आलेख़

मन के हारे हार है, मन के जीते जीत : गुड़िया झा

रांची , झारखण्ड | अगस्त | 23, 2020 :: ” हिम्मत हमेशा दहाड़ती नहीं, कभी कभी अनकही आवाज है जो कि दिन ढलने पर धीरे से कहती है कि मैं कल फिर आऊंगा।” आज तक जितने भी व्यक्तियों नें अपने जीवन में सफलता प्राप्त की है, उनकी सफलता के पीछे दृढ़ इच्छाशक्ति का महत्वपूर्ण योगदान है। कई बार ऐसा होता है कि हमारे मन में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रबल इच्छा होती है। लेकिन ये इच्छायें दिलों दिमाग तक ही सीमित रह जाती हैं। इसका सबसे प्रमुख कारण ये है कि हमारा मन पहले से ही इस बात को स्वीकार कर लेता है कि हम इस कार्य को पूरा नहीं कर पायेंगे। इसी हतोत्साहित के कारण हम अपने कदम आगे नहीं बढ़ा पाते हैं।
थोड़ी सी सजगता और सावधानी हमें अपने लक्ष्य के प्रति जागरूक रहने के लिए प्रेरित करती है।

1, ईमानदारी का दामन नहीं छोड़ें।
ईमानदारी एक ऐसा गुण है जो किसी भी परिस्थिति में हमें एक मजबूत ढाल की तरह खड़ा रखता है। सबसे पहले हमें स्वयं के प्रति ईमानदार रहना होगा। पूरी ईमानदारी के साथ जब हम किसी कार्य की शुरुआत करते हैं,तो उसके पूरे होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। जहां ईमानदारी होगी वहां निराश होने का सवाल ही नहीं उठता है। ईमानदारी से अपनाये गये रास्ते थोड़े कठिन जरूर होते हैं लेकिन नामुमकिन नहीं। लक्ष्य के प्रति त्याग और समर्पण का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। पूरे जोश के साथ एकाग्रता बनाते हुए जब हम अपबे लक्ष्य में जुट जाते हैं, तो धीरे धीरे इसका असर होना भी शुरू हो जाता है। अभी तक हमनें जितनी भी सफलतायें हासिल की हैं, चाहे वह छोटी हो बड़ी, उसके लिए भी खुद को प्रोत्साहित करना चाहिए। जब हम खुद को प्रोत्साहित करेंगे तभी हमारे काम करने की दिशा में प्रगति होगी। जिस प्रकार से हम अपनी सफलता पर खुश होते है, उसी प्रकार से हमें अपनी विफलताओं को भी स्वीकार करना होगा। हम कुछ खामियों के कारण ही निर्धारित लक्ष्य पर पहुंच नहीं पाते हैं। जैसे ही हम अपनी खामियों को दूर कर आगे बढ़ेंगे तो हमारे रास्ते खुद ब खुद बनते जायेंगे। हमेशा ये भावनायें रखें कि हम अपने लक्ष्य को अवश्य ही प्राप्त कर लेंगे।

2, सकारात्मक लोगों के साथ रहें।
खुद भी सकारात्मक सोच बनाये रखें और अपना सम्पर्क भी ऐसे ही लोगों के साथ रखें जिससे कि वो हमें किसी भी प्रेरणादायक कार्य को करने के लिए हमेशा प्रोत्साहित करते हैं। अच्छे लोगों की संगति उन बहुमूल्य वस्तुओं से भी ज्यादा कीमती होती है जिसके आगे दुनिया की हर बहुमूल्य वस्तु फिकी दिखाई देती है। हर अच्छे काम में कई बधाओं का आना भी स्वाभाविक है। लेकिन इन बाधाओं से सबक लेकर ही हम अपने लक्ष्य की ओर बढ़ेंगे, तो हम पायेंगे कि हमनें जिस लक्ष्य की ओर कदम आगे बढ़ाया है,उसके आगे तो ये चुनौतियां बहुत ही छोटी हैं।

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