर किसी पर इसका अलग-अलग असर होता है ।

शरीर पर असर – बार-बार सिरदर्द, रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना, थकान, और ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव ।
भावनात्मक असर – चिंता, ग़ुस्सा, डर, चिड़चिड़पना, उदासी और उलझन हो सकती है।

दिमाग़ पर असर – बार-बार बुरे ख़्याल आना. जैसे मेरी नौकरी चली गई तो क्या होगा, परिवार कैसा चलेगा, मुझे कोरोना वायरस हो गया तो क्या करेंगे. सही और ग़लत समझ ना आना, ध्यान नहीं लगा पाना।

इस परिस्थिति में अगर हम अपने आप को, समाज को, देश को या फिर पूरे विश्व को अगर शारीरिक दृढ़ता एवं मानसिक स्थिरता दे सके तो शायद बहुत सी समस्याओं का निराकरण हो सकता है।
इस शारीरिक एवं मानसिक लाभ के लिए योग एक बहुत ही अच्छी पद्धति मानी गई है, जिससे शारीरिक क्षमता को विकसित एवम् प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार केअभ्यास है-
जैसे आसन, प्राणायाम या हठयोग क्रिया है। जिसमें हम शरीर का शुद्धीकरण करते हैं और प्रत्येक आंतरिक अंगों की क्षमता को बढ़ा सकते हैं।
दूसरी ओर ध्यान, जप है जो मानसिक स्थिरता प्रदान कर सकता है। योग के विभिन्न पद्धति को अपनाकर शरीर, मन और ऊर्जा के प्रभाव में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है, जो इस बढ़ते हुए अनिश्चितता एवं भयभीत समाज को मानसिक एवं भावनात्मक शांति प्रदान करेगा ।

पूरे देश में इस महामारी के कारण विभिन्न प्रकार के रोग जैसे अवसाद, अनिद्रा, सिर दर्द, चिड़चिड़ापन जैसे विक्षेप उत्पन्न हो रहे हैं। शारीरिक स्तर पर थकान एवं भूख के ना लगने जैसे समस्या उत्पन्न हो रही हैं, जो ना सिर्फ भावनात्मक असंतुलन पैदा कर रहा है बल्कि प्रतिरोधक क्षमता को भी कम कर रहा है ।

योगश्चित्तवृत्तिनिरोध: | यो.सू.1/2

महर्षि पतंजलि के अनुसार चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है यहां निरोध का तात्पर्य अपने विचारों, वृत्तियों, श्वसन, कामनाओं व्यक्तित्व कुंठाओं को रोकने से है

कुछ प्रारंभिक अभ्यास द्वारा शरीर में बढ़ रहे तनाव का निदान किया जा सकता है। डर, घबराहट के कारण जो तनाव हार्मोन कि स्राव शरीर में हो रहा है, उसे कम किया जा सकता है।
और इन हार्मोन के स्राव को संतुलित कर शरीर को क्रियाशील एवं प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
दूसरी ओर शिथिलता के अभ्यास द्वारा एवं ध्यान द्वारा मन को एकाग्र एवं विकार रहित भी बनाया जा सकता है। जिससे सही दिशा एवं सूझबूझ के साथ जीवन का मार्गदर्शन कर सकते हैं।

कुछ उपयोगी अभ्यास इस प्रकार है – नेति, कुंजल जो शरीर को शुद्ध करता है।
आसन खासकर आगे झुकने वाले ( पश्चिमोत्तानासन, पादहस्तासन, ) और पीछे झुकने वाले अभ्यास ( सरल धनुरासन, अर्ध चक्रासन ) शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
प्राणायाम जिससे प्राणिक प्रवाह में सुधार होता है और शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलता है, जो कोशिकाओं को पुनर्जन्म में मदद करता है सबसे फायदेमंद नाड़ी शोधन, भस्त्रिका, एवं उज्जाई होता है।
योग निद्रा एक शिथलीकरण का अभ्यास है जिससे विचारों और भावनाओं को समझा जा सकता है और निवारण को उपाय भी किया जा सकता है।
ध्यान में जप या किसी प्रतीक को अंतर्मन में देखा जाता है, जो विचारों में सकारात्मकता एवं रचनात्मकता लाता है।

मननात् त्रायते इति मंत्र: |

मंत्र की शक्ति मनुष्य को मन के बंधनों से मुक्त करती है।
मंत्र द्वारा एक विशेष स्पंदन उत्पन्न होता है जो मनुष्य के अतिंद्रीय चेतना का विस्तार करता है और मन को  द्वन्दो से मुक्त करता है

अतः यह हम कह सकते हैं कि अगर नियमित रूप से योगाभ्यास किया जाए तो इस वैश्विक महामारी है बचा जा सकता है

डॉ परिणीता सिंह
( गेस्ट फैकल्टी योग विभाग रांची विश्वविद्यालय, सेक्रेटरी योग मित्र मंडल रांची एवं डायरेक्टर डिवाइन योग अकादमी )
Mail :: parinitasingh70@gmail.com
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