आलेख़

ट्रैकिंग यानि लंबी पैदल यात्रा

ट्रैकिंग –

ट्रैकिंग यानि लंबी पैदल यात्रा जिसमे आमतौर पर ग्रामीण इलाकों में पगडंडियों या फुटपाथों पर अथवा पहाड़ो पर चलना शामिल होता है । आनंद के लिए घूमना अठारहवीं शताब्दी के दौरान यूरोप में विकसित हुआ। धार्मिक तीर्थ जो विभिन्न स्थानों पर या पहाड़ो की चोटियों पर स्थित है एवं वहां पंहुचने के लिए लंबी दूरी तय करना शामिल है। यह भी ट्रैकिंग का ही एक हिस्सा है।

देखा गया है कि देश विदेश में लोग शौकिया या फिर मनोरंजन के लिए ग्रुप में ट्रैकिंग में हिस्सा लेते हैं । हमारे देश में ट्रैकिंग धर्म का भी एक हिस्सा है, क्यूंकि बहुत से धार्मिक स्थल पहाड़ों की ऊँची ऊँची चोटियों पर स्थित हैं तथा श्रद्धालु लोग मंदिरो के दर्शन के लिए इतनी लम्बी पहाड़ी दुरी तय करके गंतव्य स्थान तक पंहुचते हैं तथा दर्शन का लाभ उठाते हैं।

 

ट्रैकिंग देश में एक व्यवसाय भी बन गया है। देखा गया है कि बहुत सी संस्थाएं खुल गयी है जो अलग अलग जगह के लिए ट्रैकिंग का आयोजन करते हैं एवं इसमें भाग लेने वालो को एक निश्चित जगह से लेकर पूरा ट्रेक कम्पलीट करवा करवा कर वापिस उसी स्थान तक छोड़ते है। इसके सभी प्रकार के व्यय शामिल रहते हैं। इस तरह के प्रबंध को आजकल बहुत पसंद किआ जा रहा है इनमे आयोजन करने वाला संस्था का मुख्या उद्देश्य लाभ होता है।

हमारे देश में कुछ संसथान ऐसे भी है जिनके उद्देश्य लाभ के अलावा अपने मेंबर को बहुत काम कीमत पर देश के भिन्न भिन्न जगहों पर लेजाना होता है। इसमें अग्रणीय नाम है युथ हॉस्टल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया। इस संस्था द्वारा अपने सदस्यों को बहुत ही काम कीमत पर देश के ऐसे ऐसे जगह पर ट्रैकिंग पर ले जाया जाता है जहाँ शायद ही किसी ने कल्पना की हो। गत माह में ही युथ हॉस्टल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया ने देश के विभिन्न परन्तु में ट्रैकिंग का आयोजन किया। जिसमे लोगो ने बड़े उत्साह से भाग लिए एवं एन्जॉय किआ। ज्ञात रहे कि गत वर्ष कोरोना के कारण मार्च २०२० से देश के लगभग सभी परन्तु में लॉक डाउन लगा रहा है। गत माह में कोरोना के केसेस में कमी आने के कारण अलग अलग राज्यों की सरकार द्वारा ढिलाई दिए जाने के बाद से ट्रैकिंग के लिए लोगों का जानी शुरू हुआ।

ट्रैकिंग में जाने से पहले जो भी संस्था इसका आयोजन करती है वह अपने मेंबर्स को कुछ दिशा निर्देश देती है कि ट्रैकिंग में क्या क्या सावधानियां लेनी है एवं क्या क्या नहीं करना है ताकि ट्रैकिंग के समय उनको कठिनाईयों का सामना ना करना पड़े। ट्रैकिंग में भी अलग अलग ट्रैकिंग ट्रेक होते है जिनमे से कुछ बिगिनर्स के लिए होते है एवं कुछ कठिन ट्रेक होते है इसलिए ट्रैकिंग पर जाने से पहले यह देख लेना जरुरी है कि आप कौन से ट्रेक का चुनाव करते है । शुरुआत में सरल वाले ट्रेक का चुनाव ठीक रहता है। समय के साथ साथ निपुण हो जाने पर कठिन ट्रैकिंग का भी लुत्फ़ उठाया जा सकता है।

हर किसी को अपने जीवन में कम से कम एक बार ट्रेक पर बाहर जरूर जाना चाहिए। यह उतना कठिन या जटिल नहीं है जितना कि एक प्रथम बार ट्रेक पर जाने पर लगता है। वास्तव में, ट्रेकिंग एक आसान गतिविधि है जिसका पूरा परिवार आनंद ले सकता है। कुछ दिशा निर्देशों का ध्यानपूर्वक पालन करने पर यह और भी आसान एवं आनंदित हो जाता है। यकीन मानिये कि एक बार ट्रैकिंग पूरी करके गंतवय स्थान तक पंहुच गए तो वहां का नज़ारा देखके आपको वो आनंद आएगा कि आप रास्ते में हुई सब तकलीफ इत्यादि को भूल जायेंगे।।

Leave a Reply