शहर का आदमी
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अपने शहर का आदमी धारावाहिक की छठी कडी रविंद्र संगीत गेये जाबो का लोकार्पण

  • फिल्म रवीन्द्र संगीत गेये जाबो का लोकार्पण
  • अपने शहर का आदमी धारावाहिक की छठी कड़ी
  • एपिसोड के लेखक शिशिर पंडित

रांची, झारखण्ड । अक्टूबर | 22, 2017 :: होटल ट्राईडेन्ट इन में अपने शहर का आदमी धारावाहिक के छठी कड़ी ‘‘ रवीन्द्र संगीत गेये जाबो ’’ का लोकार्पण झारखंड के नगर विकास मंत्री .पी.सिंह ने किया। डाॅ॰ सुशील कुमार अंकन के द्वारा बनाये जा रहे धारावाहिक ‘‘ अपने शहर का आदमी’’ की यह छठी कड़ी है।
अब तक ‘‘अपने शहर का आदमी घारावाहिक के अन्तर्गत ‘‘कांकिला के सुर’’, ‘‘यदि मैं शाहजहाँ होता’’, ‘‘हौसला अभी बुलंद है’’, ‘‘एक किताब नाटक की’’, ‘‘दुनिया शब्द संवाद की’’ और ‘‘रवीन्द्र संगीत गेये जाबो’’ कुल मिलाकर छः एपिसोड का निर्माण हो चुका है।

शहर का आदमी

इस अवसर पर अपने उद्गार व्यक्त करते हुए नगर विकास मंत्री सी.पी. सिंह ने कहा कि ‘‘ शहर के स्थापित हस्तियों पर फिल्म का निर्माण होना एक बड़ी उपलब्धि है। आने वाले जेनरेशन के लिये यह प्रेरणा का कार्य करेगा साथ ही भविष्य में शोध करने वालेे विद्यार्थियों के लिये भी सारे आंकड़े एक ही फिल्म से उपलब्घ हो जायेगा। इस कार्य के लिये इसके निर्माता निर्देशक डाॅ॰ सुशील कुमार अंकन को मैं दिल से धन्यवाद देता हूँ।
Sushil ankan

शहर के स्थापित कार्य संलग्न सीनियर सिटजन कलाकार, साहित्यकार, खेलकूद से जुड़ी प्रतिभा, समाज सेवक सहित विशेष उपलब्धि हासिल करने वालों पर ही यह धारावाहिक की कड़ियाँ निर्मित करने का संकल्प लिया गया है। इसके निर्माता निर्देशक डाॅ॰ सुशील कुमार अंकन ने बताया कि अपने शहर की हस्तियों को श्रव्य-दृश्य माध्यमों से संरक्षित कर आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने के उद्देश्य से ही यह धारावाहिक का निर्माण किया जा रहा है।

इस एपिसोड के लेखक शिशिर पंडित ने कहा कि किसी व्यक्ति विशेष पर लेखन एक चुनौती भरा कार्य होता है। कई बार के साक्षात्कार के बाद ही कथा लेखन का कार्य संभव हो पाता है।

‘‘कुछ खास इवेन्ट्स’’ के उदय साहू ने कहा कि ‘‘अपने शहर का आदमी’’ धारावाहिक के तहत बनने वाली कड़ियों का प्रथम प्रिमीयर शो का बीड़ा ‘कुछ खास इवेन्ट्स’ ने उठाया है। कुछ खास इवेन्ट्स इस तरह सांस्कृतिक गतिविधियों का साक्षी रहा है।
फिल्म की केन्द्रीय पात्र रवीन्द्र संगीत की शिक्षिका प्रणति लाहिरी ने पूरी टीम को बधाई देते हुए कहा कि मैं तो सोच भी नहीं पाई थी कि इतनी सुंदर फिल्म का निर्माण होगा। इस अवसर पर वह अत्यंत ही भाव विह्वल थी।

शहर का आदमी

अपने शहर का आदमी धारावाहिक की पूरी टीम ने अपने अपने सामथ्र्य के अनुसार अपना योगदान दिया। इस टीम में डाॅ॰ सुशील कुमार अंकन, शिशिर पंडित, विश्वनाथ, अशोक पागल, कीर्तिशंकर वर्मा, नरेश प्रसाद, रोज उराँव, निरंजन कुमार, मृदुला संतोष, फजल इमाम, कुंदन सोनी, कुछ खास इवेन्ट्स के उदय साहू ,शिवेन्द्र दूबे सहित अन्य कई लोग शामिल हैं। आज के पूरे कार्यक्रम का संचालन शिवेन्द्र दूबे तथा धन्यवाद ज्ञापन उदय साहू ने किया। मौके पर आकाशवाणी के निदेशक राजेश कुमार गौतम, पूर्व पेक्स केदारनाथ पाण्डेय, दूरदर्शन के पूर्व पेक्स भूपेन्द्र नारायण सिंह, पूर्व एक्साइज कमिश्नर निरजंन कुमार, विशिष्ट अतिथि डाॅ॰ विद्याभूषण, डाॅ॰ अशोक प्रियदर्शी, महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष डाॅ॰ महुआ माजी, सहित शहर के अनेक गणमान्य उपस्थित थे।

अपनी बात मे डाॅ॰ सुशील कुमार अंकन ने कहा

2009 में शुरू हुए अपने शहर का आदमी……. शीर्षक से वरिष्ठ नागरिकों पर बनाये जाने वाले आॅडियो-विजुअल धारावाहिक (विडियो बुक) की यह छठी कड़ी है। इससे पहले सितारवादक प्रभात ठाकुर पर ‘‘कांकिला के सुर’’, साहित्यकार श्रवणकुमार गोस्वामी पर ‘‘यदि मैं शाहजहाँ होता’’, अभिनेता बलदेव नारायण ठाकुर पर ‘‘हौसला अभी बुलंद है’’, नागपुरी लेखक एवं अभिनेता तिनकौड़ी साहू पर ‘‘एक किताब नाटक की’’ और ‘‘दुनिया शब्द संवाद की’’ कवि एवं साहित्यकार विद्याभूषण पर इसी शृंखला के अन्तर्गत पाँच फ़िल्में बनाई जा चुकी हैं।
अपने शहर का आदमी….. शृंखला की छठी कड़ी के रूप में प्रस्तुत है रवीन्द्र संगीत की लोकप्रिय शिक्षिका श्रीमती प्रणति लाहिरी पर बनाई गई डाक्युमेन्ट्री फ़िल्म (विडियो बुक) ‘‘रवीन्द्र संगीत गेये जाबो’’

अपने शहर का आदमी… धारावाहिक का उद्देश्य:
अपने शहर की ख्यातिप्राप्त हस्तियाँ समय के साथ चुकती जा रहीं हैं। उनके कार्यों और उपलब्धियों को सहेज कर सुरक्षित रखना और आने वाली पीढ़ियों को विरासत के रूप में सौंपना इस धारावाहिक का मुख्य उद्देश्य है। यह एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक जिम्मेदारी है। सूचना क्रान्ति के इस युग में सूचनाओं का संचार आवश्यक है तभी तो आज की सूचनाएँ आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचेगी।

इस धारवाहिक का निर्माण एक प्रकार का विडियो लेखन है। इलेक्ट्रोनिक माध्यम से पुस्तक लेखन। इस विडियो पुस्तक में केवल लेखक की कल्पना, शब्द और पन्ने नहीं बल्कि पात्रों के साक्षात शब्द, भाव, ध्वनियाँ, वातावरण और परिस्थितियों से दर्शक सीधे जुड़ते हैं। ऐसी किताबों में हम अपनी मानसिकता के अनुसार वर्चुअल दुनिया नहीं रचते बल्कि पात्रों को देख वास्तविकता को पढ़ते हैं, इसलिये सत्य के करीब पहुँच पाते हैं। ऐसा मानते हुए ही इस ‘विडियो बुक’ लेखन का कार्य मैंने ‘‘अपने शहर का आदमी….’’ के रूप में किया है।

महीनों की सोच, अथक प्रयास और मित्रों के सहयोग से ही यह एपिसोड पूरा हो सका है। इस कड़ी की केन्द्रीय पात्र प्रणति लाहिरी पर शोध एवं आधार लेखन का कार्य मित्र शिशिर पंडित ने किया और तब जा कर चित्रपट कथा तैयार हो पाई।

इस फ़िल्म का बनना या बनाना महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि इसे एक विरासत के रूप में आने वाली पीढ़ी के लिए संरक्षित कर देना महत्वपूर्ण बात है। इतिहास की बुनियाद पर ही भविष्य की नींव पड़ती है। आने वाली पीढ़ी में इतिहास से सबक लेने, भविष्य की योजना बनाने तथा वर्तमान में कार्य संलग्न रहने की आदत डालनी होगी तब ही अपने शहर की थाती को वे भी बचा पायेंगे।

एक ख़ास बात – माननीय सी.पी.सिंह जी ने इसके अबतक के सभी एपिसोड का लोकार्पण किया है और कुछ ख़ास इवेन्ट्स के उदय साहू ने ‘‘अपने शहर का आदमी’’ शृंखला के अन्तर्गत बनने वाली सभी फिल्मों के प्रथम प्रदर्शन की व्यवस्था का बीड़ा उठाया है। फिल्म शूटिंग के क्रम में श्रीमती प्रणति लाहिरी और उनके परिवार के प्रत्येक सदस्यों से जो आत्मीयता और साहचर्य प्राप्त हुआ उसके लिए मैं उन सब के प्रति आभारी हूँ। उन सब के प्रति भी मैं आभारी हूँ जिन्होंने इस फिल्म के निर्माण में अपनी भावनाओं से अवगत कराया और समय देकर सहयोग किया।

हमारा प्रयास और आप सब के सौजन्य से ही यहाँ के लिए कुछ सार्थक हो सकेगा ऐसा मेरा विश्वास है। अपने शहर की हस्तियों पर एक विडियो बुक लाइब्रेरी बनाने की इच्छा है। इस प्रयास में हमें अपने शहर के सजग, संवेदनशील और समर्थ लोेगों पर पूरा भरोसा है जिनमें इस प्रयास को आगे बढ़ाने की क्षमता और योग्यता दोनों हैं।

 

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