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जो हिन्दुस्तान से करे प्यार वह हिंदी को कैसे करे इन्कार : गुड़िया झा

जो हिन्दुस्तान से करे प्यार वह हिंदी को कैसे करे इन्कार : गुड़िया झा

हर एक देश की पहचान उस देश की भाषा और संस्कृति से होती है। किसी भी देश की एकता और स्थायित्व में उस देश की राष्ट्र भाषा एक अहम व महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यूं तो हमारे देश भारत में विभिन्न प्रकार की भाषाएं बोली जाती हैं। हर क्षेत्र की अलग-अलग भाषाएं है। लेकिन जिसका सबसे अधिक उपयोग होता है, वह है ” हिन्दी “। देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी भारतीय हिन्दी सिनेमाओं की काफी धूम रही है। फिल्मों के अलावा अधिकांश टीवी धारावाहिक भी हिन्दी में ही बनते और प्रसारित भी होते हैं।
हिन्दी, जिसे राष्ट्र भाषा का गौरव प्राप्त है। वह जाने-अनजाने में देश के कुछ हिस्से में उपेक्षा का शिकार है और तमाम प्रयासों के बावजूद भाषा विवाद में फंसा हुआ है। यदि हिन्दी भाषी अपने सकारात्मक प्रयास से इसका समाधान नहीं निकालते, तो बहुत जल्द राष्ट्र भाषा न सिर्फ देवभाषा संस्कृत की तरह विलुप्ति के कगार पर पहुंच जायेगा बल्कि भाषा के इतिहास में एक विवादस्पद भाषा के रूप में दर्ज हो जायेगा।
सकारात्मक प्रयास के रूप में इसके प्रसार-प्रचार को बढ़ावा देना होगा। हिन्दी भाषी तो इसका उपयोग करें हीं साथ ही अहिन्दी भाषियों को भी इसका उपयोग करने के लिए प्रेरित करें। इसके लिए व्यक्ति को किसी क्षेत्र विशेष की भाषा के साथ-साथ हिन्दी की अच्छी जानकारी रखनी चाहिए। ताकि जिस जगह हिन्दी का प्रचार-प्रसार हो रहा हो वहां के लोग यह कदापि न समझें कि हिन्दी भाषा उनपर थोपी जा रही है और इसके उपयोग से उनके भाषा के अस्तित्व पर कोई खतरा है।बल्कि उन्हें यह समझ में आये कि हिन्दी सीखने से वे अपनी भाषा को भी बढ़ा सकते हैं। कहा जाता है कि “भाषाएं आपस में बहनें, अलग-अलग पोशाकें पहनें।”
यदि इस बात में सच्चाई है तो बहनों को लेकर विवाद कैसा?
अभी झारखंड प्रांत में जो रोजगार नीति बनी उसमें हिन्दी भाषा को वह सम्मान नहीं मिला जो क्षेत्रीय भाषाओं को मिला। हिन्दी भाषियों के लिए यह चिंता का विषय हो सकता है। परन्तु यह चुनौतियों में अवसर पैदा करने का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। यदि हिन्दी भाषी कोई क्षेत्रीय भाषा सीख कर सरकार के निर्धारित मापदंडों को पूरा कर आगे बढ़ेंगे, तो यह हिन्दी भाषियों को गैर हिन्दी भाषी क्षेत्रों में हिन्दी की उदारता को प्रमाणित करने का अवसर होगा।

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