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सफलता की राह में कारण नहीं,रिजल्ट देनें की गुणवत्ता पर ध्यान दें : गुड़िया झा

सफलता की राह में कारण नहीं,रिजल्ट देनें की गुणवत्ता पर ध्यान दें।
गुड़िया झा
हम सभी अपने जीवन में योग्यता और क्षमता के अनुसार अपना लक्ष्य निर्धारित करते हैं। हमारी यह कोशिश भी होती है कि जल्द से जल्द रिजल्ट प्राप्त कर सफलता की राह में आगे बढ़ें। इस दौरान कई बार बहुत सी बाधाएं भी सामने आती हैं और हम विचलित हो जाते हैं। जिससे हमारा ध्यान सफलता प्राप्ति के मार्ग में बाधा उत्पन्न करता है और हमारा पूरा ध्यान रिजल्ट की तरफ ना जाकर कारण देने पर चला जाता है।अगर हम कारण छोड़ कर रिजल्ट देने की प्रक्रिया पर ध्यान दें,तो बड़ी से बड़ी चुनौतियां भी छोटी नजर आयेंगी। हर अच्छे कार्यों में बाधाएं आती ही हैं और यहीं पर हमारी असल परीक्षा की भी घड़ी होती है।ऐसे में हमें सिर्फ अपने रिजल्ट पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है जो बहुत मुश्किल भी नहीं है।हमारी थोड़ी सी सजगता इसे औरभी आसान बनाती है।
1,रिजल्ट के बारे में खुशी का अनुभव कर कार्य करें।
कई बार हम अपने कार्य पर ध्यान तो देते हैं लेकिन मन में एक अजीब सी शंका बनी रहती है कि पता नहीं हम कामयाब होंगे कि नहीं?
जबकि इसके अनुकूल यदि हम सफलता की खुशी का अनुभव कर अपना पूरा ध्यान लक्ष्य की ओर केंद्रित करें, तो हमारे कार्य करने की प्रक्रिया में भी तेज गति आयेगी और निश्चित ही हम सफलता की ओर बढ़ेंगे।हमारा 100% योगदान ही आगे बढ़ने में हमारी मदद करेगा।
कई बार पूर्ण योगदान देते हुए भी हम कामयाब नहीं हो पाते हैं,तो ऐसे में घबराने की बजाय अपनी तरफ से क्या कमी रह गयी, इस पर ध्यान दें, सफलता निश्चित ही प्राप्त होगी।
2, सकारात्मक सोच बनाये रखें।
अपनी सोच को हमेशा सकारात्मक रखें और ऐसे ही सोच वाले लोगों के संपर्क में रहें।हमारी संगति और सोच का जीवन पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है। जैसा हम सोचते हैं, उसी के अनुसार हमारा मस्तिष्क कार्य करने के लिए हमें प्रेरित करता है। इसलिए हमेशा सकारात्मक ही सोचें।
3, आलोचनाओं से घबरायें नहीं।
जीवन में सफलता और असफलता दोनों ही आते हैं। कई बार हमें आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ता है और हम कुण्ठा के शिकार हो जाते हैं।
आलोचनाओं से घबराकर पीछे हटने की बजाय अपने कार्य की गति में आगे बढ़ते रहें। आलोचनाओं को अपना प्रमाणपत्र ना मानकर सफलता की खुशी का अनुभव करें। कोई कुछ भी कहे, हमारी अपनी अंतरात्मा सबसे बड़ी अदालत है। कहा जाता है कि भगवान हृदय में रहते हैं, तो हमेशा अपनी अंतरात्मा की सुनें। क्योंकि अंतरात्मा कभी गलत रास्ते पर जाने की इजाजत नहीं देती है।

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