रांची, झारखण्ड | जनवरी | 21, 2020 :: आज अध्ययन अध्यापन के प्रायः हर क्षेत्र में फोटोग्राफी कला की अनिवार्यता और स्वीकार्यता बढ़ती ही जा रही है। वर्तमान में व्यावहारिक जीवन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन गई है फोटोग्राफी कला। घर हो, सड़क हो, ऑफिस हो, स्कूल-कॉलेज हो, अखबार हो, चिकित्सा हो, दूरदर्शन हो, खेल का मैदान हो, पार्टी-पिकनिक हो, कृषिकार्य हो मौसम हो, अंतरिक्ष हो, समुद्र हो, देश की सीमा हो या फिर जीवन तथा ज्ञान से जुड़ा कोई भी पहलू हो, बिना फोटोग्राफी तकनीक के सब अधूरे हैं। आज सीसीटीवी फोटोग्राफी के माध्यम से बड़े से बड़ा अपराध का भी खुलासा हो रहा है।
पिछले दिनों बिहार एनिमल साईन्स युनिवर्सिटी (ठ।ैन्) पटना ने अपने वेटनरी डॉक्टर्स और वेटनरी विद्यार्थियों के लिए दो दिवसीय फोटोग्राफी कार्यशाला ‘‘ यूज़ ऑफ डीजिटल टूल्स फॉर टीचिंग एंड रीसर्च ’’ का आयोजन किया। जिसमें फोटोग्राफी एक्सपर्ट के रूप में राँची विश्वविद्यालय के पूर्व एसोशियेट प्रोफेसर सह पत्रकारिता विभाग के पूर्व निदेशक डॉ सुशील कुमार अंकन को बुलाया गया था। बिहार एनिमल साईन्स युनिवर्सिटी (ठ।ैन्) पटना के वाइस चांसलर डॉ॰ रामेश्वर सिंह ने उद्घाटन के मौके पर कहा कि आज फोटोग्राफी शिक्षा के प्रत्येक क्षेत्र में बहुत ही उपयोगी सिद्ध हो रहा है। सत्य को समझने के लिये फोटो एक प्रमाण के रूप में प्रयोग में लाये जा रहे हैं। फोटोग्राफी विशेषज्ञ डॉ सुशील कुमार अंकन ने फोटोग्राफी कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए बताया कि आज फोटोग्राफी का प्रयोग अध्ययन अध्यापन के क्षेत्र में एक अनिवार्य टूल के रूप में शामिल हो गया है। चाहे एस्ट्रोलॉजी हो चाहे बैन्किंग, कृषि हो पशुविज्ञान, चिकित्सा हो या मौसम विज्ञान सभी विधाओं में फोटोग्राफी तकनिक का अनिवार्य रूप से सहारा लिया जा रहा है।
इस वर्कशॉप के उद्घाटन के मौके पर बिहार पशुविज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ॰ रामेश्वर सिंह, कुलसचिव डॉ॰ पी.के.कपूर, डीन डॉ॰जे.के.प्रसाद, निदेशक छात्र कल्याण डॉ॰ रमन कुमार त्रिवेदी, जनसंपर्क पदाधिकार सह कार्यशाला संयोजक श्री सत्य कुमार सहित चालीस से भी अधिक वेटनरी डॉक्टर्स एवं छात्र उपस्थित थे। सभी ने दो दिनों तक फोटोग्राफी तकनीक की बारीकियों को सीखा और अपने अध्ययन अध्यापन में के लिए इस कला को अतयन्त ही उपयोगी बताया।
