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झारखण्ड में घटित सच्ची घटना पर आधारित नागपुरी भाषा में बनी फ़िल्म “फुलमनिया” का झारखंड इंटर्नैशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल की ओपनिंग फ़िल्म के रूप में चयन

रांची, झारखण्ड | जनवरी | 30, 2019 :: आज सूचना भवन में फुलमनिया फ़िल्म की टीम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी कि यह फ़िल्म नागपुरी भाषा और संगीत को विश्व मे चर्चित कराएगा। झारखंड में घटित सच्ची घटना पर आधारित “फुलमनिया” नागपुरी भाषा में बनी अब तक की सबसे बड़ी और स्तरीय फ़िल्म कही जा रही है. इसे हिंदी में भी रिलीज किया जाएगा। एक तरफ़ इस फ़िल्म में डायंन प्रथा के ख़तरनाक खेल को दर्शाया गया है जो हमारे देश में एक कलंक की तरह फैला हुआ है. कैसे किसी मासूम लड़की को शादी के तुरंत बाद डायंन बताकर सरे आम गाँव से नंगा करके पत्थर मारकर भगा दिया जाता है. दूसरी ओर हमारे दक़ियानूसी विचारधारा वाले समाज में किसी औरत का बाँझ होना कितना दुखद होता है उस दर्द को इस फ़िल्म में बहुत ही गम्भीरता से दिखाया गया है. एक बाँझ औरत के दिल में क्या गुज़रता है और अपने ही घरवालों से कैसे उसको बार बार ज़लील होना पड़ता है इस पर निर्माता निर्देशक लाल विजय शाहदेव ने दमदार स्क्रिप्ट के साथ फ़िल्म बनाकर समाज को झकझोरने का प्रयास किया है.
इस फ़िल्म में बेटा और बेटी के भेदभाव को ख़त्म करने का अच्छा संदेश दिया गया है.

फ़िल्म के प्रोड्यूसर नीतू अग्रवाल ने बताया की इस फ़िल्म से ना सिर्फ़ भारतीय फ़िल्म जगत में बल्कि विश्व में एक उदाहरण पेश होगा की कैसे एक ज्वलंत समस्या को दिखाते हुए फ़िल्म को मनोरंजक बनाया जा सकता है. उन्होंने बताया की फ़िल्म का मनोरंजक होना बहुत ज़रूरी है. फ़िल्म मेकिंग में आज दुनिया से कॉम्पटिशन करना पड़ता है.
निर्देशक लाल विजय ने बताया कि हमें ये समझना ज़रूरी है की हम फ़िल्म किसके लिए बना रहे हैं. बड़े बड़े फ़िल्म निर्माता निर्देशक सिर्फ़ नंगापन या अश्लीलता को दिखाकर पैसे कमाने में लगे हुए हैं. फ़िल्म इंडस्ट्री की हालत ठीक नहीं है. इंटर्नेट ने तो फ़िल्म इंडस्ट्री की कमर तोड़ रखी है. कोई भी कुछ भी बनाकर अपने को निर्माता और निर्देशक बताने लगा है.
हमें बतौर निर्माता निर्देशक और एक इंसान होने के नाते अपनी ज़िम्मेदारी को समझना होगा.
नागपुरी भाषा में निर्मित फ़िल्म “फुलमनिया” का चयन 1फ़रवरी से शुरू हो रहे झारखंड इंटर्नैशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल की ओपनिंग फ़िल्म के रूप में किया गया है. राँची और झारखंड के दर्शक इसे 1 फ़रवरी को 2 बजे दिन में खेलगाव, रांची में देख सकते हैं. फ़िल्म में ज़्यादातर कलाकार और तकनीशियन झारखंड से हैं। फ़िल्म की लीड एक्टर कोमल सिंह रांची से है जिसने फुलमानिया का बहुत ही चुनौतीपूर्ण रोल किया है। मुम्बई और झारखंड के कलाकारों में प्रमुख रूप से विनीत कुमार, नीतू पांडेय, खुशबू शर्मा, रवि भाटिया, हंसराज जगताप, अंकित राठी, शिशिर पंडित, मोनिका मुंडू, सुशीला लकरा, शैलेन्द्र शर्मा, प्रणब चौधरी, दिनेश शाहदेव, पंकज सिन्हा, प्रिया अम्बष्ट, मुन्ना लोहार, अशोक गोपे, किम मिश्रा, सनी शर्मा, जितेंद्र मिश्रा, कुमकुम गौड़, झरना चक्रोबोरती, जितेंद्र वधेर, करनल समित साह, ओम प्रकाश, शंकर पाठक, करुणा सिंह, नेहा सिद्दीकी, सरोज झा, मुकेश प्रजापति, पूजा कुमारी, सन्नी सिंह, करिश्मा सिंह, मास्टर उत्कर्ष सिंह आदि हैं।
फ़िल्म का अहम हिस्सा इसका संगीत है जिसे नंदलाल नायक ने पारंपरिक लोक संगीत को ध्यान में रखते हुए बहुत ही खूबसूरत ढंग से बनाया है। फ़िल्म के लेखक बीरेंद्र पासवान और लाल विजय हैं जबकि कैमरामैन अजित सिंह हैंl

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