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शिक्षक को विद्यार्थी के मनोमय एवं आनंदमय का भी ध्यान रखना चाहिए : डॉ. चाँद किरण सलूजा

 

शिक्षक को विद्यार्थी

 

राची, झारखण्ड  | जून |  23, 2025 ::

झारखंड राय विश्वविद्यालय रांची में पिछले दो दिनों से चल रहे राष्ट्रीय कार्यशाला ” चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास ” का सोमवार को समापन हो गया। तीन दिनों के दौरान कुल बारह सत्र आयोजित हुए। पूर्व के दो दिन में पंचकोश के पांच कोशों अन्नमय कोश, प्राणमय कोश, मनोमय कोश, विज्ञानमय कोश और आनंदमय कोश पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गयी। अभ्यास सत्र आयोजित हुए जिसमें समूह चर्चा, विचार और कार्य के तरीकों पर प्रतिभागियों ने रोड मैप तैयार किया। पर्यावरण एवं स्वक्षता को लेकर विशेष संभाषण हुआ। तीसरे और कार्यशाला के अंतिम दिन नौवें सत्र का विषय “पढ़ाने की कला ” पर डॉ ० चाँद किरण सलूजा (अकादमिक निदेशक संस्कृत संवर्धन प्रतिष्ठानम नयी दिल्ली ) ने विस्तार पूर्वक अपनी बातें रखी। डॉ ० सलूजा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में निर्दिष्ट बातों की चर्चा करते हुए कहा की इस निति का उद्देश्य शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार करना है जिसमें उच्च शिक्षा में सुधार सुधार भी शामिल है। उन्होंने बताया की ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं की पूर्ति करने , शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने, नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये नई शिक्षा नीति की आवश्यकता थी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में शिक्षा की पहुँच, समता, गुणवत्ता, वहनीयता और उत्तरदायित्व जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया है।

मूल विषय पढ़ाने की कला की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा की पढ़ाने की कला के साथ पढने की कला भी आवश्यक है। विद्यार्थी के साथ शिक्षक को भी यह ज्ञान होना आवश्यक है। उन्होंने कहा की कुशल शिक्षक को विद्यार्थी के मनोमय एवं आनंदमय का भी ध्यान रखना चाहिए। व्यक्तित्व निर्माण की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा की शिक्षक संवाद, संचार, बौद्धिक संवाद एवं करुणा भाव के साथ कार्य करते हुए इसमें भी योगदान कर सकता है।

 

राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन अवसर पर न्यास के राष्ट्रीय कोशाध्यक्ष सुरेश गुप्ता जी का संबोधन हुआ। इस अवसर पर न्यास के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ० राजेश्वर परासर भी उपस्थित थे।

झारखंड राय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० (डॉ०) पीयूष रंजन ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा की तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला को सफल बनाने में न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ ० अतुल भाई कोठारी की मुख्य भूमिका रही उनके मार्गदर्शन में ही इसकी रूप रेखा तय की गयी। मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित कुलाधिपति डॉ ० अजय कुमार तिवारी , डॉ ० मनोहर भंडारी, डॉ० चाँद किरण सलूजा एवं डॉ० राजीश्वर पराशर ने पंच कोश और चरित्र निर्माण पर विस्तारपूर्वक अपनी बातें रखी जो प्रतिभागियों के लिए संग्रहनीय है। उन्होंने राष्ट्रीय कार्यशाला में अन्य प्रदेशों से पहुंचे प्रतिभागियों एवं राज्य के अन्य जिलों से आये प्रतिभागी शिक्षकों का भी धन्यवाद किया।

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