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नैतिक और आध्यात्मिक शिक्षा पर कार्यशाला

राची, झारखण्ड | मार्च | 12, 2024 ::

नीरजा सहाय डी.ए.भी. पब्लिक स्कूल कांके में नैतिक और आध्यात्मिक शिक्षा पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय सेवा केन्द्र चौधरी बगान, हरम् रोड की केन्द्र संचालिका ब्रह्माकमारी निर्मला बहन ने अपने विचार अभिव्यक्त
करते हुए कहा कि विद्यार्थी काल जीवन का सर्वेश्रेष्ठ समय है। यह वो समय है जब मनुष्य का जीवन अधिक उलझा हुआ नहीं होता है इसलिए अक्सर मनुष्य अपने विद्यार्थी जीवन की बातों को याद कर खुश होते हैं, आनन्द का अनुभव करते हैं। विद्यार्थी काल में जो संस्कार बनते हैं उन पर जीवन की मंजिल खड़ी होती है विद्यार्थी जीवन में जो आदतें पड जाती हैं वही धीरे-धीरे पक्की हो जाती है। जैसे एक कोमल पौधे के विकास के लिए उसे सहारा दिया जाता है ताकि जब वह वृक्ष बन कर तैयार हो तो सीधा एवं मजबूत हो, वैसे ही विद्यार्थी जीवन भी शीघ्र प्रभावित होने वाला जीवन है। अतः: उसे ऐसी शिक्षा की जरूरत है जो उसमें अच्छे संस्कारों का निर्माण करे। विद्यार्थियों का लक्ष्य सिर्फ पढ़ना, लिखना या एक कक्षा को पास कर अगली कक्षा में पहुँचना ही नहीं है अपित् संसार में जो कुछ हो रहा है उसके सत्य पहलू को जानना भी है।

विद्याध्ययन के साथ -साथ जीवन की नीव को मजबूत बनाने के लिए चाहिए पवित्र भोजन, अच्छा स्वास्थ्य, श्रेष्ठ चरित्र, ब्रह्मचर्य, शुद्ध वायुमंडल । जो मनुष्य ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करते वे शरीर व मस्तष्क के विकास के लिए आवश्यक रसायनिक तत्वों का तथा मूल्यवान शक्ति का क्षय करते हैं। जो शुद्ध सात्विक भोजन नहीं करते, वे मन का संतुलन खो बैठते हैं तथा मन में पाश्विक तथा राक्षसी वृत्तियों को जन्म देते हैं। अनेक प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त रहते हैं। जो विद्यार्थी बुरे नॉवेल पढ़ते हैं अश्लिल वीडियो देखते हैं वे अपना चरित्र कर लेते हैं। चरित्र पर लगा दाग । जल्दी साफ नहीं होता है और वह अपना आत्मविश्वास खो बैठता है। उसे आत्मग्लानी की अनुभूति होती है। उसके मन बुद्धि की एकाग्रता भटक
जाती है। वर्तमान समय चरित्र निर्माण हर व्यक्ति का उददेश्य होना चाहिए जो विद्यार्थियों के लिए विशेष ध्यान रखने का विषय है। चरित्रवान व्यक्ति जीवन में आने वाली हर परिस्थिति का सामना कर सकता है। समाज का मार्गदर्शन कर सकता है। देश के उत्थान के निमित्त बन सकता है। श्रेष्ठ चरित्र मनुष्य की सबसे बड़ी ताकत है जिससे असंभव को भी संभव किया जा सकता है। यह मनृष्य का रक्षा कवच है ।

आगे उन्होंने कहा कि हमें शिक्षा को भी मूल्यपरक बनाना होगा नहीं तो रोजगार परक शिक्षा होगी तो हमारी पीढ़ियां शिक्षित तो कहलाएगीं लेकिन संस्कारी नहीं। परिणाम स्वरूप धन कमाने में घोटाले, रिश्वतखोरी, लूटपाट आदि होती रहेगी। तो फिर एक सुशिक्षित, सुख-शांति समृद्धशाली समाज कैसे बन
पायेगा। शिक्षा का क्षेत्र मात्र एक कार्ययोजना नहीं है। यह तो नीव है किसी भी देश या संस्था की। शिक्षा
की गुणवता से समझौता किसी भी हालत में नहीं किया जाना चाहिए इसलिए भौतिक शिक्षा के साथ- साथ
आध्यात्मिकता का ज्ञान भी आवश्यक है। राजयोग एक ऐसी पद्धति है जो विद्यार्थियों के सर्वागींण विकास
के लिए अति आवश्यक है। राजयोग के अभ्यास से हर व्यक्ति स्वयं को संपूर्ण एवं सशक्त बना सकता है।
इसके अभ्यास से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता का परचम लहरा सकता है। पढ़ाई के साथ- साथ यदि रोज आधे घन्टे का समय निकाल कर राजयोग का अभ्यास करें तो निशचित ही विद्यार्थियों में आत्मबल की
वृद्धि होगी। ऐसा मेरा विश्वास है।

विद्यालय की प्रचार्या किरण यादव ने बी०के० निर्मला बहन का स्वागत किया। कार्यक्रम में बड़ी
संख्या में विद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थि थे। बी.के. इंदू बहन ने सभी को गाईडेड को
मेडिटेशन के द्वारा राजयोग का अभ्यास कराया। ज्ञातब्य हो कि ब्रह्माकुमारी केन्द्र चौधरी बगान, हरमू रोड
में प्रतिदिन प्रातः एवं संध्या के समय निःशुल्क राजयोग का प्रशिक्षण दिया जाता है।

 

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