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पर्यावरण मेले के सातवें दिन ‘‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उदय और पर्यावरण पर इसका प्रभाव’’ विषय पर परिचर्चा

राची, झारखण्ड  | फरवरी | 28, 2023 :: राँची के मोरहाबादी मैदान में चले रहे पर्यावरण मेले के सातवें दिन ‘‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उदय और पर्यावरण पर इसका प्रभाव’’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।

इस परिचर्चा के लिए मुंबई से आये मुख्य वक्ता एवं मुंबई से आये विटी रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष, श्री कुन्दन कुमार लाल ने अपने व्याख्यान में कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी (कृत्रिम बुद्धिमता) एक तकनीकी है, जिसे विश्व के कई देश इस्तेमाल कर रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी मानव समाज एवं सभ्यता के लिए एक वरदान है।

एआई से आप उन हर क्षेत्रों में असाधारण सफलता प्राप्त कर सकते हैं, जो अब तक आपके लिए अबूझ है या जो अबतक असंभव था।

झारखंड जैसे राज्य में पानी, ऊर्जा, खनन, वन, कृषि, पर्यावरण एवं प्रदूषण जैसे ऐसे कई विषय है, जिनपर एआई के माध्यम से काफी काम कम समय में किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार को इस क्षेत्र में अपना बजट बढ़ाने की अत्यंत आवश्यकता है।

अमेरिका ने भारत के कुल बजट से भी ज्यादा एआई में निवेश किया है और अमेरिका में इसका असर दिख रहा है।

वहां पर भारत के मुकाबले कम मानव संसाधन का उपयोग कर अधिकतम उत्पादन कर रहा है। भारत के पड़ोसी चीन ने एआई की महता को समय पर पहचान कर आज तकनीक की नई इबारत लिख रहा है।

कई ई.कॉमर्स कम्पनियाँ एआई का उपयोग कर अपने एक तिहाई लागत को कम कर रहा है।

आज दुनिया के 90 प्रतिशत लोगों का पैसा मात्र 10 प्रतिशत धनकुबेरों के पास है। एआई के कारण आने वाले समय में 99 प्रतिशत लोगों का पैसा मात्र 01 प्रतिशत सुपर रिच लोगों के हाथ में चला जायेगा।

एक शोध के मुताबिक 2030 के बाद यूरोप निवासियों को ड्राईविंग लाईसेंस नहीं मिलेगा, सारी गाड़िया स्वचालित होंगी।

आनेवाले वक्त में एआई स्वयं आविष्कार करने में सक्षम होंगे।
श्री कुंदन कुमार लाल ने कहा कि एआई के इस्तेमाल से भारत जैसे बेरोजगारों से भरे देश में तो और भी स्थिति खराब होगी।

इसमें दर्द तो होगा पर आपको फैसला इसी में करना होगा। आपने एक पक्ष देखा कि बेरोजगारी बढ़ जाएगी।

आप दूसरे पक्ष को देखें कि हमारी जो नई जेनरेशन तैयार हो रही है, वो अलग-अलग प्रोडक्ट तैयार करके हजारों-लाखों लोगों को नौकरी भी तो देगी। तय आपको करना है कि आधा गिलास पानी है या आधा गिलास खाली है। वैसे भी, तकनीकी जिस तरीके से आगे बढ़ रही है, भारत में जिस तरीके से मल्टीनेशनल कंपनियां काम कर रही हैं, उस हिसाब से एक दौर वो भी आएगा, जब वे एआई पर ज्यादा भरोसा करेंगी।

फिर वो मैनपॉवर का इस्तेमाल क्यों करेंगी, यह भी सोचने वाली बात है। यह एक ऐसा दौर है, जिसमें आप अगर अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर नहीं चलेंगे तो बहुत पीछे रह जाएंगे।

इस परिचर्चा के सम्मानित अतिथि एवं झारखण्ड के प्रथम मुख्यमंत्री, श्री बाबूलाल मराण्डी ने कहा कि जिस तरह से हम हमने अपने पूर्वजों से त्रेता, द्वापर एवं कलयुग की बातें सुनी है।

आज के युग को वेद-पुराण के अनुसार कलयुग कहा जाता है, लेकिन मैं इस युग को मशीन युग, तकनीक युग कहता हूँ।

पिछले कुछ सालों में जिस तरह के आविष्कार हुए है, वह मानव समाज के लिए काफी लाभदायक हुआ है, मानव का जीवन पहले की अपेक्षा काफी सुगम हुआ है।

मेले में सोमवार के मुकाबले आज काफी भीड़ एवं चहल-पहल रही।

आज के परिचर्चा के अध्यक्ष, श्री बाबूलाल मराण्डी ने मेला का अवलोकन किया एवं मेले का प्रशंसा किया। मेला घूमने आये लोग अपने जरूरत के सामान खरीदते नजर आये।

खाने-पीने के दुकानों के साथ-साथ यहाँ लगे सभी स्टॉलों में काफी भीड़ रही।

मेला में टाटा मोटर्स एवं कीया मोटर्स ने अपने नवीनतम मॉडल के गाड़ियों की प्रदर्शनी भी मेले में लगाई है।

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने के लिए डॉ. प्रह्लाद वर्णवाल, श्री रामाधार सिंह यादव, श्री दयानंद वर्णवाल आदि को सम्मानित किया गया।

परिचर्चा के उपरांत संध्या 7 बजे से बनारस घराने से आये हुए संतुर कलाकार, श्री दिव्यांश हर्षित श्रीवास्तव, पखावज कलाकार, डॉ. अंकित पारिख एवं तबला वादक श्रीमती श्रुति शील उद्धव ने संतुर, पखावज और तबला के सम्मिश्रण से मेले में एक नया शमां बांध दिया। जिसका काफी देर तक अतिथिगण एवं मेले में आये लोग आनन्द लेते रहे।

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