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रोहतक :: घरफूंक थियेटर सीरिज में हुआ नाटक ‘पॉकेटमार रंगमंडल’ का मंचन

रोहतक, हरियाणा | दिसंबर | 26, 2022 ::  रंगमंच के प्रचार-प्रसार में जुटी हरियाणा इंस्टीट्यूट ऑफ परफोर्मिंग आर्ट्स (हिपा) द्वारा पठानिया वर्ल्ड कैंपस और स्वतंत्र मंच के सहयोग से आयोजित घरफूंक थियेटर सीरिज में इस बार ड्रामाटर्जी थियेटर ग्रुप दिल्ली के कलाकारों ने नाटक ‘पॉकेटमार रंगमंडल का मंचन किया। मशहूर नाटककार असगर वज़ाहत द्वारा लिखित इस नाटक का निर्देशन सुनील चौहान ने किया। स्वतंत्र मंच एवं पॉप स्टूडियो में हुए इस नाटक में दिखाया गया कि बहुत से लोग मजबूरी में गलत काम करते हैं और उसे छोड़ना भी चाहते हैं। इसके बावजूद उन्हें बुरा आदमी ही माना जाता है। जबकि, कितने ही सफेदपोश उनसे भी गलत काम करके समाज में इज़्ज़त हासिल किए रहते हैं।

नाटक की कहानी एक ऐसे रंगकर्मी के जीवन पर आधारित है जो कभी पॉकेटमार हुआ करता था। उसे जब खुद पर ग्लानि होने लगी तो उसने पॉकेटमारी का धंधा छोड़कर एक नाटक मंडली बना ली और दूसरे जेबकतरों को भी गलत काम छोड़ने व नाटक करके रोटी-रोज़ी कमाने के लिए तैयार कर लिया। अब क्योंकि वह एक सच्चा व्यक्ति था, तो उसने अपनी मंडली का नाम भी पॉकेटमार रंगमंडल ही रखा। बस, उसकी यही सच्चाई उसके लिए मुसीबत बन गई। उसकी संस्था का ऐसा नाम सुनकर न तो कोई स्पॉन्सर आगे आता था और न हीं उन्हें कहीं रिहर्सल के लिए जगह मिलती थी। अंत में एक व्यक्ति दुगने पैसे लेकर उन्हें नाटक के लिए प्रेक्षाग्रह देने को राज़ी हो जाता है, लेकिन पूरे पैसे दिए बिना हाल में घुसने से मना कर देता है। एक व्यक्ति ने अपनी मंडली में कितने ही लोगों को सुधार कर नाट्य कलाकार बनाया परंतु जब उसे कहीं से कोई मदद नहीं मिली और शो का कोई विकल्प नहीं बचा, तो वह जेब काटकर ही यह पैसा जुटाने को मजबूर हो जाता है और पकड़ा जाता है। यहां पर पुलिस की थानेदार, जो खुद कभी नाटकों में रुचि रखती थी, को उस पर तरस आ जाता है। वह अपनी जेब से टिकटें खरीद कर उसकी सहायता करती है और उसके नाटक का मंचन हो पाता है। इस प्रकार वह उन कलाकारों को वापिस जेब काटने के धंधे में लौटने से रोक लेती है और नाटक इस संदेश के साथ खत्म होता है कि वे तो मजबूरी के पॉकेटमार हैं, असली पॉकेटमार तो उस प्रेक्षागृह का मैनेजर है, जो उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर डबल पैसे वसूल करता है।

नाटक में रिशांक ने भगवान, किशले ने मुन्ना त्यागी, अभिषेक कुमार ने वीरा, शिवांकर ने लालू, प्रेम कुमार ने चोर एक, गौरी ने पुलिस इंस्पेक्टर, इशिता ने आब्दा, श्रुति ने नसरीन, प्रदीप ने बबलू, अमित व रतनदीप ने सिपाही, अभिषेक ने अभिनेता तथा आकाश ने मैनेजर के किरदारों को निभाया। संगीत अभियुदय का रहा और प्रकाश व्यवस्था क्षितिज मिश्रा ने संभाली। बैकस्टेज शुभम मिश्रा रहे।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व हरियाणा यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स के अध्यक्ष संजय राठी तथा नरेन्द्र सहारण ने कलाकारों को स्मृतिचिह्न प्रदान किए। हिपा के विश्वदीपक त्रिखा व स्वतंत्र मंच के विपिन तथा परीक्षित ने अतिथियों का स्वागत किया। मंच संचालन ऋतु श्योराण ने किया। इस अवसर पर डॉक्टर हरीश वशिष्ठ, सुभाष नगाड़ा, शक्ति सरोवर त्रिखा, ज्योति बत्रा, रिंकी, सिद्धार्थ भारद्वाज सहित अनेक नाट्य प्रेमी उपस्थित रहे।

 

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