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कार्यशाला :: योग द्वारा कार्य कुशलता को कैसे बढ़ाया जा सकता है

रांची , झारखण्ड | अगस्त | 27, 2019 :: आज दिनांक: 27 अगस्त को बीएसएनएल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट ,हजारीबाग रोड, राँची में ” योगः कर्मसु कौसलम ” योग द्वारा कार्यकुशलता को कैसे बढ़ाया जा सकता है इस विषय पर एक बृहत योग कार्यशाला का आयोजन किया कंपनी द्वारा किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वामी मुक्तरथ ने बताया कि वर्तमान समय की आवश्यकता है योग।
यह प्राचीन काल मे यदि ध्यान और भगवान से जुड़ने का तकनीक था तो आज यह मनुष्य के संकटों का नाश करने वाला प्रभावकारी साधन है।


आज जरूरत है व्यक्ति में संतुलन का।
आज हम संवेदनहीन होते जा रहे हैं, अनेकों क्षेत्र में ढेर के ढेर विद्वान हर दिन बढ़ते जा रहे हैं, पर वो एकांगी होते जा रहे हैं, उनमें कार्यकुशलता, नैतिकता, परोपकारिता, करुणा, दया, संवेदनशीलता, सामाजिकता का गुण जो होना चाहिए वो दिन-प्रतिदिन घटते जा रहा है।

व्यक्ति को बहुत मन से और देश तथा समाज की तरक्की की भावना से नौकरी करनी चाहिये।

गीता के दूसरे अध्याय के पचासवें श्लोक में वर्णन आता है-
वुद्धियुक्तो जहातीह,उभे सुकृतदुष्कृते।
तस्माद्योगाय यूज्यस्व,योगः कर्मसु कौशलम।।

इसे दो अर्थों में समझा जाना चाहिये।
प्रथम कर्मो में कुशलता ही योग है, और दूसरा कुशलता पूर्वक कर्मो को करना योग है।
सद्विचार और निष्ठा से सामाजिक उत्थान की भावना से किये गए कर्म योग ही हैं।
कर्म के प्रति प्रेम और व्यक्ति के प्रति श्रद्धा होनी चाहिये।
निष्ठा और श्रद्धा दोनो तत्त्वों का साथ-साथ होना आवश्यक है।
सीजीएम के. के. ठाकुर जी ने योग की उपलब्धियों को बताये।
मुक्तरथ जी एवं इनके तीन योग अनुदेशक पीयूष कुमार, रजनीश कुमार और गुलशन कुमार ने योग के विविध आसन, प्राणायाम, एवं शिथिलीकरण के अभ्यासों को कराये।

प्रमुख था शरीर और मन का संबंध, जिससे मानशिक संतुलन, एकाग्रता, और स्वास्थ्य की प्राप्ति हो।
ताड़ासन, त्रियक ताड़ासन, कटिचक्रासन, आकर्ण धनुरासन, पादोत्तानासन, पवन मुक्तासन, नाड़ीशोधन प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम, उज्यायी प्राणायाम, और योगनिद्रा।

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