रांची , झारखण्ड | फरवरी | 09, 2020 :: आज दिनाँक; 9 फरवरी 2020, रविवार को पंडित दीनदयाल नगर स्थित सिविल सर्विसेज ऑफिसर्स संस्थान में (आई.ए.एस.क्लब) सत्यानन्द योग मिशन और मॉर्निंग वाकर्स एंड टॉकर्स ग्रुप के संयुक्त तत्वावधान में प्लास्टिक मुक्त वातावरण बनाने को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया।
सर्वप्रथम अवकाश प्राप्त वरिष्ठ आई.ए.एस.अधिकारी एस.के.सतपथी और संन्यासी मुक्तरथ जी ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
फिर पूरे परिसर में जो भी गुटखा, या अन्य डब्बे का प्लास्टीक कचरा यत्र-तत्र बिखड़ा मिला, उसे बृहत अभियान के रूप में चुन-चुन कर साफ किया गया और प्लास्टिक मुक्त वातावरण बनाने का संकल्प लिया गया।
संकल्प के बाद स्वामी मुक्तरथ जी ने खुले आकाश के नीचे ध्यान का अभ्यास कराया।
सभी को संबोधित करते हुए स्वामी मुक्तरथ जी ने कहा कि कम से कम योग के साथ जीने वाले लोग स्वच्छता को गंभीरता से लें और अधिक से अधिक लोगों को जीवन में खुशहाल रहने हेतु प्लास्टिकमुक्त परिवेश की महत्ता को समझायें।
योग के साथ इकोलॉजी का गहरा संबंध है। योग सदियों से पर्यावरण को शुद्ध रखने की बात करता है जिसमें शुद्ध विचार, गाय का गोबर, हवन (आयुष्य)आदि का प्रयोग करते आया है। हम मनुष्य ही सभी पशु-पक्षियों के देवता हैं। हर पशु-पक्षी स्वस्थ रहे खुश रहे इसकी सारी जिम्मेवारी हम मनुष्यों की है। प्रकृति तभी संतुलित रहेगी और मनुष्य इसका भरपूर लाभ उठा पायेगा।
एस.के.सतपथी, जिनका प्रकृति से अनन्य प्यार है, वो हर वृक्ष, हर पुष्प और पशु-पक्षियों में आकाश की क्षटाओं में ईश्वर का दर्शन करते हैं उन्होंने कहा ईश्वर प्रकृति में ही वास करते हैं। आकाश के रंग-विरंगे बादल,प्रातः कोयल की मीठी कुक,पक्षियों का मधुर कलरव,साफ-सुथरा स्वच्छ वातावरण, संध्या में कई किश्म के पक्षियों की चहचहाहट, आकाश के तारे,सफेद चांद, प्रातः का उगता बाल सूर्य,भूमि की हरियाली,इनको देखिए और फिर स्वयं से पूछिए क्या भगवान इनमें नहीं हैं ?
वरिष्ठ पत्रकार मनोज प्रसाद ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए सभी को धन्यवाद दिए और प्लास्टिक मुक्त वातावरण बनाने हेतु संकल्प भी करवाये।
कार्यशाला में प्रवक्ता के अलावा श्री सुभाष शर्मा, डॉ रामेश्वर सिंह, श्री अरुण,अवनीश कुमार, काशी केजरिवाल, धीरज अग्रवाल,एन.के.मुरलीधर, बी.के.सिन्हा, विश्वनाथ सिंह,पर्यावरण सुधार में अहर्निश लगे हुए मनोज शर्मा जी विशेष रूप से सहभागी रहे।
कार्यक्रम में स्वामी मुक्तरथ जी ने आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ और भगवान सूर्य के आराधना को कराये।