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पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान के लिए राज्य स्तरीय एक्शन प्लान पर काम करने की जरूरत : वंदना दादेल

राची, झारखण्ड | जून | 05, 2024 ::

वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग (झारखंड सरकार), झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद और सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) के संयुक्त तत्वावधान में विश्व पर्यावरण दिवस से संबंधित कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान वन, भूमि, जल एवं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पर्यावरण कार्यकर्ताओं, संयुक्त वन प्रबंधन समिति एवं वन सुरक्षा समिति के सदस्यों एवं अन्य संस्थाओं को सम्मानित किया गया। पर्यावरण दिवस की थीम के अनुरूप गत 26 मई को शुरू हुए दस दिवसीय अभियान का मुख्य उद्देश्य भूमि संरक्षण को बढ़ावा देने, सुखाड़ की स्थिति से निबटने और भू-क्षरण को रोकने के मुद्दे पर जन जागरूकता फैलाना एवं सामुदायिक पहल को प्रोत्साहित करना था।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि श्रीमती वंदना दादेल (आईएएस), प्रधान सचिव, वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग, झारखंड सरकार ने कहा कि राज्य सरकार समावेशी विकास प्राप्त करने के लिए पर्यावरण संरक्षण और सततशील प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। चूंकि झारखंड को पारम्परिक रूप से हरित एवं सुरम्य प्रदेश के रूप में जाना जाता है, इसलिए हमारे सम्मलित प्रयासों से राज्य को पर्यावरण संरक्षण एवं सततशील विकास का एक उच्च मानदंड कायम रखना चाहिए। राज्य में भू-क्षरण आदि पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान के लिए राज्य स्तरीय एक्शन प्लान पर काम करने की जरूरत है। हमें सततशील जीवनशैली पर आधारित पारंपरिक ज्ञान और आदिवासी समुदायों की विरासत का अनुकरण करना चाहिए।

झारखंड देश में जलवायु परिवर्तन के लिहाज से सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है, जो लगातार सुखाड़ और भू-क्षरण की तीव्र दर की समस्या का सामना कर रहा है। इस लिहाज से इस वर्ष के विश्व पर्यावरण दिवस की थीम झारखंड के लिए विशेष महत्व रखती है।

अभियान के व्यापक संदर्भ एवं उद्देश्य के बारे में डॉ. संजय श्रीवास्तव (आईएफएस), प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल प्रमुख, झारखंड सरकार ने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस एक प्रेरणादायी दिन है, जो हरेक व्यक्ति के योगदान के महत्व को रेखांकित करता है। वैज्ञानिक अध्ययनों एवं देशी ज्ञान के अनुरूप स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी से हम सार्थक बदलाव ला सकते हैं। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने, भूमि, जल एवं वन सम्पदा के नुकसान को रोकने, लोगों की आजीविका सुरक्षित करने के लिए एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का होना नितांत आवश्यक है।

इस अवसर पर झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अध्यक्ष शशिकर सामंत (आईएफएस) ने कहा कि वैज्ञानिक समाधानों और स्थानीय स्तर पर सततशील कदम उठा कर हम जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम कर सकते हैं, वातावरण में कार्बन फुटप्रिंट को कम कर सकते हैं और सभी के लिए खुशहाल भविष्य तैयार कर सकते हैं।

कार्यक्रम के दौरान प्रसिद्ध पर्यावरणविद् पद्मश्री श्याम सुंदर पालीवाल ने कहा कि सततशील प्रयासों को अपनाकर, पारंपरिक ज्ञान का सम्मान करके और प्रकृति के साथ संबंध को बढ़ावा देकर बेहतर भविष्य बना सकते हैं। उन्होंने राजस्थान के राजसमंद जिले के पिपलांत्री गांव में भूमि एवं जल संरक्षण के अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि बालिका के जनमोत्स्व के समय 111 पौधे लगाने के उनके अभियान को इतना जनसमर्थन मिला कि कभी सूखे, जल संकट और खनन क्षेत्र के रूप में जाने जानेवाला गांव पिपलांत्री अब एक मॉडल के रूप में उभर रहा है। उन्होंने जोर दिया कि पर्यावरण संरक्षण को पारम्परिक विश्वास एवं रीति-रिवाज से जोड़ने से सफलता मिलने की सम्भावना बढ़ जाती है।

सिद्धार्थ त्रिपाठी (आईएफएस), मुख्य वन संरक्षक-अनुसंधान (झारखंड सरकार) ने इको-रिस्टोरेशन के उपायों, सुखाड़ की स्थिति से निबटने और भू-क्षरण को रोकने से संबंधित स्थानीय स्तर पर सामुदायिक पहल एवं समाधान आधारित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया।

सीड के सीईओ रमापति कुमार ने वैज्ञानिक समाधानों के अनुरूप दीर्घकालिक एवं अल्पकालिक रणनीतियों, विविध विभागों एवं स्टेकहोल्डर्स के बीच कन्वर्जेन्स एवं समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया।

कार्यक्रम के दौरान राज्य के विविध ग्रामीण इलाकों में कार्यरत संयुक्त वन प्रबंधन समितियों एवं वन सुरक्षा समितियों के प्रतिनिधियों गंगाधर महतो, चिंता देवी, अम्बिका महतो, अभिषेक आनंद, बद्री महतो, शम्भू बड़ाईक आदि को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया। साथ ही स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थानों पर विभिन्न रचनात्मक गतिविधियों के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।

राज्य के सभी 24 जिलों में गत 26 मई को शुरू हुए अभियान ने एक हजार से अधिक गतिविधियों के जरिये दस लाख से अधिक लोगों से प्रत्यक्ष संवाद स्थापित किया। अभियान के तहत वन विभाग, अन्य विभागों तथा शहरी स्थानीय निकायों के तत्वावधान में सार्वजनिक गतिविधियाँ आयोजित की गईं, जिन्हें राज्य भर के सिविल सोसाइटी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, महिलाओं और युवा समूहों और नागरिकों द्वारा व्यापक रूप से समर्थन मिला।

 

 

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