राची, झारखण्ड | मई | 10, 2025 ::
रामटहल चौधरी बी एड कॉलेज रांची एवं आई क्यू ए सी सेल के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय 9 एवं 10 मई 2025 लेक्चर सीरीज महाविद्याल के सभागार में दो तकनीकी सत्रों के साथ समापन समारोह आयोजित किया। महाविद्यालय के निदेशक डॉ रुद्र नारायण महतो, प्राचार्या डॉ रिचा पदमा शिक्षाविद् डॉ वासुदेव प्रसाद, प्रशासक डॉ एन के मिश्रा, वक्ता डॉ हीरानंदन प्रसाद, डॉ ओम प्रकाश ने संयुक्त रूप से मां सरस्वती की वंदना के साथ दीप प्रज्वलन कर प्रारंभ किया। आगत वक्ताओं एवं विशिष्ट अतिथियों का प्रशिक्षु शिक्षकों ने स्वागत गान से किया एवं महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ रिचा पदमा एवं निदेशक डॉ रुद्र नारायण ने सॉल एवं पौधा सप्रेम भेंट किया। सत्रों का संचालन महाविद्यालय के शिक्षक प्रो आलोक रंजन केरकेट्टा ने किया। एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुबोध ने किया। महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ रिचा पदमा ने विषय प्रवेश करते हुए कहा कि दो दिनों से चल रहे व्याख्यान माला के प्रथम दिन राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की भूमिका,आदर्श शिक्षक की कसौटी, भारतीय जीवन का सार: रहीम और शिक्षा में समग्र दृष्टिकोण जैस विषयों पर विद्वान शिक्षकों के उद्बोधन से विद्यार्थियों के साथ साथ महाविद्यालय परिवार लाभान्वित हुआ है। दो दिनों तक टीचर एजुकेशन एज कॉम्पटेंसी बेस्ड एजुकेशन थीम पर शैक्षणिक चर्चा के साथ व्याख्यान हम सभी को अद्यतन करता है। तकनीकी प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए डॉ हीरानंदन प्रसाद ने भारतीय जीवन का सार रहीम विषय पर रहीम का जीवन दर्शन, आध्यात्मिकता, व्यवहारिकता, सरलता एवं सहेजता को रहीम दोहावली के माध्यम से विस्तार पूर्वक बतलाया। उन्होंने कहा तुलसीदास, कबीरदास, रसखान,रहीम ये सभी साहित्य ही नहीं अपितु मानव के संपूर्ण जीवन शैली के प्रणेता है। उन्होंने मनुष्य जीवन की पांच कलाओं का वर्णन किया साथ ही रहीम को जोड़ते हुए कहा कि मोती, मनुष्य, ओर आटा के लिया पानी आवश्यक है। तीनों की चमक व्यवहार से है। उन्होंने कहा कि सबकी अपनी अपनी दृष्टि हैं भक्त अपने इष्ट भगवान को फूल से सुशोभित करता है वही माली फूल के दाम से ओर प्रेमी उसी को अपने काम से देखता है। रहीम का दृष्टिकोण शिक्षा के क्षेत्र में जोड़ कर देखे तो आज के समय में प्रासंगिक है। रहीम भारतीय जीवन शैली ही नहीं परंपराओं के वाहक हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को कहा कि अपनी परंपरा, शैली भारत भारतीयता एवं हम पर गर्व करना चाहिए। वही शिक्षा में समग्र दृष्टिकोण विषय पर द्वितीय तकनीकी सत्र को राजकीय शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय कांके रांची के प्राध्यापक डॉ ओम प्रकाश ने कहा कि भारत में शिक्षा का दृष्टिकोण व्यापक एवं सर्व स्पर्शी है। उन्होंने ज्ञान विद्या, शिक्षा, श्रद्धा को आधार बतलाते हुए कहा कि भारत का समग्र दृष्टिकोण हमें, साहसी, शिलवान बनाता है। शिक्षा मनुष्य का तीसरा आंख होता है। उन्होंने कहा कि दो आंखों से हम देखते हैं और भूल जाते है लेकिन जब हम मस्तिष्क एवं हृदय की आंखों से देखते है तो याद रखते है। शिक्षा के समग्र दृष्टिकोण में कहा भी जाता है जब हम देखते हैं तो भूलते है जब हम करते हैं तो याद रखते हैं। I see but I forget but I do than remember. उन्होंने कहा कि थर्ड आई ऑफ ह्यूमन बीइंग का मतलब नवाचार से है इनोवेटिव विचार से है जिसके लिए विद्यार्थियों के इंटरेक्शन, इंटरेस्ट को समझना होगा। राष्ट्रगान से समापन हुआ।