रांची, झारखण्ड | अक्टूबर | 15, 2019 :: कला संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉक्टर सुशील अंकन को झारखंड सेवा रत्न अवॉर्ड 2019 दिया जाएगा
समारोह, भारत एवं राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान ‘विश्व सेवा परिषद’ द्वारा 20 अक्टूबर 2019 को शहीद स्मृति सभागार केंद्रीय पुस्तकालय केंद्रीय पुस्तकालय रांची में आयोजित किया जाएगा.
संक्षिप्त परिचय: डाॅ॰ सुशील कुमार ‘अंकन’
जन्म और परिवार
राँची महानगर के हरमू रोड गौशाला के निकट पिंजरा पोल मोहल्ले में श्री जगदीश नारायण ‘पवन’ और श्रीमती प्रीति देवी के आंगन में बालक सुशील कुमार का जन्म 12 जुलाई 1954 को हुआ। कहते है पालने में ही पूत के पाँव पहचान में आ जाते हैं। सुशील बाल्यावस्था से ही कला के प्रति आसक्त थे। पिता जगदीश नारायण ‘पवन’ लेखक, नाटककार और चित्रकार थे तो चाचा सचिन, प्रसिद्ध अन्तर्राष्ट्रीय छायाकार थे, तो भला सुशील कैसे पीछे रहते ? अपनी प्रतिभा से सुशील अंकन ने झारखंड कला जगत में एक मुकाम बनाया है और झारखंड में एक कला-संस्कृति स्तंभ की तरह आपका नाम है।
आपके परिवार में पत्नी और आपकी दो संतानें हैं। बड़ा पुत्र इंडियन एयर फोर्स में विंग कमांडर के पद पर सुखोई-30 लड़ाकू विमान का पायलट है और पुत्री संत जेवियर काॅलेज में एनिमेशन की प्रोफेसर है। आपकी बहु डिफेंस स्कूल में शिक्षिका है और पोता उसी स्कूल का विद्यार्थी।
शिक्षा-दीक्षा
इन्हें प्राथमिक शिक्षा पहाड़ी टोला मिडिल स्कूल से, माध्यमिक शिक्षा मारवाड़ी स्कूल से और उच्च शिक्षा मारवाड़ी काॅलेज तथा करीमसीटी काॅलेज से प्राप्त हुई। मास्टर डिग्री की शिक्षा इन्होंने राँची विश्वविद्यालय से प्राप्त की। राँची विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग से पास होने के पश्चात् 1981 में बिरसा काॅलेज खूँटी के दर्शनशास्त्र विभाग में व्याख्याता के रूप में नियुक्ति मिली। नौ साल बिरसा काॅलेज में सेवा देने के बाद इन्हें राँची के मारवाड़ी काॅलेज में स्थानातंरित कर दिया गया। मारवाड़ी काॅलेज में 20 वर्ष की सेवा के पश्चात् पुनः 2011 में इन्हें राँची विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग स्थानांतरित कर दिया गया। तत्पश्चात 2012 में पुनः राँची विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में निदेशक नियुक्त किये गये और वहाँ सेे पुनः अपने पैतृक विभाग में स्थानांतरित हुए।
आपने दर्शनशास्त्र के साथ पत्रकारिता एवं जनसंचार में भी मास्टर डिग्री हासिल की। पढ़ाई के प्रति रूझान के कारण आपने बैचलर आॅफ लाॅ की परीक्षा भी पास की। अपने अध्यापन काल में ही आपने राँची विश्वविद्यालय से सर्वोच्च डिग्री पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की और शिक्षा एवं शोध के क्षेत्र में अपने मार्गदर्शन में आपने कई पीएच.डी. पूरे करवाये और वर्तमान में भी कई पीएच.डी. शोधकार्य आपके मार्गदर्शन में चल रहे हैं। इस तरह आपने शिक्षा के क्षेत्र में भी अतुलनीय योगदान दिया।
आपने 2015 में राँची विश्वविद्यालय फोटोग्राफी क्लब ‘रूपसी’ की स्थापना की और विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को फोटोग्राफी की निःशुल्क शिक्षा प्रदान करे रहे हैं।
संत जेवियर काॅलेज राँची, करीमसीटी काॅलेज जमशेदपुर सहित अन्य कई संस्थानों में विजिटिंग प्रोफेसर की हैसियत से आप विद्यार्थियों को फिल्म निर्माण की भी शिक्षा प्रदान करते हैं।
कला-संस्कृति में योगदान
अध्ययन और अध्यापन के साथ साथ झारखंड की कला-संस्कृति के क्षेत्र में भी आपका योगदान अतुलनीय है। आपके इसी योगदान के कारण झारखंड सरकार ने आपको, कला-संस्कृति मंत्रालय, नई दिल्ली, भारत सरकार की इकाई ‘पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, कोलकाता’ में झारखंड के कला प्रतिनिधि के रूप में तीन-तीन वर्षों के लिये दो बार मनोनित किया।
रंगमंच, आकाशवाणी, दूरदर्शन और क्षेत्रीय फिल्म
आपने रंगमंच, आकाशवाणी, दूरदर्शन और क्षेत्रीय फिल्मों के लिये अहर्निश कार्य किया है। झारखंड के रंगमंच पर आपने कई यादगार नाटक मंचित किए। जिनमें आषाढ़ का एक दिन, महाभोज, कामायनी, एक और द्रोणाचार्य, स्कंदगुप्त, आला अफसर, गोदान, अरे ! शरीफ़ लोग, दुलारी बाई आदि मुख्य हैं। रंगमंचीय प्रस्तुति के लिए आप भारतवर्ष के राजस्थान, उत्तरप्रदेश, नई दिल्ली, बिहार सहित कई राज्यों का भ्रमण कर अपनी नाट्यकला का प्रदर्शन कर चुके हैं।
आकाशवाणी में सौ से भी अधिक नाटकों और धारावाहिकों में आपने अपना स्वर दिया है। आपकी आवाज़ कई बार आकाशवाणी के राष्ट्रीय प्रसारणों में सुनाई दी है। आप आकाशवाणी और दूरदर्शन दोनों में बी-हाई ग्रेडेड कलाकार हैं। राँची दूरदर्शन के प्रारम्भिक दौर में आपने सैंकड़ों डाॅक्टर्स इन्टरव्यू प्रोग्राम किये हैं। साथ ही आपने दूरदर्शन के 21 टेलीफिल्मों में बतौर नायक कार्य किया है। कुछ समय के लिये आप दूरदर्शन पर समाचार वाचक भी रहे हैं। आपने तीन चार क्षेत्रीय फिल्मों में भी सराहनीय अभिनय किया है।
झारखंड के वरिष्ठ कला मनीषियों पर आपके द्वारा बनाई जा रही धारावाहिक (विडियो फिल्म) ‘‘अपने शहर का आदमी’’ एक अनूठा प्रयोग और समाज के लिए एक जरूरी काम है। इस श्रृंखला में आपने अभी तक छः फिल्मों का निर्माण कर लिया है और अभी निरंतर काम जारी है।
आपने 22 डाॅक्युमेंट्री फिल्मों का भी निर्माण किया है। जिसमें यूनिसेफ के लिए तीन और युजीसी के लिए एक फिल्म शामिल हैं। इसके अतिरिक्त आपने कई शैक्षणिक शाॅट फिल्मों का भी निर्माण किया है।
सम्मान
कला-संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के कारण आपको विभिन्न संस्थानों के द्वारा समय समय पर सम्मानित किया जाता रहा है। इस तरह के दर्जनों सम्मान से आप विभूषित हैं। अभी हाल में ही 28 अप्रेल 2019 को सिंहभूम ज़िला हिन्दी साहित्य सम्मेलन जमशेदपुर की ओर से तुलसी भवन में आपके उपलब्धियों के लिए आपको सम्मानित किया गया है और अब भारत एवं राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान ‘विश्व सेवा परिषद’ द्वारा आपको ‘‘झारखंड सेवा रत्न 2019’’ दिया जा रहा है।