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अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा की रथयात्रा पूर्वी चंपारण जिले के मोतीहारी शहर पहुँची

मोतिहारी 22 सितंबर। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर महेंद्र सिंह तँवर की अध्यक्षता में जम्मू से गत् 09 अगस्त को प्रारम्भ हुई रथयात्रा पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड, पश्चिम उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखंड, बंगाल होती हुई आज बिहार में हाजीपुर के बाद पूर्वी चंपारण जिले के ऐतिहासिक शहर मोतीहारी पहुँची।

रथयात्रा आर्थिक आधार पर आरक्षण, सामाजिक समरसता व महापुरुषों के इतिहास के संरक्षण की माँग को लेकर पूरे भारत वर्ष में जन जागरण पैदा करने का भरसक प्रयत्न कर रही है तथा आगामी 07 अक्टूबर को दिल्ली के जन्तर मंतर पर समाप्त होगी।

रथयात्रियों के साथ बड़ी संख्या में स्थानीय लोग आज पुनः एक बार फिर मोतिहारी के उस स्थान जहाँ महात्मा गाँधी के ऊपर नील आंदोलन के दौरान धारा 144 तोड़ने पर मुक़दमा चलाया गया था तथा जहां 20 जुलाई 2010 को अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दिग्विजय सिंह बाँकानेर, गुजरात के नेतृत्व में वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर महेंद्र सिंह तँवर व अन्य ने शपथ ली थी कि आज से हम अपने सजातीय महापुरुषों की भाँति न सिर्फ़ क्षत्रिय समाज बल्कि सभी जातियों के उत्थान राष्ट्र हित और उसकी उन्नति के लिए कार्य करेगी। उसी दिन यह भी प्रण लिया गया था कि अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा जात पाँत के भेदभाव व नफ़रत को दूर करने व आपस में भाई से भाई को लड़ाने वाली आरक्षित नीति के खिलाफ, जातिगत आरक्षण की समाप्ति व आर्थिक आधार पर आरक्षण की माँग को लेकर सम्पूर्ण देश में राथयात्रा के माध्यम से देश के कोने कोने में जाकर जनजागृति पैदा करेगी। जिसके परिणामस्वरूप महासभा ने पूर्व में दो रथयात्रा सन् 2010 और 2017 में जम्मू से कन्याकुमारी व दिल्ली में समाप्ति की थी। जिसके फलस्वरूप केंद्र सरकार ने स्वर्ण जातियों को आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण संविधान में संशोधन के दिया था।

आज उसी पावन स्थान पर अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व अन्य राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने पुनः शपथ ली कि हम आर्थिक आधार पर आरक्षण की माँग के साथ सामाजिक समरसता व महापुरुषों के इतिहास के संरक्षण की ज्योति को कभी कम नहीं होने देंगे और राष्ट्र हित में घर घर जाकर जन समर्थन प्राप्त कर सरकार को अपनी माँगों को मानने हेतु बाध्य करेंगे ।

रथयात्रा में राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ महासभा की पूर्व सैनिक कल्याण परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व आठ विश्व रिकॉर्ड धारक ग्रुप कैप्टन डॉ. जय पाल सिंह चौहान, अयोध्या पीठाधीश्वर जगद्गुरु बालमुकुंदाचार्य, जसवंत सिंह, अनंतराम, भरत शास्त्री, मुनीश सिंह आदि विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि चल रहे हैं।

महाकाव्य काल से लेकर आज तक चंपारण का इतिहास गौरवपूर्ण एवं महत्वपूर्ण रहा है। पुराण में वर्णित है कि यहाँ के राजा उत्तानपाद के पुत्र भक्त ध्रुव ने यहाँ के तपोवन नामक स्थान पर ज्ञान प्राप्ति के लिए घोर तपस्या की थी। एक ओर चंपारण की भूमि देवी सीता की शरणस्थली होने से पवित्र है वहीं दूसरी ओर आधुनिक भारत में गाँधीजी का चंपारण सत्याग्रह भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास का अमूल्य पन्ना है।

भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय चंपारण के ही एक रैयत एवं स्वतंत्रता सेनानी राजकुमार शुक्ल के बुलावे पर महात्मा गाँधी अप्रैल १९१७ में मोतिहारी आए और नील की फसल के लागू तीनकठिया खेती के विरोध में 19 अप्रैल 1917 से सत्याग्रह का पहला सफल प्रयोग किया, जो एक वर्ष तक चला। आजा़दी की लड़ाई में यह नए चरण की शुरूआत थी। जिसके फलस्वरूप चम्पारण कृषि अधिनियम 1918 बना तथा किसानों को नील की खेती की बाध्यता से मुक्ति मिली

मोतिहारी पहुँचने पर रथयात्री का सर्व जातियों ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लालबाबू सिंह, ज़िलाध्यक्ष चुन चुन सिंह, ज़िलाध्यक्ष महिला रूबी सिंह, निःस्वार्थ फ़ाउंडेशन की अमिता निधि, केशव कृष्ण, अशोक वर्मा आदि ने भव्य स्वागत किया।

अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा प्रदेश व केंद्रीय सरकार से यह सतत् माँग कर रही है कि जातिगत आरक्षण पूर्ण रूप से समाप्त किया जाए और आर्थिक तौर पर कमज़ोर वर्ग को समान जातिभेद रहित आरक्षण प्रदान किया जाए जिसके अंतर्गत वर्तमान में तीसरी रथयात्रा सम्पूर्ण देश का भ्रमण कर रही है।

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