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एलिस एक्का की जन्मशती पर 7-8 सितंबर को रांची में देश भर से जुटेंगी आदिवासी लेखिकाएं

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रांची, झारखण्ड । सितम्बर | 05, 2017 :: एलिस एक्का की जन्मशती पर 7-8 सितंबर को रांची में देश भर से जुटेंगी आदिवासी लेखिकाएं। भारत में पहली बार आयोजित हो रहे इस पहले आदिवासी लेखिका सम्मिलन का उद्घाटन संयुक्त रूप से मेघालय की सुप्रसिद्ध आदिवासी साहित्यकार प्रो. स्ट्रीमलेट डखार और झारखंड की डा. रोज केरकेट्टा करेंगी। इस दो दिवसीय अखिल भारतीय आयोजन में उत्तर-पूर्व से लेकर सुदूर दक्षिण के राज्यों से विभिन्न आदिवासी समुदायों की 50 से ज्यादा प्रमुख महिला साहित्यकार भाग लेंगी। आदिवासी महिलाओं के साहित्यिक अवदान पर केंद्रीत यह विशिष्ट साहित्यिक आयोजन साहित्य अकादेमी द्वारा झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा के सहयोग से कर रही है। आठ प्रमुख सत्रों में बंटा यह आयोजन होटल राज रेजिडेंसी के सुशीला सामद सभागार में होगा। यह जानकारी साहित्य अकादेमी, दिल्ली के विशेष कार्याधिकारी देवेंद्र कुमार देवेश और अखड़ा की महासचिव वंदना टेटे ने आज संयुक्त रूप से दी।
साहित्य अकादेमी, दिल्ली के विशेष कार्याधिकारी देवेंद्र कुमार देवेश के अनुसार भारत के साहित्यिक इतिहास में यह पहला अवसर है जब देशभर की आदिवासी लेखिकाएं एक साथ जुटेंगी। 1917 में रांची में जन्मी एलिस एक्का भारत की पहली महिला आदिवासी कथाकार हैं जिनकी जन्म शताब्दी पर साहित्य अकादेमी यह अखिल भारतीय आयोजन कर रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय साहित्य के विकास में आदिवासी लेखिकाओं के अवदान को रेखांकित करना समय की मांग है। झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा की महासचिव वंदना टेटे ने कहा कि सिनगी-कैली दई, फूलो-झानो, माकी मुंडा, देवमनी भगत और रतनी खड़िया जैसे वीरांगनाओं की धरती पर देश भर की आदिवासी महिला साहित्यकारों का जुटना आदिवासी साहित्य ही नहीं वरन् संपूर्ण भारतीय साहित्य के लिए एक अच्छी पहल साबित होगी।
अखिल भारतीय आदिवासी लेखिका सम्मिलन का उद्घाटन 7 सितंबर को 10.30 बजे से आरंभ होगा। उद्घाटन संयुक्त रूप से मेघालय की सुप्रसिद्ध आदिवासी साहित्यकार प्रो. स्ट्रीमलेट डखार और झारखंड की डा. रोज केरकेट्टा करेंगी। अतिथि लेखिकाओं और प्रतिनिधियों का स्वागत साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव करेंगे। सम्मिलन में उत्तर-पूर्व से नागालैंड पोस्ट की आदिवासी संपादक-प्रकाशक मोनालिसा चंकीजा (नागालैंड), क्रैरीमोग चौधरी (त्रिपुरा), जोराम यालाम नाबाम (अरुणाचल प्रदेश) और मिलन रानी जमातिया (त्रिपुरा) के भाग लेने की सूचना है। दक्षिण भारतीय प्रदेशों से एस रत्नम्मा (कर्नाटक), इंदुमति लमानी (कर्नाटक), के. गायत्री (आंध्र प्रदेश) और के. वासमल्ली (तमिलनाडु) शामिल हो रही हैं। बैंगलुरू से अलमा ग्रेस बारला, उड़ीसा से दमयंती बेसरा, शोभा लिंबू, छत्तीसगढ़ से एलिस लकड़ा और विश्वासी एक्का, गुजरात से सोनाली राठवा, पश्चिम बंगाल से डा. मेरी हांसदा, दिल्ली से आइवी हांसदा, उज्ज्वला ज्योति तिग्गा और हीरा मीणा (दिल्ली) तथा झारखण्ड से निर्मला पुतुल, सिदो कान्हू मुर्मू विश्वद्यिालय की डॉ. प्रमोदिनी हांसदा (दुमका, झारखंड), सिमडेगा की खड़िया रचनाकार सरोज केरकेट्टा, मुंडारी कवयित्री प्यारी टूटी और सुषमा असुर सहित अन्य कई आदिवासी लेखिकाएं आयोजन में शिरकत करेंगी।
हिंदी में कथा-साहित्य लिखने वाली एलिस एक्का का जन्म 8 सितंबर 1917 को रांची में हुआ था। 1938 में ‘एब्रोजिनल फेलोशिप’ पाने और कलकत्ता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में ग्रेजुएशन करने वाली झारखंड की पहली आदिवासी महिला भी हैं। इन्होंने 50 के दशक में लिखना शुरू किया और अपने लेखन से साहित्य के क्षेत्र में आदिवासी समाज का मार्ग प्रशस्त किया। एलिस एक्का जैसी अनेक आदिवासी लेखिकाएं हैं जिन्होंने अपने सृजनात्मक लेखन से भारतीय साहित्य के विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया। पर उनके योगदान को भारतीय साहित्य में समुचित जगह नहीं मिली। इस दो दिवसीय आदिवासी लेखिकार सम्मिलन का उद्देश्य भारतीय साहित्य में आदिवासी महिलाओं के अवदान को रोखांकित करना तथा आदिवासी साहित्य के क्षेत्र में नई पीढ़ी को प्रोतसाहित करना है।

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