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लैंगिक भेदभाव के खिलाफ, ‘‘रक्षा बंधन, सुरक्षा का बंधन’’ अभियान

राची, झारखण्ड | अगस्त | 23, 2023 :: शिक्षा विभाग, यूनिसेफ और सिनी ने लैंगिक भेदभाव के खिलाफ जागरूकता पैदा करने के लिए ‘‘रक्षा बंधन, सुरक्षा का बंधन’’ अभियान शुरू किया
‘रक्षा बंधन, सुरक्षा का बंधन अभियान झारखंड के सभी कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों एवं झारखंड बालिका आवासीय विद्यालयों में 23-30 अगस्त तक चलाया जाएगा

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, यूनिसेफ तथा सिनी के द्वारा संयुक्त रूप से आज रांची में एक राज्य स्तरीय सप्ताहिक अभियान ‘रक्षाबंधन, सुरक्षा का बंधन’ प्रारंभ किया गया।
यह अभियान 23 से 30 अगस्त तक राज्य के सभी कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) एवं झारखंड बालिका आवासीय विद्यालयों (जेबीएवी) में चलाया जाएगा।

रक्षा बंधन जिसका शाब्दिक अर्थ सुरक्षा, संरक्षण और प्रेम का धागा है, लड़कियों के हितों की रक्षा करने और उनकी भलाई को सुनिश्चित करने के समाज के मजबूत इरादे को व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
‘रक्षा बंधन, सुरक्षा का बंधन’ अभियान का उद्देश्य रक्षाबंधन त्योहार जैसे महत्वपूर्ण अवसर का उपयोग लैंगिक भेदभाव, बाल विवाह, कन्या भ्रूण हत्या, यौन शोषण, मानव तस्करी और घरेलू हिंसा जैसे मुद्दों को लेकर लड़कियों और शिक्षकों के बीच जागरूकता पैदा करना है।
यह अभियान लड़कियों के खिलाफ लैंगिक भेदभाव के खिलाफ समर्थन पैदा करने तथा उनके आत्म-सम्मान एवं आत्मविश्वास को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।
अभियान के दौरान पूरे सप्ताह नियोजित गतिविधियों के माध्यम से केजीबीवी और जेबीएवी में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
इन स्कूलों में वार्डन द्वारा प्रतिनियुक्त शिक्षक इन कार्यक्रमों के संचालन में योगदान देंगे।
इस दौरान विभिन्न गतिविधियों जैसे कि केजीबीवी और जेबीएवी की लड़कियांे द्वारा एक-दूसरे को राखी बांधना, लैंगिक मुद्दों पर नारा लेखन, पेंटिंग प्रतियोगिताएं, यूनिसेफ की मीना कहानियों की स्क्रीनिंग; सिनी के द्वारा निर्मित फिल्म स्पंदन का प्रदर्शन तथा महिलाओं एवं किशोरियों के मुद्दों पर लड़कियों द्वारा लघु नाटिका का प्रदर्शन भी किया जाएगा।
इस दौरान लड़कियाँ एक-दूसरे का सहयोग एवं समर्थन करने तथा अपनी शिक्षा को जारी रखने तथा चुनौतियों और नकारात्मक लैंगिक मानदंडों आदि से निपटने के लिए शपथ भी लेंगी।

इस अवसर पर जेएससीईआरटी एवं जेईपीसी की निदेशक श्रीमती किरण कुमारी पासी ने कहा, “हम रक्षाबंधन के इस अवसर का उपयोग लैंगिक भेदभाव और लड़कियों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में समाज में जागरूकता पैदा करने के लिए कर रहे हैं। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि केजीबीवी और जेबीएवी की सभी लड़कियां इस अभियान में भाग लें। लैंगिक रूढ़िवादिता से लड़ने के लिए लड़कियों की एकजुटता महत्वपूर्ण है।
मुझे उम्मीद है कि इस अभियान और इसकी गतिविधियों के माध्यम से लड़कियों को लैंगिक भेदभाव की बुराइयों के बारे में जो संदेश मिलेगा, उसे वे अपने परिवार और समुदाय तक पहुंचाएंगी’’
उन्होंने आगे कहा, “मुझे यकीन है कि यह अभियान, जो जेसीईआरटी, सिनी तथा यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है, लैंगिक भेदभाव से संबंधित समस्याओं का समाधान करने में योगदान देगा और समाज में इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने में भी मदद करेगा।
इस अभियान के माध्यम से, लड़कियां एकजुट होंगी और एक-दूसरे के लिए समर्थन और ताकत का स्तंभ बनेंगी। मुझे पूरा विश्वास है कि इस अभियान के माध्यम से हमारा समाज महिलाओं के मुद्दों के प्रति अधिक बाल हितैषी और संवेदनशील बनेगा।’’
इस अवसर पर बोलते हुए, यूनिसेफ झारखंड की प्रमुख डॉ कनीनिका मित्र ने कहा, “रक्षा बंधन जैसे पारंपरिक त्योहारों का समाज पर गहरा प्रभाव होता है। इनके माध्यम से लैंगिक भेदभाव जैसे मुद्दे के प्रति समाज में जागरूकता पैदा किया जा सकता है। यह त्यौहार प्राचीन काल से ही बहनों और भाइयों के बीच प्रेम और भाईयों के द्वारा बहनों की सुरक्षा और उसकी भलाई के प्रति संकल्पित होने के रूप में मनाया और दर्शाया जाता रहा है।
इस अभियान के माध्यम से हम भाइयों द्वारा बहनों के प्रति सुरक्षात्मक प्रेम की अवधारणा को विस्तार देने के लिए रक्षा बंधन से पहले के सप्ताह (23-30 अगस्त) को चिह्नित कर रहे हैं, जिसमें केजीबीवी की लड़कियों की सहभागिता को भी शामिल किया गया है।
इसके पीछे की सोच यह है कि लड़कियाँ दोस्त, बहन और सहयोगी के रूप में एक-दूसरे की ताकत बन सकती हैं और शिक्षा को जारी रखने, आत्मसम्मान को बनाए रखने, छेड़छाड़ और उत्पीड़न से निपटने तथा बाल विवाह के खिलाफ सामूहिक आवाज उठाने में एक-दूसरे का समर्थन कर सकती हैं। रक्षा बंधन के माध्यम से प्रदर्शित की गई प्रेम और सहयोग की भावना का उपयोग समाज में लड़कियों के प्रति सुरक्षात्मक वातावरण का निर्माण करने के लिए किया जा सकता है, ताकि सभी लड़कियां सुरक्षित महसूस करे और उन्हें समाज में समान अधिकार और अवसर मिले।

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