Breaking News Latest News झारखण्ड लाइफस्टाइल

नये विचार सृष्टि के रचयिता परमपिता परमात्मा से प्राप्त होते हैं : ब्रह्माकुमारी निर्मला

 

 

राची, झारखण्ड  | अक्टूबर  | 16, 2022 ::  सत्पुरूष का सबसे बड़ा धन उनके श्रेष्ठ कर्म ही है। वे अपने सद्व्यवहार, विनम्रता तथा परोपकारो से पुण्यलाभ प्राप्त करते रहते हैं। इसके फलस्वरूप उन्हें परमात्मा से अक्षय
सुख मिलता है। यह बातें यहाँ ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने ब्रह्माकुमारी संस्थान चौधरी बगान, हरमू रोड में व्यक्त किये। आपने कहा नई सृष्टि, सुखमय सृष्टि की रचना नये संकल्पों व विचारों से होती है। नये विचार सृष्टि के रचयिता परमपिता परमात्मा से प्राप्त होते हैं। आज मानव अनेक प्रकार के पुराने विचारों तथा समस्याओं से घिरा हुआ है तथाnस्वयं को कलह क्लेषों से घिरा हुआ पा रहा है। उसका यह क्लेष तभी दूर होगा जब वह संसार के भले के लिये कुछ नया सोचेगा। नये संकल्प यदि सामाजिक हो तो समाज का उत्थान होता है राजनीतिक हो तो शासन व्यवस्था का उत्थान होता है तथा आध्यात्मिक हो तो मानव की आत्मा का उत्थान होता है। ब्रह्मा को नई सृष्टि का रचयिता कहा जाता है।
परमात्मा ब्रह्मा, विष्णु तथा शंकर आदि देवताओं को सृष्टि की स्थापना, पालना व पतित सृष्टि के विनाश के लिए रचते हैं। ऐसी बात नहीं कि महाविनाश के बाद सभी बीजों के
नष्ट हो जाने से नया बीज प्राप्त करना मुश्किल है। मनुष्य आत्मा का शरीर अन्य शरीरधारी मनुष्यों को पैदा करने वाला एक बीज है। नहाविनाश के पश्चात् दैवी सम्प्रदाय के थोड़े से लोग रहते हैं जो योग बल के द्वारा सृष्टि को बढ़ाते हैं। अपने ज्ञानयुक्त संकल्पों से पिताश्री ब्रह्मा मानव के संस्कारों को श्रेष्ठ बनाते हैं। ब्रह्मा मुख से ईश्वरीय ज्ञान सुनकर मानव का जीवन बदल जाता है। उसका जीवन संयमित और मर्यादित हो जाती है। आज से पाँच हजार वर्ष पहले हमारा देश स्वर्ग तुल्य था। सारी सृष्टि सतोप्रधान थी। उसे ब्रह्मा द्वारा ही परमात्मा ने सुखदायी बनाया था। प्रत्येक कल्प के बाद नये सिरे से सतयुग रचा जाता है। अभी वही समय पुनः चल रहा है।

Leave a Reply