आलेख़

समस्याओं में भी छिपा समाधान : गुड़िया झा

 

अक्सर हम अपने जीवन में समस्याओं पर ज्यादा बातें करते हैं। समस्याओं पर बातें करते रहना आसान है और आसान काम करने वाले हमेशा ही ज्यादा संख्या में होते हैं। हम सोचते हैं कि सिर्फ समस्याओं पर बातें करते रहने से उनका समाधान भी हो जायेगा। हम भले ही इसे स्वीकार न करें, पर अपने अभावों की शिकायत करना, अपने हालातों को कोसना हमें अच्छा लगता है। लेकिन, हर समय अपनी समस्याओं पर बातें करना, हमारी अपनी हिस्से की जिम्मेदारियों से बचने का बहाना भी है। लीडरशिप कोच ब्रायन टेसी कहते हैं, ‘ लीडर समाधान के बारे में बातें करते व सोचते हैं। समस्याओं के बारे में सोचने और बातें करने वाले पीछे रह जाते हैं।’
ये बात भी सच है कि अगर हम सिर्फ समस्याओं के बारे में ही सोचेंगे, तो चारो तरफ समस्याएं ही दिखाई देंगी। इसके अलावा जब हम इन समस्याओं को थोड़ा नजरअंदाज कर उनके समाधान पर ध्यान देंगे तो धीरे-धीरे रास्ते भी दिखाई देने लगेंगे।
1, अपना नजरिया बदलें।
कई बार तो ये भी होता है कि हमारे गलत नजरिये के कारण समस्याओं का दायरा बड़ा दिखने लगता है, तो कई बार हम विपरीत परिस्थितियों को ही अपनाने के लिए तैयार नहीं होते हैं। इन दोनों ही स्थिति में हम इतने उलझ जाते हैं कि इनके समाधान की तरफ हमारा ध्यान ही नहीं जाता है।
जबकि इसके अनुकूल हम अपने मन को शांत रख कर अपने नजरिये की दिशा को सही कर समस्याओं की मूल जड़ तक पहुंच कर उसके समाधान के बारे में गहराई से सोचेंगे और उस दिशा में अपने कदम आगे बढ़ाएंगे , तो समाधान के रास्ते अपने आप ही मिलते जायेंगे।
कुछ भी हमेशा स्थायी नहीं रहता है। जो परिस्थिति आज है, कोई जरूरी नहीं कि आने वाले समय में वो हमेशा उसी तरह बनी रहेगी। हमारी सोच, हमारी काम करने के ढंग पर बड़ा असर डालती है। ऐसा नहीं है कि हमारी बेहतरी के रास्ते नहीं होते, पर हम उन्हें देख नहीं पाते। हम हालात को कोसते हैं। अगर हम खुद को फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं तो हालात से भागने की बजाय परिस्थितियों को अपनाकर और उनका सामना कर ही उस पर जीत हासिल कर सकते हैं। हम जो चाहते हैं उस पर अपना फोकस बनायें और धीरे-धीरे उस ओर बढ़ते रहें। बौद्ध गुरु दलाई लामा का कहना है, ‘ खुशी रेडिमेड नहीं मिलती, इसे हम अपनी कोशिशों से बनाते हैं।’
2, धीरज रखें।
कुछ भी एक दिन में नहीं हो जाता है। पुरानी आदतें और विचार बीच-बीच में रूकावटें पैदा करती हैं। ऐसे में अगर कुछ बदलाव करने जा रहे हैं, तो लगातार उस नये काम और बदलाव के लिए खुद को प्रेरित बनाये रखें। खुद को बदलना भी एक बहुत बड़ी चुनौती है।हमें रोज ही कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कुछ गलत हो जाये तो अफसोस करने की बजाय उसमें सुधार की प्रक्रिया को निरंतर बनाये रखें। धीर-धीरे हमारा तन और मन नई आदतों के लिए तैयार होना शुरू हो जायेगा। धीरज खोना हमारी तरक्की में बाधा पहुंचाता है।

 

गुड़िया झा

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