राची, झारखण्ड | अक्टूबर | 07, 2022 :: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, चौधरी बगान, हरित भवन के सामने हरमू रोड में गेडीटेशन शिविर के आज के अध्यात्मिक प्रवचन का प्रारंभ करते हुए ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने कहा आज हर विवेकशील व्यक्ति और चिंतक, समाज में बढ़ रहे अनैनिकता के ज्वार से भयभीत है.
परंतु वह चाहकर भी इस दिशा में कुछ उपयोगी व ठोस परिणाम प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। प्रकृति के प्रति आकर्षण और आसक्ति की सूक्ष्म डोरों से बंधा हुआ मानव पथ भ्रष्ट हो गया है व परमात्म प्राप्ति की ओर न बढ़कर अनैनिकता को भी अहंकार वश नैतिकता समझने लगा है। इस समय संसार में “योग” नाम से भी बहुत ही मार्ग प्रचलित हैं। कुछ लोग आग्रह पूर्वक कहते हैं कि सभी प्रचलित मार्ग परमात्मा के प्राप्ति का ही साधन है। लेकिन जब परमात्मा एक है, सत्य ज्ञान एक है तो ज्ञान योर मार्ग अनेक नहीं हो सकते हैं। विभिन्न असत्य मार्गों पर चलकर एक ही सत्य लक्ष्य
को प्राप्त नहीं किया जा सकता। आपने कहा शास्त्र शिरोमणि गीता में भगवान के महावाक्य हैं कि पहले भी योग मैंने सिखाया था। उसके प्रायः लोन होने के कारण अब पुनः मैं ही उस योग की शिक्षा के लिए हुआ हूँ। ब्रह्माल से ज्ञान द्वारा सृष्टि को सतयुगी बनाने के लिए ही मैं पैपी प्रवृति
में संलग्न हुआ हूँ। अः ध्यान रहे कि ज्ञान-योग की शिक्षा स्वयं अदृश्य गंगपान ही ब्रह्मा तन में दृश्यमान होकर देते हैं। परमात्मा शिव ने जवतरित होकर बैकुण्ठ और मुक्तिधाम का साक्षात्कार कराया है और यह भी समझाया है कि अब इस सृष्टि का महाविनाश होने वाला है। इस ईश्वरीय ज्ञान और राहज राजयोग की शिक्षा से मनुष्य को जीवन मिलता है।