रांची , झारखण्ड | जून | 17, 2020 :: योग में सूर्य नमस्कार अर्थात सूर्य को नमन करना ।
अक्षयोपनिषद मे सूर्य को ईश्वर का रूप माना गया है ।
अलग अलग उपनिषदों में सूर्य को परम चेतना से तुलना की गई है।
हमारे पूर्वजों ने इसे ब्रह्म ज्ञान की संज्ञा दी है ।
सूर्य नमस्कार के द्वारा हम सूर्य को, जो जीवनी शक्ति का स्वरूप है, उसे शारीरिक मानसिक एवं आध्यात्मिक रूप से प्रणाम करते हैं।
आज के आधुनिक युग में सूर्य नमस्कार की उपयोगिता काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि मनुष्य धीरे धीरे शारीरिक स्तर पर कमजोर एवं मानसिक स्तर पर तनावग्रस्त होता जा रहा है ।
इस तनाव को दूर करने तथा विभिन्न प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक रोगों के उपचार में यह एक प्रभावी पद्धति माना जा रहा है।
यह अभ्यास संपूर्ण चक्रो, पंचप्राण तथा पंचकोश को प्रभावित करता है ।
परंतु विशेष रुप से मणिपुर तथा आज्ञा चक्र पर प्रभाव डालता है, जो मनुष्य में आत्मविश्वास, अंतर्ज्ञान तथा रचनात्मक शक्ति को बढ़ाता है ।
यह अभ्यास शरीर में मांसपेशियों, जोड़ो तथा तथा सभी आंतरिक अंगों की मालिश करता है तथा उनकी छमता
को बढाता है।
मेरुदंड के लचीला होने से शरीर तथा मस्तिष्क के बीच सामंजस्य काफी बेहतर हो जाता है ।
इसके अभ्यास से मन शांत होता है जिससे स्मरण शक्ति तथा एकाग्रता में काफी बढ़ोतरी होती है।
इस अभ्यास को श्वास प्राश्वास, मंत्र तथा बीज मंत्र के साथ करते हैं।
विशेष प्रभाव के लिए गायत्री मंत्र के साथ भी सूर्य नमस्कार किया जा सकता है ।
यह अभ्यास व्यक्तित्व के विकास में काफी सहायक है ।
कई बीमारियों के इलाज के लिए सर्वोत्तम साधन है, जैसे मधुमेह अवसाद से संबंधित रोग, पाचन तंत्र संबंधित रोग इत्यादि।
सूर्य नमस्कार के 12 चरणों का अभ्यास दो बार पूरा करने पर एक चक्र की आवृत्ति होती है
सूर्य नमस्कार के मंत्र
सूर्य नमस्कार में बारह मंत्र बोले जाते हैं। प्रत्येक मंत्र में सूर्य का भिन्न नाम लिया जाता है। हर मंत्र का एक ही सरल अर्थ है- सूर्य को (मेरा) नमस्कार है। सूर्य नमस्कार के बारह स्थितियों या चरणों में इन बारह मंत्रों का उचारण जाता है।
ॐ मित्राय नमः।
ॐ रवये नमः।
ॐ सूर्याय नमः।
ॐ भानवे नमः।
ॐ खगाय नमः।
ॐ पूष्णे नमः।
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।
ॐ मरीचये नमः।
ॐ आदित्याय नमः।
ॐ सवित्रे नमः।
ॐ अर्काय नमः।
ॐ भास्कराय नमः।
डॉ परिणीता सिंह
( गेस्ट फैकल्टी योग विभाग रांची विश्वविद्यालय एवं सेक्रेटरी योग मित्र मंडल रांची )