राची, झारखण्ड | फरवरी | 17, 2024 ::
आईआईटी खड़गपुर में 12 फरवरी से 16 फरवरी तक पाँच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन एमएसएमई इंडिया द्वारा किया गया। यह कार्यशाला उन्नत उद्यमिता और कौशल विकास पर आधारित था जिसका मुख्य उद्देश्य था अपशिष्ट से संपत्ति सृजन। एमएसएमई से इस कार्यशाला के लिए केवल 20 ही विद्यार्थियों का चयन करने का निर्देश था। इसके आलोक में वनस्पति विभाग से अरणिका चंद्रा, बायोटेक्नोलॉजी से ईशा शर्मा, दीप्ति भारती, हर्ष कुमार और तुषार सिन्हा का चयन हुआ। इन छात्रों का नि: शुल्क आवास और प्रशासनिक प्रबंध खड़गपुर में किया गया।
डॉक्टर राजीव चंद्र रजक विभागाध्यक्ष बॉटनी और को-ऑर्डिनेटर बायोटेक्नोलॉजी मारवाड़ी महाविद्यालय को इस वर्कशॉप में रिसोर्स पर्सन के रूप में आमंत्रित किया गया था। डॉक्टर राजीव ने इस वर्कशॉप में दो व्याख्यान “वेस्ट टू वेल्थ कंवर्जन’ में दिए और अलग-अलग शैक्षणिक संस्थानों से आए प्रतिभागियों को बताया की किस तरह हम वेस्ट को बायोफ्यूल्स में परिवर्तित करेंगे। ऐसा करके हम भारतीय तेल आयात में कमी ला सकते हैं।
डॉ. राजीव ने प्लास्टिक और माइक्रो प्लास्टिक के समाधान के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के अवसर से छात्रों में उच्च शिक्षा और अनुसंधान के लिए रुचि उत्पन्न होती है । प्रतिभागी छात्रों का कहना है कि आईआईटी खड़गपुर का परिसर बाहर की दुनिया से बहुत अलग है। इस कार्यशाला ने उनकी परिकल्पना , शिक्षा और अनुसंधान के प्रती दृष्टिकोण को पूरी तरह से बदल दी है। अब वे उच्च शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में नया कुछ करने को उत्सुक हैं।
छात्रों के साथ डॉक्टर राजीव और सहयोगी के तौर पर प्लेसमेंट सेल के समन्वयक अनुभव चक्रवर्ती ने बच्चों की यात्रा सफल और यादगार बनाई।
मारवाड़ी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ मनोज कुमार का कहना है कि हम मारवाडी कॉलेज के छात्रों को सदैव शिक्षण और अनुसंधान के बेहतर प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने के लिए कृतसंकल्प हैं । उपरोक्त महत्वपूर्ण कार्यशाला में महाविद्यालय के पाँच विद्यार्थियों का चयन होना हमारे प्रतिबद्धता का ही परिचायक है। भविष्य में हमारे शिक्षक और विद्यार्थी शिक्षण अधिगम के ऐसे और भी अनेक बेहतर अवसर प्राप्त करें यही मेरी शुभकामना भी है और संकल्प भी।