आलेख़

नारी तेरे रूप अनेक : गुड़िया झा

‘नारी तेरे रूप अनेक : गुड़िया झा

“नारी है नाम मान का,
नारी है शब्द सम्मान का,
नारी है नूर अभिमान का
नारी के हैं रूप अनेक,
कभी लक्ष्मी बन कर धन बरसाये,
कभी सरस्वती बन कर ज्ञान की यमुना बहाए,
कभी पार्वती जैसी अर्धांगिनी बन जाए,
नारी है शब्द सम्मान का,
नारी है नूर अभिमान का।”

कल तक घर की चारदीवारी में रहने वाली नारी, अब घर के बाहर कदम रख कर समाज और देश की उन्नति में अपना योगदान दे रही है। आज की महिलाओं को यह बात अच्छे से समझ आ रही है कि सामाजिक कार्य कोई समय की बर्बादी नहीं है। आज लगभग हर महिला समाज की संस्था या संगठन से जुड़ी है। लोगों को जागरूक कर रही हैं। आज की नारी किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहती है। उन्होंने खुद में बदलाव लाया और नेतृत्व क्षमता का भरपूर उपयोग कर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त की।
हमारे देश में महिलाओं को जीवन
के प्रत्येक क्षेत्र में बराबर का अधिकार दिया गया है। प्रत्येक नारी अपने आप में एक बहुत बड़ी शक्ति है। उनकी इस शक्ति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे घर और बाहर के कार्यों के बीच सामंजस्य स्थापित करते हुए खुद को उन स्थितियों और लोगों के बीच भी अपनी जगह बनाती हैं जिनसे वह बिल्कुल भी अनजान रहती हैं। यूं कहें कि वे अपने आप को जीवन की अनुकूल हो या प्रतिकूल सभी परिस्थितियों में एक मजबूत ढाल बन कर सुरक्षा कवच का कार्य करती हैं।
नारी की सहन शक्ति की परीक्षा जीवन में हर कदम पर होती है।अपनी जान जोखिम में डालकर भी वो अपने और परिवार की खुशियों के लिए एक नयी जिंदगी को जन्म देती हैं। जो ईश्वर की दी गयी बहुत ही अनमोल रचनाओं में से एक है। त्याग और समर्पण की एक ऐसी रचना जिसे खुद ईश्वर ने फुर्सत के क्षणों में बनाया है। फिर भी परिवार हो या कार्य स्थल अभी भी उन्हें तिरस्कार का सामना करना ही पड़ता है। कभी रंग-रूप को लेकर, कभी गुणों को लेकर, तो कभी बहुत सारे बहानों के रूप में। लोग अपने घरों और मंदिरों में देवी मां की आराधना तो करते हैं, लेकिन वे ये भूल जाते हैं कि यदि प्रत्येक घरों में नारियों का सम्मान हो, तो उन घरों में परिवारों में आपसी सामंजस्य और खुशियों की कोई कमी नहीं रहेगी।
1, निर्णय लेने की क्षमता।
घर-परिवार से सम्बंधित किसी भी तरह के निर्णय लेने में महिलाओं की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती हैं। कभी मां के रूप में, कभी बहन के रूप में तो कभी पत्नी के रूप में। वे बहुत ही सावधानी और भविष्य में होने वाले अच्छे परिणामों को ध्यान में रखते हुए योजनाबद्ध तरीके से कोई भी निर्णय लेती हैं। सभी की भावनाओं को समझना और खुद अपनी भावनाओं को अपने तक सीमित रखने का नाम ही नारी है।
2, आत्म सम्मान के साथ जीना।
आमतौर पर लोगों की ये धारणा होती है कि महिलाओं को आभूषणों से बहुत प्यार होता है। जबकि सच तो ये है कि उनका आत्म सम्मान ही उनके लिए सबसे बड़ा आभूषण होता है। वे हर परिस्थितियों से समझौता कर लेती हैं। लेकिन अपने आत्म सम्मान को कभी टूटने नहीं देती हैं। स्वयं को परिवार के प्रति समर्पित कर मर्यादाओं का पालन करते हुए स्वाभिमान से चलना सम्पूर्ण नारी जाति की विशेषता को दर्शाता है।
हमारी भारतीय संस्कृति में नारी के योगदान को भी नकारा नहीं जा सकता है। अपनी संस्कृति को बचाते हुए बदलते समय के साथ चलने की उनमें एक विशेषता होती है। तभी तो पूरी दुनिया में हमारी भारतीय संस्कृति की एक अलग ही पहचान है।
कर्तव्यों के साथ-साथ अपने अधिकारों को पहचानना और स्वयं के साथ दूसरों का विकास करना भी उनकी एक विशेष पहचान होती है।

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