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विश्व साक्षरता दिवस :: 8 सितम्बर

सितम्बर |08, 2017 :: ज्ञान इंसान को जीवन के सभी अंधेरों से बाहर निकाल एक बेहतर और उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर करता है।
इतिहास इस बात का साक्षी रहा है कि जिस देश और सभ्यता ने ज्ञान को अपनाया है उसका विकास अभूतपूर्व गति से हुआ है। शिक्षा के महत्व का वर्णन करना शब्दों में बेहद मुश्किल है और शायद इसीलिए हर साल 08 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस मनाया जाता है। दुनिया से निरक्षरता को समाप्त करने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने 17 नवंबर, 1965 के दिन 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस मनाने का फैसला लिया था।
दुनियाभर में 1966 में पहला विश्व साक्षरता दिवस मनाया गया था और तब से पूरी दुनिया में अशिक्षा को समाप्त करने के संकल्प के साथ अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस आठ सितंबर को हर साल मनाए जाने की परंपरा जारी है। इसका उद्देश्य व्यक्तियों और समुदायों में साक्षरता के महत्व को रेखांकित करना है।
प्रत्येक वर्ष एक नए उद्देश्य के साथ विश्व साक्षरता दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2009-2010 को संयुक्त राष्ट्र साक्षरता दशक घोषित किया गया है।
भारत के संदर्भ में औसत साक्षरता दर और भी कम यानी 74 फीसदी ही है। राजस्थान जनगणना 2011 के अनुसार साक्षरता 67.06  फीसदी है, जो देश स्तर पर 33वां स्थान पर है। महिला साक्षरता 52.66, पुरुष साक्षरता 80.51 है
साक्षरता का मतलब केवल पढऩा-लिखना या शिक्षित होना ही नहीं है। यह लोगों में उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूकता लाकर सामाजिक विकास का आधार बन सकती है। गरीबी उन्मूलन में इसका महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। महिलाओं एवं पुरुषों के बीच समानता के लिए जरूरी है कि महिलाएं भी साक्षर बनें।

आलेख: कयूम खान, लोहरदगा

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