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बीमारियों की पहचान और उसके समुचित इलाज के लिए पूरे राज्य का हेल्थ रिपोर्ट कार्ड बनाने की है जरूरत : हेमन्त सोरेन

राची, झारखण्ड  | मार्च |  21, 2025 ::

यूनिसेफ के द्वारा झारखंड विधान सभा के सहयोग से आज ‘‘स्वस्थ आहार के माध्यम से गैर-संचारी रोगों की रोकथाम’’ विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन झारखंड विधानसभा भवन में विधानसभा अध्यक्ष रविन्द्र नाथ महतो की अध्यक्षता में किया गया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस कार्यशाला का उद्देश्य बच्चों एवं युवाओं में गैर-संचारी रोगों के बढ़ते दुष्प्रभाव और इन्हें रोकने में स्वस्थ आहार की भूमिका के बारे में विधायकों को अवगत कराना था, ताकि इस विषय को लेकर समाज में जागरूकता का वातावरण तैयार किया जा सके।

कार्यक्रम में झारखंड के माननीय पर्यटन, कला, संस्कृति, खेल एवं युवा मामलों के मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू; पेयजल एवं स्वच्छता तथा उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री योगेंद्र प्रसाद के अलावा माननीय विधायक श्रीमति कल्पना सोरेन, सुरयू राय, जयराम महतो, श्रीमती ममता देवी, श्रीमती श्वेता देवी के अलावा विभिन्न दलों के लगभग 43 विधायकों ने परिचर्चा में हिस्सा लिया और अपने विचार साझा किए।

परिचर्चा में भाग लेते हुए माननीय विधायकों एवं यूनिसेफ के विशेषज्ञों ने बचपन जनित गैर-संचारी रोगों जैसे मोटापा, एनीमिया, बचपन में होने वाले डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और कुपोषण जैसे मुद्दों पर चर्चा की, जो कि मुख्य रूप से अस्वास्थ्यकर आहार, शारीरिक गतिविधियों की कमी तथा पोषण संबंधी जागरूकता के अभाव के कारण होते हैं।

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि हमारी जिंदगी के लिए खतरनाक बनती जा रही कैंसर और हृदय रोग जैसी गैर संचारी बीमारियों से बचने के लिए हमें अपनी जीवन शैली में बदलाव लाने के साथ खान- पान में हेल्दी डायट्स के इस्तेमाल एवं ज्यादा से ज्यादा शारीरिक गतिविधियों (फिजिकल एक्टिविटीज) पर फोकस करने की जरूरत है। अगर हम लापरवाही बरतते हैं तो आगे चलकर ऐसी बीमारियों के इलाज में काफी खर्च करना पड़ सकता है, वहीं पूर्ण स्वस्थ होने की गारंटी भी नहीं दी जा सकती है।

* पूरे राज्य का हेल्थ रिपोर्ट कार्ड बनाने पर जोर

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज तरह-तरह की बीमारियां तेजी से फैल रही है। ये बीमारियां कैसे और किन लोगों को अपनी चपेट ले रही है , इसकी पूरी जानकारी होनी चाहिए । इसके लिए राज्य स्तर पर हेल्थ रिपोर्ट कार्ड बनाने पर विशेष जोर है, ताकि बीमारी का प्रॉपर ट्रीटमेंट संभव हो सके । मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं को आधुनिक और बेहतर बनाने के लिए हमारी सरकार लगातार कार्य कर रही है, ताकि लोगों को होने वाली बीमारी की पहचान के साथ उसके समुचित इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित हो।

* राज्य के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग बीमारियां व्याप्त

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के कई ऐसे हिस्से हैं, जहां लोगों में विशेष तरह की बीमारियां ज्यादा देखने को मिलती है। सिमडेगा जैसे जिलों में सिकल सेल और एनीमिया जैसी बीमारियां आम है, तो साहिबगंज और संथाल के हिस्सों में कालाजार का प्रभाव ज्यादा है । ऐसी और भी कई बीमारियां हैं, जो क्षेत्र विशेष में विशेष रूप से लोगों को हो रही है। ऐसे में क्षेत्र विशेष तथा वहां व्याप्त बीमारियों को चिन्हित कर उसके समुचित इलाज की व्यवस्था सरकार द्वारा की जा रही है, ताकि उन इलाकों में रहने वाले लोगों और उनकी आने वाली पीढियां को ऐसी बीमारियों से बचाया जा सके।

* अपने खान-पान में मिलेट्स का करें उपयोग, जंक फूड्स से रहें दूर

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज नई-नई बीमारियां तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रही है। इसके पीछे कहीं ना कहीं सबसे बड़ी वजह हमारा खान-पान है । आज ज्यादा से ज्यादा जंक फूडस का इस्तेमाल बच्चों को बीमार बना रहा है और आगे चलकर उन्हें कई गंभीर बीमारियां भी हो रही है । अगर हमें अपने को स्वस्थ रखना है, तो अपने खान-पान में लोकल इंडिजिनस फूड्स ( मिलेट्स) लेना होगा। बच्चों को जंक फूड्स की बजाय हेल्दी डाइट्स दें। आज हमें अपने फूड हैबिट्स में बदलाव लाना बेहद जरूरी है।

 

* जन्म के साथ होने वाली बीमारियों की जांच के साथ इलाज की व्यवस्था होनी चाहिए

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि कई बच्चों में जन्म के साथ कई बीमारियां हो जाती है। बीमारियों का अगर समय पर इलाज नहीं हुआ तो बच्चे की स्थिति काफी खराब हो सकती है । ऐसे में जरूरी है कि नवजात में होने वाली बीमारियों की प्रॉपर जांच के साथ उसका तुरंत समुचित इलाज होना चाहिये। इस दिशा में भी हमारी सरकार ने कई ठोस कदम उठाया हैं, ताकि बच्चों को रोग मुक्त रख सकें।

 

* यूनिसेफ जैसे संस्थाओं की भागीदारी काफी सराहनीय

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड के दूर- दराज के इलाकों में रहने वाले गरीब ग्रामीणों तक स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने में यूनिसेफ जैसी संस्थाओं की अहम भागीदारी रही है। आज राज्य सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं के साथ मिलकर हर व्यक्ति तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने के लिए संकल्पित है। हमारा प्रयास है कि जंगल, पहाड़ों, तलहटी और सुदूरवर्ती क्षेत्र में रहने वाले लोगों को भी इलाज की अच्छी सुविधा उपलब्ध करा सकें और इसमें स्वयंसेवी संस्थाएं अहम भूमिका निभा सकती हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कई रोगों के उन्मूलन की दिशा में सरकार लगातार काम कर रही है और इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं।

झारखंड विधानसभा के माननीय अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो ने कहा, ‘‘आज की चर्चा हम सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वर्तमान ट्रेंड्स से पता चलता है कि गैर-संचारी रोग बच्चों एवं युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है, जिसके कारण बच्चों को कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बचपन जनित गैर-संचारी रोगों और मोटापे के बढ़ते मामलों के लिए जंक फूड की बढ़ती खपत भी एक गंभीर चिंता का विषय है। हमें इस चुनौती का समाधान करने के लिए एकजुट होकर कार्य करने की आवश्यकता है।’’

 

उन्होंने आगे कहा, ‘‘एक नीति-निर्माता के रूप में, यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस मुद्दे पर सार्वजनिक चर्चा करें, जागरूकता निर्माण करें और ऐसी नीतियां बनाएं जो स्वस्थ खान-पान को बढ़ावा दे और गैर-संचारी रोगों की रोकथाम करें। हमें अपने बच्चों को गैर संचारी रोगों से बचाने के लिए पोषण कार्यक्रमों को मजबूत बनाना होगा तथा बच्चों के लिए पौष्टिक आहार को बढ़ावा देना होगा, ताकि वे एक स्वस्थ और रोगमुक्त वातावरण में बड़े हो सकें। हमें स्कूलों में दिए जाने वाले भोजन कार्यक्रमों को भी मजबूत बनाने की कोशिश करनी होगी, ताकि प्रत्येक बच्चे को पौष्टिक भोजन मिल सके। हमें अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों की मार्केटिंग और बिक्री को नियंत्रित करने के तरीकों पर भी विचार करना चाहिए, विशेष रूप से स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों के आसपास बिकने वाले अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों की बिक्री को। हमें प्रोसेस्ड और पैकेज्ड खाद्य पदार्थों की जगह स्थानीय, मौसमी और पारंपरिक खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देना चाहिए।’’

 

विधायक श्रीमती कल्पना सोरेन ने कहा, ‘‘इस चर्चा से हमें गैर-संचारी रोगों के कारण बच्चों को होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली। यूनिसेफ और विधान सभा के सहयोग से आयोजित इस परामर्शी बैठक से यह स्पष्ट होता है कि रोकथाम और देखभाल के लिए नीतिगत समाधान तत्काल आवश्यक हैं। एक विधायक के रूप में हमारी जिम्मेदारी है कि हम स्वास्थ्य देखभाल पहलों का समर्थन करें और सभी लड़कों और लड़कियों के लिए एक स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करें।’’

 

उन्होंने जंक फूड की खरीद-बिक्री को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि बच्चे अस्वास्थ्यकर विकल्पों के बजाय स्थानीय रूप से उपलब्ध खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता दें। उन्होंने कहा, ‘‘यह देखा गया है कि हमारे राज्य का कभी मुख्य भोजन बाजरा अब कम मात्रा में खाया जा रहा है। इस प्रवृत्ति को घर से ही बदलने की जरूरत है। हमें यह समझना होगा कि जंक फूड का लंबे समय तक सेवन हमारे बच्चों के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है, और एक नीति-निर्माता के रूप में, यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपने भविष्य की रक्षा करें।’’

 

यूनिसेफ की झारखंड प्रमुख, डॉ. कनीनिका मित्र ने राज्य में कुपोषण और बचपन जनित गैर-संचारी रोगों से निपटने में यूनिसेफ की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा, ‘‘गैर-संचारी रोग बच्चों एवं किशोरों के लिए एक बढ़ता हुआ खतरा है। ये बीमारियां बच्चों एवं किशोरों के स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और खेलने के अधिकारों को कमजोर करती हैं। जब तक बच्चों में गैर-संचारी रोगों का समाधान नहीं किया जाता, तब तक सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) को प्राप्त नहीं किया जा सकता। इसका समाधान स्वस्थ आहार को बढ़ावा देकर तथा पैकेज्ड खाद्य पदार्थों के बजाय पौष्टिक भोजन को अपनाने से किया जा सकता है।’’

 

यूनिसेफ की संचार विशेषज्ञ, आस्था अलंग ने बैठक की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा, ‘‘बच्चों में बढ़ता गैर-संचारी रोग सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चुनौती है और इसके समाधान के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। विधायकों के साथ परिचर्चा के माध्यम से हमारा उद्देश्य विधायकों को उन जानकारियों और रणनीतियों से अवगत कराना हैै, जिसके माध्यम से गैर संचारी बीमारियों के रोकथाम और नियंत्रण हेतु नीतियों को आगे बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही विधायकगण अपने प्रभाव क्षेत्र के माध्यम से एक स्वस्थ भविष्य के निर्माण में योगदान दे सकते हैं। बचपन और किशोरावस्था के दौरान बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण को अपनाकर किए गए उपायों के माध्यम से इसकी व्यापकता को काफी हद तक कम किया जा सकता है, क्योंकि गैर संचारी बीमारियों के खतरे आमतौर पर बचपन में ही विकसित होते हैं।’’

 

तकनीकी सत्र के दौरान, यूनिसेफ के पोषण विशेषज्ञ प्रीतीश नायक और यूनिसेफ के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. वनेश माथुर ने बच्चों में बढ़ रहे गैर-संचारी रोगों और उनके दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में प्रेजेंटशन के माध्यम से विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग, जो पहले केवल वयस्कों में देखे जाते थे, अब वह गलत खानपान और निष्क्रिय जीवनशैली के कारण बच्चों में भी देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि बच्चे और किशोर अक्सर उन कंपनियों के निशाने पर होते हैं, जो अस्वास्थ्यकर उत्पाद (जैसे तंबाकू, शराब और उच्च वसा, चीनी और नमक वाले खाद्य पदार्थ) बेचते हैं। इसके अलावा, कई बच्चे ऐसे वातावरण में बड़े हो रहे हैं, जो स्वस्थ आदतों को अपनाने के अनुकूल नहीं हैं, जैसे कि शहरी क्षेत्रों में खेल-कूद के सीमित अवसर, असुरक्षित सड़कें, और वायु प्रदूषण आदि। उन्होंने जोर दिया कि स्थानीय रूप से उपलब्ध फल, सब्जियां तथा पारंपरिक अनाज से भरपूर संतुलित आहार, बच्चों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य परिणामों को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।

 

परिचर्चा का समापन सरकार, स्वयंसेवी संगठनों तथा नीति-निर्माताओं को गैर-संचारी बीमारी के रोकथाम के लिए एक मंच पर आने तथा संयुक्त कार्यवाही के माध्यम से सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों को बल प्रदान करने के साथ किया गया, ताकि झारखंड में बचपन जनित गैर-संचारी रोगों के प्रसार को रोका जा सके।

 

 

 

 

 

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