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केन्द्र ने पलामू टाईगर रिजर्व के लिए पिछले तीन साल में रू.10.28 करोड दिए

केन्द्र ने पलामू टाईगर रिजर्व के लिए
पिछले तीन साल में रू.10.28 करोड दिए

वन राज्य मंत्री का राज्य सभा सांसद परिमल नथवाणी को प्रत्युत्तर

जून 25, 2019: भारत सरकार ने प्रोजेक्ट टाईगर के तहत पिछले तीन साल में पलामू टाईगर रिजर्व को रू. 10.28 करोड की राशि प्रदान की है। राज्य में बाघों के संवर्धन के लिए केन्द्र सरकार ने पलामू टाईगर रिजर्व के लिए 2016-17 में रू.3.23 करोड, 2017-18 में रू.3.38 करोड और 2018-19 में 3.67 करोड की धन राशि प्रदान कि। केन्द्र सरकार ने देश के विभिन्न राज्यों में बाघों के संवर्धन के लिए प्रोजेक्ट टाईगर ते तहत पिछले तीन सालों में रू.1010.41 करोड की धन राशि का आवंटन किया। केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री बाबुल सुप्रियो ने यह जानकारी राज्य सभा में जून 24, 2019 को सांसद परिमल नथवाणी द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में उपलब्ध कराई।

मंत्रीजी ने वर्तमान में जारी केन्द्रीय प्रायोजित स्कीम – ‘वन्यजीव पर्यावासों का एकीकृत विकास’, जिसका बाघ परियोजना एक हिस्सा है, के अंतर्गत बाघों के संरक्षण के लिए राज्यों के माध्यम से किए गए अनेक कार्यकलापों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शिकार रोधी दस्ता/बाध सुरक्षा बल की तैनाती कर बाघों की सुरक्षा बढ़ाई गई है और बाघ रिज़र्वों के भीतर अवसंरचना का सुदृढ़ीकरण किया गया है।

श्री नथवाणी बाघों के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा उठाए गये कदम, तीन वर्षों के दौरान ‘प्रोजेक्ट टाईगर’ के अंतर्गत बाघों के संरक्षण के लिए केन्द्र सरकार द्वारा आबंटित की गई तथा जारी की गई बजटीय धनराशि और बाघों के लिए आधुनिक और विश्व स्तरीय नैदानिक सुविधाएं शुरू करने पर सरकार के विचार के बारे में जानना चाहते थे।

मंत्रीजी ने बताया कि राज्यों से प्रस्ताव प्राप्त होने पर विधिक रूप से अधिदेशित बाघ संरक्षण योजना में उनके स्थल-विशिष्ट अनुमोदन के अध्यधीन बाघों के लिए आधुनिक विश्व स्तरीय नैदानिक सुविधाएं स्थापित की जाती हैं ।

वन्यजीवों के लिए अक्षत स्थानों संबंधी निर्णय लिए गए हैं तथा बाघ रिज़र्वों में भीतरी या महत्वपूर्ण बाघ पर्यावासों से ग्रामवासियों का निश्चित समयावधि में विस्थापन और अधिकारों का निपटान किया गया है और मध्यवर्ती या सीमांत क्षेत्रों में सह-अस्तित्व संबंधी कार्यवाही की गई है, ऐसा मंत्रीजी ने बताया। उन्होंने बताया कि बाघ रिज़र्वों के आस-पास रह रहे पारंपरिक शिकारी जनजातियों का पुनर्वसन किया गया है।

सदन में रखे गए निवेदन के अनुसार, वन्य पशुओं के कारण मारे गए लोगों, मांसभक्षियों द्वारा मवेशियों पर किए गए हमलों तथा जंगली खुरदार जानवरों द्वारा फसल के नुकसान के लिए एक समान सामयिक क्षतिपूर्ति सुनिश्चित करके मानव-वन्यजीव संघर्ष का निराकरण किया गया है और चरण IV प्रोटोकॉल के माध्यम से बाघ वास क्षेत्रों में बाघों की वार्षिक रूप से निगरानी के लिए अनुसंधान और क्षेत्र उपस्करों का प्रावधान एवम् कर्मचारियों का विकास और क्षमता निर्माण किया गया है। बाघ संरक्षण आयोजन, बाघ पुनःबहाली आदि जैसे विषयगत क्षेत्रों में तकनीकी मार्गदर्शन संबंधी दस्तावेज जारी किए गए हैं और विषयगत क्षेत्र के संबंध में मानक प्रचालन क्रियाविधि जारी की गई है, ऐसा मंत्रीजी ने बताया।

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