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ज्योतिर्विज्ञान संस्कृत विभाग में वास्तुविज्ञान : प्रायोगिक पक्ष (साम्प्रतिक परिप्रेक्ष्य )विषय पर राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी आयोजित 

रांची झारखण्ड  | जुलाई  | 10, 2022 ::

आज दिनांक 10/07/2022 को रांची विश्वविद्यालय के ज्योतिर्विज्ञान संस्कृत विभाग में वास्तुविज्ञान : प्रायोगिक पक्ष (साम्प्रतिक परिप्रेक्ष्य ) विषय पर प्रथम एकदिवसीय राष्ट्रिय शोध संगोष्ठी का आयोजन दो सत्रों( उद्घाटन सत्र व समापन सत्र) मे किया गया।

*उद्घाटन सत्र* का विधिवत उद्घाटन सम्माननीय अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन व मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व शंखध्वनि के साथ किया गया।

तदुपरांत अतिथियों द्वारा ज्योतिर्विज्ञान विभाग की नयी यन्त्रशाला का का उद्घाटन फीता काटकर किया गया। यंत्र शाला में रत्न परीक्षण से संबंधित विभिन्न प्रकार के आधुनिक उपकरण, खगोलीय ग्रह विज्ञान के लिए आधुनिक टेलिस्कोप एवं वास्तु परीक्षण के लिए आधुनिक यंत्रों की व्यवस्था की गई है।

वैदिक मंगलाचरण माधवी राजपूत तथा स्वागत गीत की प्रस्तुति विभागीय छात्राएं अनुपमा,पूर्वा,ऋचा व प्रिया के द्वारा की गयी। सभी अतिथियों का वाचिक स्वागत विभाग की अध्यक्ष प्रो.अर्चना कुमारी दुबे के द्वारा किया गया।
विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ. श्री प्रकाश सिंह ने कहा की वास्तु हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग है एवं वास्तु को प्लानिंग कहा जाता है। अर्थात् वास्तु से आशय है भूमि व भवन निर्माण के लिए एक पूर्व योजना का निर्माण करना । जिसके द्वारा मनुष्य को शांति व समृद्धि की प्राप्त हो सकती है।

उद्घाटनकर्ता रांची विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर अजीत कुमार सिन्हा ने संस्कृत विभाग के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि संस्कृत और ज्योतिर्विज्ञान विभाग के द्वारा आयोजित यह संगोष्ठी निश्चित रूप से विभाग के साथ-साथ विश्वविद्यालय की गरिमा को बढ़ाएगी और नैक के मूल्यांकन में इस तरह के कार्य महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे। वास्तु की प्रक्रिया बहुत ही प्राचीन व पुरातन है।

मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति प्रोफेसर रमेश कुमार पाण्डेय ने कहा कि मनुष्य अपने जीवन को व्यवस्थित करने के लिए और शुचिता पूर्ण जीवन व्यतीत करने के लिए यदि वास्तु में बताए गए नियमों का पालन करें और उसके अनुकूल चलने का प्रयत्न करें तो उसको विविध प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल सकती है । मानव जीवन का वास्तविक लक्ष्य भी यही है।

श्री जगन्नाथ विश्वविद्यालय पूरी के श्रीनिवास पंडा ने कहा की वास्तु पूर्णता वैज्ञानिक है और विज्ञान की कसौटी पर पूरी तरह से खरा उतरता है। वस्तु को अवैज्ञानिक कहने वाले वास्तु के विविध पक्षों को ना जाने के कारण ही ऐसा बोलते हैं यदि वास्तु के विविध पक्षों को हम समझ लेंगे तो हमें वास्तु की वैज्ञानिकता में कोई संदेह नहीं रह जाएगा।

विशिष्ट अतिथि संस्कृत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर चंद्रकांत शुक्ला ने कहा कि वास्तु की आवश्यकताओं एवं महत्व के साथ-साथ वास्तु की प्रासंगिकता को बहुत ही प्रभावी शब्दों में व्यक्त किया। उन्होंने कहा की वास्तु आज के युग की बहुत बड़ी आवश्यकता है । बहुत बड़े-बड़े भूमि भवन जो भूकंपरोधी बनाए जाते हैं उनमें वास्तु का बहुत बड़ा योगदान होता है।

विनोद बिहारी कोयलांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुखदेव भोई ने कहा संस्कृत साहित्य का विपुल भण्डार उसकी प्राचीनता के साथ-साथ अनुसन्धान की विविध संभावनाओं को उत्पन्न करना वास्तु की एक योजना है जो मानव को उसके रचनात्मक कार्यों की ओर सकारात्मक दिशा में प्रवृत्त करता है।

प्रथम सत्र का मंच संचालन शोधच्छात्र जगदम्बा प्रसाद सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन विभागीय शिक्षिका डा.उषा टोप्पो के द्वारा किया गया।

संगोष्ठी में 70 से अधिक प्रतिभागियों ने शोध पत्र का वाचन किया।

शोध पत्र वाचन के बाद संगोष्ठी का समापन समारोह आयोजित किया गया जिसमें सभी सम्मानीय तिथियों को शाल और प्रतीक चिन्ह इत्यादि देकर सम्मानित किया गया। स्वागत भाषण विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ मधुलिका वर्मा ने किया। सचिव प्रतिवेदन पूर्ववर्ती छात्र संघ के सचिव डॉक्टर श्री प्रकाश सिंह ने किया। उन्होंने संगोष्ठी में पधारे सभी अतिथियों तथा प्रतिभागियों व गुरुजनों के समक्ष संगोष्ठी का वृत्त निवेदन भी प्रस्तुत किया।

समापन समारोह के मुख्य अतिथि प्रति कुलपति प्रोफेसर कामिनी कुमार ने कहा कि पहले के समय वास्तु मन्दिरों व भवनों तक सीमित था पर अब जन सामान्य तक पहुंच चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि घर के चारों तरफ बड़े बड़े वृक्ष नहीं लगाने चाहिए क्योंकि वृक्ष होने से घरों में धूप व प्रकाश पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंचता है। वास्तु के नियमों का पालन अनावश्यक बीमारियों से बचाता है जिससे धन व समय की बचत होती है।

समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए मानविकी संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो गौरीशंकर झा ने वास्तु में गुरुत्वाकर्षण तथा चुम्बकीय शक्तियों के प्रभाव व महत्व को प्रतिपादित किया। वास्तुकला मनुष्य के जीवन का आवश्यक अंग है।

इस कार्यक्रम में मंच संचालन श्री एसके घोषाल तथा धन्यवाद ज्ञापन डा.चन्द्रशेखर मिश्र ने किया ।

इस अवसर पर पूर्व विभागाध्यक्ष डा. मीना शुक्ला, डा.भारती द्विवेदी ,डा. हिमावती बिन्हा,डा. सविता उरांव ,सिद्धार्थ प्रकाश , डा. मन्जू सिंह डा.पम्पासेन विश्वास,डा.धीरेन्द्र दुबे आदि उपस्थित रहे।

समापन सत्र मे सत्र 2019,20 व 21 के टापर्स को सम्मानित भी किया गया।

 

 

 

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