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डॉ. परिणीता सिंह से जानिए क्या है आसनों का मनोचिकित्सकीय महत्व

आसनो द्वारा ना सिर्फ शरीर में परिवर्तन आता हैं बल्कि इसका प्रभाव मन एवं ऊर्जा शक्ति पर भी पड़ता है :
डॉ. परिणीता सिंह ( योग विशेषज्ञ )

* आसनों का प्रभाव शरीर मन और चेतना तीनों पर पड़ता है

* आसनजय होने पर मन में कोई द्वन्द नहीं रह जाता

* आसन हमारे विचार, मनोदशा, भावना में अनुकूल परिवर्तन लाता है

योग के अनुसार हमारे व्यक्तित्व के निर्माण में तीन घटक, शरीर मन और चेतना मुख्य है। आसनों का प्रभाव इन तीनों पर पड़ता है। आसनों द्वारा शारीरिक समस्याओं का निराकरण कर क्रियाकलापों को पुनः स्थापित किया जा सकता है। हमारा शरीर हमारे अंदर की भावना, क्षमता, ऊर्जा एवं मन को दर्शाता है। शारीरिक स्थिति हमारे मन: स्थिति की अभिव्यक्ति है जो बिना कहे हमारे आंतरिक भावना और मनोवृति के बारे में बहुत कुछ बदला सकती है। हमारी विचार शक्ति ही शारीरिक भंगिमाओं द्वारा व्यक्त होती है। जब हम किसी भी आसन को धारण करते हैं तो उस आसन द्वारा ना सिर्फ शरीर में परिवर्तन लाते हैं बल्कि इसका प्रभाव हमारे मन एवं ऊर्जा शक्ति पर भी पड़ता है। शरीर, मन और ऊर्जा के बीच गहरा संबंध है जो एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। हठयोग ग्रंथों के अनुसार आसन हमारे ऊर्जा प्रवाह में परिवर्तन लाकर भावना एवं प्राणों के प्रति सजगता का विकास करता है जबकि राजयोग द्वारा आसनों का प्रभाव मन पर पड़ता है यानी आसनजय होने पर मन में कोई द्वन्द नहीं रह जाता है। शारीरिक क्षमता एवं मानसिक शक्तियों का विकास होता है ।

आसनजय द्वारा मानव कोश के निम्न तीन कोशों (अन्नमय, प्राणमय और मनोमय ) का पोषण होता है। आसनों के अभ्यास के समय शरीर की अंतिम अवस्था श्वास और सजगता का समावेश रहता है। शरीर की विशेष अवस्था का प्रभाव हमारे मर्म स्थलों पर पड़ता है जिससे ना सिर्फ नस नाड़ियों मांसपेशियों की मालिश होती है बल्कि वहां के विकार भी हट जाते हैं। मर्म स्थलों की शुद्धि परिपुष्टि के लिए आसनों को उत्तम उपचार माना गया है । आसनों द्वारा शरीर के सभी अवयवों पर प्रभाव पड़ता है जिससे अन्नमयकोश की सक्रियता तेजोमय हो जाती है। श्वास द्वारा प्राणमय कोश को पुष्ट किया जाता है और सजगता द्वारा मनोमय कोश सक्रिय हो जाता है। इन तीनों का समावेश साधक को शरीर मन एवं चित्त को समझने एवं संतुलित करने के गुण समझ में आने लगते हैं इन तीनों कोशो का नियंत्रण मस्तिष्क को आंतरिक रूप से जागृत करने का कार्य करता है। मस्तिष्क की शक्ति हमारे संपूर्ण शारीरिक प्रणाली को संचालित करता है। अत: आसन हमारे विचार, मनोदशा, भावना में अनुकूल परिवर्तन लाता है साथ ही साथ सजगता का विस्तार और अपने प्रति समझ विकसित करता है।

डॉ. परिणीता सिंह ( योग विशेषज्ञ )

Email :: parinitasingh70@gmail.com

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