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ऑटिज्म की पहचान हो जाने पर इसके प्रभाव को कम करना संभव :  बन्ना गुप्ता (  स्वास्थ्य मंत्री )

 

रांची , झारखण्ड | अप्रैल  | 01, 2022 :: ऑटिज्म की पहचान परिवार में ही बचपन में कर लिया जाए तो इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है. उक्त बातें स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहीं. वे विश्व ऑटिज्म दिवस की पूर्व संध्या पर रांची प्रेस क्लब में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम का आयोजन डॉ राजीव्स होमियोपैथी क्लिनिक एवं वाईबीएन यूनिवर्सिटी व रांची प्रेस क्लब के संयुक्त प्रयास से किया गया. ऑर्टिज्म जागरूकता थीम के तहत हम अलग हैं, कम नहीं वर्कशॉप का आयोजन किया गया. स्वास्थ्य मंत्री ने कार्यक्रम
के महत्व के बारे में बताया और समाज को ऐसे विशेष बच्चों के लिए सभी को आगे लाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि ऑटिज्म एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है लेकिन इस आधार पर ऑटिज्म पीड़ितों के साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि झारखंड में ऐसे बच्चों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं निश्चित रूप से बढ़नी चाहिए. हम सभी को आपस में मिलकर ऐसा वातावरण तैयार किया जाना चाहिए जो समानता, समावेशी और खुलेपन की बात करता हो. स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने कहा कि ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के आधार पर किसी के साथ भेदभाव न करते हुए संस्थागत तौर पर उन्हें इलाज से लेकर शिक्षा तक समान अवसर और विशेष देखभाल की जरूरत है. सरकार इस दिशा में लगातार प्रयासरत है. प्राथमिक स्तर पर ऐसे बच्चों की पहचान के साथ ही उन्हें मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जा रहा है.
डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन के साथ बेहतर तालमेल करने का प्रयास किया जा रहा है. जल्द ही रांची और सिमडेगा में आयुष विभाग के तहत कई कार्यक्रम तय किये जायेंगे. कार्यक्रम के दौरान ऑटिज्म प्रभावित बच्चों द्वारा बनायी गयी ग्रीटिंग्स को विशिष्ट अतिथियों को सौंपा गया. रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष संजय मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि प्रेम का नाम आलोचना और समालोचना है. उन्होंने कहा इन बच्चों की छाप बड़ा संदेश देती है. हम इसका सदुपयोग वैसे लोगों के बीच करेंगे जो ऑटिज्म को समझते हैं और उनके बीच भी
करेंगे तो इसे ठीक से नहीं समझते. ऐसा करने का मकसद ऐसे लोगों के लिए बेहतर वातावरण का निर्माण करना है. इस दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग की सहायक निदेशक कृष्णा टोप्पो, इनर व्हील क्लब की माया वर्मा, वाइवीएन यूनिवर्सिटी के चेयरमैन डॉ रामजी यादव, अमिटी यूनिवर्सिटी की डॉ डॉली, श्रीकृष्ष्ण वल्लभ सहाय, प्रवीण प्रभाकर, अतुल गेरा, डॉ देवेंद्रनाथ सहित बड़ी संख्या में ऑटिज्म बच्चे, उनके अभिवावक, इस क्षेत्र में काम करने
वाली संस्थाएं व उनके प्रतिनिधि मौजूद थे.
नीचले स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने पर जोर
कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने ऑटिज्म प्रभावित बच्चों को समाज में
समानता का अधिकार और सम्मान मिलने, इसके लिए जागरूकता के साथ विशेष देखभाल पर जोर दिया. होमियोपैथी के विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ राजीव कुमार ने ऑटिज्म केयर पर बात की. दवाओं के साथ स्पिच थेरेपी, विहेवियर साइंस, बेहतर व्यवहारिक व शैक्षणिक वातावरण तैयार करने, ऑटिज्म प्रभावितों के लिए स्पेशल सेंटर व डे केयर जैसी सुविधाओं की शुरूआत करने की बात कही.
अारोग्य भारती की अध्यक्ष डॉ रश्मि ने कहा कि ऐसे बच्चों की पहचान में आंगनबाड़ी और सहिया बहनों का सहयोग लिया जाना चाहिए साथ ही पंचायत और वार्ड स्तर से ही उन्हें समाज के मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जाना चाहिए. उनके इस सुझाव की सराहना स्वास्थ्य विभाग ने भी की. कार्यक्रम के दौरान सीबीएसइ द्वारा तैयार पाठ्यक्रम व विशेष शिक्षकों की तर्ज पर इसकी नियुक्ति के ऊपर जानकारी दी गयी. इस आधार पर झारखंड के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के साथ समन्वय बनाकर पाठ्यक्रम तैयार करने पर भी चर्चा की गयी.
क्या है ऑटिज्म
ऑटिज्म एक तरह की मानसिक अस्वस्थता है जो मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला विकार के तौर पर जाना जाता है जो विकास संबंधी गंभीर समस्या है. इस बीमारी के लक्षण बचपन से ही बच्चे में नजर आने लगते हैं. इस बीमारी में बच्चे का मानसिक विकास ठीक तरह से नहीं हो पाता है.
प्रेस क्लब के संयुक्त सचिव अभिषेक सिन्हा ने कहा कि ऑटिज्म कोई बीमारी नहीं बल्कि एक आत्मकेंद्रित अवस्था है जिसे बाहरी दुनिया के सम्पर्क, सहयोग और प्रयासों की जरूरत है. ऑटिज्म के शिकार बच्चों के हाथों को हम सबका साथ चाहिए. इस मौके पर प्रेस क्लब के सचिव जावेद अख्तर, कार्यकारिणी सदस्य संजय रंजन व अन्य लोग उपस्थित थे.

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