आलेख़

स्वस्थ रहने के लिए हमारा व्यस्त रहना भी जरूरी

रांची, झारखण्ड  | दिसम्बर  | 21, 2020 ::   शरीर को स्वस्थ रखने के लिए केवल स्वच्छ्ता और उचित आहार ही हमारे लिए आवश्यक नहीं है, बल्कि हमारा व्यस्त रहना भी उतना ही आवश्यक है। क्योंकि हम सभी यह अच्छी तरह से जानते हैं कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। खाली बैठने से कई तरह की अनावश्यक बातें दिलो दिमाग में आने लगती हैं जिससे विभिन्न प्रकार की चिंता उत्पन्न हो जाती है और जिसका सीधा प्रभाव हमारी सेहत पर पड़ता है।
कुछ बातों पर ध्यान देकर हम अपने जीवन को और भी ज्यादा खुशहाल बना सकते हैं।

1, अपनी रुचियों को जगायें।
प्रत्येक व्यक्ति की अपनी अपनी रुचियां होती हैं। अपनी योग्यता और क्षमता के अनुसार अपनी रुचि के साथ कार्य करें। इसका परिणाम यह होगा कि हमारे भीतर अपने कार्यों के प्रति समर्पण की भावना उत्पन्न होगी तथा मस्तिष्क अनावश्यक बातों में उलझने के बजाय आवश्यक बातों में व्यस्त रहेगा। बच्चे, युवक, बुजुर्ग सभी को अपनी रूचि और क्षमता के अनुसार अपने कार्यों में व्यस्त रहना चाहिए।

2, छोटे-छोटे कार्यों में शामिल हों।
बच्चों को छोटे-छोटे कार्यों की जिम्मेदारी दी जा सकती है। जैसे-  स्कूल बैग को रूटीन के अनुसार व्यवस्थित रूप से रखना, अपने खिलौनों को जगह पर रखना, छोटे-छोटे कपड़ों को एक जगह पर रखना आदि।
हमारे लिए यह अच्छा रहेगा कि हम भी अपने आप को सभी तरह के कार्यों में व्यस्त रखें। घर में जो भी अनावश्यक चीजें हैं, उन्हें एक-एक कर हटा दें। घर के बाहर कहीं छोटी सी जगह में भी क्यारी बनाकर फूलों के पौधे लगाये जा सकते हैं। जिससे घर की सुंदरता भी बनी रहेगी और पर्यावरण के प्रति हम जागरूक भी बने रहेंगे। गृहणियों के लिए यह ज्यादा अच्छा होगा कि हर मौसम के अनुरूप साग-सब्जियां लगाई जा सकती हैं। इसका एक फायदा यह होगा कि इस बढ़ती महंगाई में घरेलू बजट भी सीमित रहेगा।

3, बुजुर्गों का व्यस्त रहना भी बहुत ही लाभकारी है।
रिटायरमेंट के बाद खाली बैठे रहने से बुजुर्गों को ब्लड शुगर, हाइपरटेंशन, बीपी आदि की समस्याएं घेर लेती हैं। बुजुर्गों के लिए बेहतर यह रहेगा कि वे छोटे बच्चों को किस्से-कहानियां, अपने जीवन के प्रत्येक छोटे-बड़े उतार-चढ़ाव और उनसे मिलने वाली अनुभवों को अवश्य बतायें।     इससे बच्चों में जीवन को सही नजरिये से जीने की प्रेरणा मिलेगी। क्योंकि इस आधुनिक और भागदौड़ वाली जिंदगी में बच्चे बहुत जल्दी भ्रमित हो जाते हैं।
इसके अलावा बुजुर्गों को मौसम के अनुरूप अपने घर के कैम्पस में टहलने से भी अच्छा लगेगा। खाली समय में डायरी भी  लिख सकते हैं। मनोरंजन के साधनों में भजन,गजल आदि का आनंद लिया जा सकता है।

4, चिंता से रहें दूर।
अक्सर ऐसा देखने में आता है कि हम आज में नहीं जीते हैं। हमेशा भविष्य की चिंता हमें परेशान करती है। भविष्य को सुखमय बनाने के लिए यह जरूरी है कि आज के वर्तमान को अच्छा बनाया जाये। क्योंकि वर्तमान में किये गए अच्छे कार्य ही एक सुनहरे भविष्य का निर्माण करते हैं।
चिंता हमारे स्वास्थ को हर हाल में नुकसान पहुंचाती है। जब हमारा स्वास्थ ही ठीक नहीं रहेगा तो हम अपनी जिंदगी को जिंदादिली से कैसे जी सकते हैं?

गुड़िया झा

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