आलेख़

जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है : गुड़िया झा

22 अप्रैल विश्व पृथ्वी दिवस पर विशेष।
जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है।
गुड़िया झा।
1960-70 के दशक में जब पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही थी। पूरे के पूरे जंगल साफ किये जा रहे थे। दुनिया का ध्यान इस तरफ आकर्षित करने और पृथ्वी को बचाने के लिए विश्व पृथ्वी दिवस मनाने का संकल्प लिया गया। सभी को चिंता थी कि अगर स्थिति ऐसी ही रही तो जंगल,जमीन,जीव-जंतु सभी लुप्त हो जायेंगे। इसी को ध्यान में रखते हुए 1992 में ब्राजील की राजधानी में एक सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में 172 देशों के प्रतिनिधियों, हजारों स्वयंसेवी संगठनों और अनेक बहुराष्ट्रीय निगमों ने भाग लिया। इस सम्मेलन से पृथ्वी को विश्व राजनीति से एक ठोस आधार मिला।
वर्ष 2020 में जब दुनिया कोरोना जैसे वायरस से लड़ रही थी। लॉक डाउन जैसे शब्द पहली बार सुनने को मिल रहे थे। तब भी विश्व पृथ्वी दिवस मनाया गया। एक ऐसे जज्बे के साथ कि जब यह महामारी समाप्त हो जाएगी, तो हम इस पृथ्वी को पर्यावरण से सजा कर एक बेहतर दुनिया बनायेंगे। क्योंकि जैसी स्थिति पृथ्वी की होती है वैसा ही जनजीवन प्रभावित होता है। इस दिन का बहुत महत्व है। यह एक ऐसा दिन है जो हमें अपने आभामंडल से निकल कर पृथ्वी के बारे में सोचने और कुछ करने को विवश करता है। घटती हरियाली, सूखता पानी, पिघलते ग्लेशियर, बढ़ता तापमान इत्यादि विषयों की वास्तविकता से हम अवगत होते हैं। धरती की सुरक्षा के लिए प्रेरित करना और इसे एक कर्तव्य समझने का संदेश हम पूरे विश्व में इस दिन के माध्यम से देते हैं। आयें हम सब मिलकर इस पृथ्वी दिवस को और भी खास बनायें।
1, पर्यावरण संरक्षण भी हमारी प्राथमिकता में शामिल हो।
अपने घर के आसपास जहां तक संभव हो सके अधिक से अधिक पौधरोपण करें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। कई जगहों पर हरे-भरे पेड़ों की कटाई कर बड़ी-बड़ी इमारतों का निर्माण किया जाता है। इस पर रोक लगाई जाये। क्योंकि जब पेड़ों की कटाई कर भवनों का निर्माण होता है, तो वहां पर जलस्तर नीचे चला जाता है। जलस्तर के नीचे जाने से जल संकट की समस्या मनुष्यों के साथ-साथ पशु-पक्षी और जीव-जंतुओं के लिए भी असहनीय हो जाती है।
इसके अलावा हर छोटे-बड़े कारखानों से निकलने वाला कचरा जब आसपास के जलाशयों में प्रवाहित होता है, तो दूषित जलस्त्रोत आसपास के वातावरण को भी दूषित करती है। सिर्फ सरकार के भरोसे कुछ भी नहीं हो सकता है। इसके लिए हम सबको मिलकर आगे आना होगा।
2, प्लास्टिक के उपयोग पर रोक।
पृथ्वी को बचाने के लिए जहां तक संभव हो सके प्लास्टिक का उपयोग ना करें। क्योंकि जब ये प्लास्टिक जानवर खाते हैं, तो वो बीमार भी पड़ते हैं। इतना ही नहीं प्लास्टिक हमारे लिए भी उतना ही ज्यादा नुकसानदायक है। यह मिट्टी में भी गलता नहीं है और मिट्टी की अच्छी क्षमता को भी खराब कर देता है।
बेजुबान जानवरों की हत्या पर रोक लगाकर भी हम पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैं। अपने घर के छत पर एक मिट्टी के बर्तन में प्रतिदिन खाना और पानी चिड़ियों के लिए अवश्य रखें। इससे एक ओर तो जहां सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, वहीं दूसरी ओर इनकी दुआएं हमारे लिए वरदान साबित होती हैं।

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