आलेख़

विद्यार्थी तुम अधीर नहीं, धीर बनो : अर्पणा सिंह

अर्पणा सिंह विद्यार्थी
विद्यार्थी तुम अधीर नहीं धीर बनो ।।
अपनी मंजिल के लिए अटल और गंभीर बनो।।
ये कठिन वक्त भी गुजर जाएगा ।।
तुम्हें तुम्हारी मंजिल भी मिल जाएगी।।
इस कठिन वक्त से घबराकर,
मुँह मोड़ कर नहीं बल्कि सतर्कता और
सजगता के साथ अपनी कमियों को दरकिनार कर ।।
फिर ये बुरा वक्त भी तुम्हारा बन जाएगा ।।
जो तुम्हे अपनी मंजिल तक पहुँचाएगा।।
बस ज़रूरत है वक्त को बहुमूल्य समझने की।।
उसे अपने अनुकूल करने की
अपने मेहनत के पंख लगाकर तितलियों की तरह मंजिल की तरफ़ बढ़ने की।
विद्यार्थी तुम अधीर नहीं धीर बनो,
अपनी मंजिल के लिए अटल और गंभीर बनो ।।
वक्त कितना भी बुरा क्यों न हो ?
उसका सम्मान कर जो सदुपयोग करेगा
फिर वह उसके जीवन में खुशियाँ लाएगा।
जो हमेशा तुम्हें अपनी याद दिलाएगा
विद्यार्थी तुम अधीर नहीं धीर बनो,
अपनी मंजिल के लिए अटल और गंभीर बनो।
जो अपने आंतरिक ताकत को समझेगा।।।
इस कठिन वक्त के कसौटी पर खरे उतरेगा।
अपने में हीरे की चमक लाएगा। वह अपनी मंजिल तक खुद पहुँच जाएगा ।
विद्यार्थी तुम अधीर नहीं धीर बनो ।
काश कि ये वक्त थम जाता
मुझे तुम्हारी भावनाओं को पंख लगाने का मौका मिल जाता।
पर तुम अधीर नहीं धीर बनो
अपनी मंजिल के लिए अटल और गंभीर बनो ये कठिन वक्त भी गुजर जाएगा ।।
तुम्हें तुम्हारी मंजिल मिल जाएगा।।
कितनों ने अपनी मंजिल पाई
कितनों ने नई पहचान बनाई
तुम भी उसमें शामिल हो जाओगे ।
अपनी मंजिल को पाओगे
जो तुम्हें एक नई पहचान दिलाएगा।।
तुम्हारे मेहनत का इनाम दिलाएगा ।।
तो विद्यार्थी तुम अधीर नहीं धीर बनो ।।
अपनी मंज़िल के लिए अटल और गंभीर बनो |

 

लेखिका ङी ऐ भी कपिलदेव, कडरू की शिक्षिका है

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