अक्टूबर | 11, 2017 :: अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस प्रत्येक वर्ष 11 अक्टूबर को मनाया जाता है। इस वर्ष का थीम है – ‘‘एंपावर गर्ल्सः इमरजेंसी रिस्पांस एंड रेजिलिएंस प्लानिंग’’।
जलवायु परिवर्तन, आपदा और संघर्ष के कारण लड़कियों का जीवन प्रभावित होता है। इसके कारण उन्हें अपना घर-बार छोड़ना पड़ता है। इस दौरान उन्हें लड़की होने के कारण कई प्रकार के खतरों और हिंसा का सामना करना पड़ता है।
उदाहरण के लिए, संकट के समय लड़कियों के पास काफी कम संसाधन होते हैं, कहीं आने-जाने में समस्याएं आती हैं, इसके अलावा जीवन रक्षा संबंधी सूचनाओं और नेटवर्क को प्राप्त करने में कठिनाईयां आती है। हिंसा, जिसमें यौन हिंसा भी शामिल है, इसके अलावा, स्कूल संबंधित लैंगिक हिंसा, बाल विवाह – मुलभूत मानवीय अधिकार और सुरक्षा के मुद्दे,आपदा के दौरान अधिक गंभीर हो सकते हैं।
हालांकि, लड़कियां आपदाओं से जल्दी उबरने में सक्षम होती हैं। लड़कियों के लिए लंबी अवधि का समाधान, आपदाओं से उबरने की उनकी क्षमता को मजबूती प्रदान कर सकता है तथा उनके जीवन में अवसर प्रदान करने और रूपांतरण हेतु मार्ग प्रशस्त कर सकता है।लड़कियों, खासकर किशोरियों को दिन-प्रतिदिन के जीवन में आने वाली समस्याओंको व्यक्त करने के लिए मंच की आवश्यकता है, ताकि उन समस्याओं का समाधान तलाशा जा सके और वे अपने और अपने समुदाय के लिए बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकें।
लड़कियों के सशक्तिकरण के लिए केंद्रित निवेश तथा आपातकालीन तैयारी, आपातकालीन प्रतिक्रिया एवं विकास राहत कार्य एवं विकास क्षेत्रों के बीच सहयोग की आवश्यकता है। लड़कियों को सेवा एवं सुरक्षा, शिक्षा तथा कौशल जिसकी उन्हें उनके रोजमर्रा के जीवन में जरूरत है, उन खतरों को कम कर सकता है, जिसका सामना उन्हें संघर्ष और आपदा की स्थिति में करना पड़ता है।
झारखंड में स्थितिझारखंड में 72 लाख लड़कियां 18 वर्ष से कम उम्र की हैं। वे एक जीवंत समाज और एक विशाल जनसंख्या की भविष्य हैं। सतत विकास लक्ष्य के अन्तर्गत लैंगिक समानता के लक्ष्य को सुनिश्चित करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि किस प्रकार लड़कियों को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में हर दिन हर जगह अनेक प्रकार की परेशानियों और भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
यूनिसेफ झारखंड की प्रमुख डा. मधुलिका जोनाथन कहती हैं, ‘‘यह घ्यान देने योग्य बात है कि झारखंड के ग्रामीण इलाकों में महिला कार्यबल की हिस्सेदारी मात्र 19.8 प्रतिशत है। यह झारखंड के लिए अर्थव्यवस्था की दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। झारखंड को किशोरियों के सशक्तिकरण करने हेतु उनमें निवेश करने की आवश्यकता है, ताकि उनकी शादी को 20 वर्ष के होने तक टाला जा सके। इस निवेश का परिणाम बेहतर आर्थिक उत्पादकता, परिवारों की आय में वृद्धि तथा गरीबी के चक्र को तोड़ने के रूप में सामने आ सकता है।’’
18 वर्ष से कम उम्र के लड़कियों को प्रभावित करने वाले मुद्देः झारखंड में लिंगानुपात में गिरावट देखी जा रही है। 1000 लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या मात्र 919 है। प्रत्येक तीन में से एक लड़की की शादी 18 वर्ष पूरे होने से पहले हो जाती है (जनगणना 2011)। लड़कियों के लिए उम्र विशिष्ट उपस्थिति अनुपात कम है (90ः70, एनएसएसओ 2014), 67.2 प्रतिशत लड़कियां एनीमियाग्रस्त हैं (एनएफएचएस 3), शिशु मृत्यु दर लड़कों (27) की तुलना में लड़कियों (31) में अधिक है (एसआरएस 2016), कुपोषण के कारण लड़कियों में नाटापन की दर 49.9 प्रतिशत है, जबकि लड़कों में 44.7 प्रतिशत (आरएसओसी)बाल विवाह के मामले में झारखंड; पश्चिम बंगाल और बिहार के बाद तीसरे स्थान पर है। झारखंड में 20 से 24 वर्ष की 38ः महिलाओं की शादी 18 वर्ष से पहले हो जाती है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 26.8ः है। (एनएफएचएस-4)। लड़कियों के बाल विवाह के मामले में झारखंड में गोड्डा जिला सबसे उपर है। गोड्डा में 20 से 24 वर्ष की 63.5ः महिलाओं की शादी 18 वर्ष से पहले हो जाती है, जबकि राज्य का औसत 38ः है। दूसरे जिलों में की बात करें तो गढ़वा में यह 58.8ः, देवघर में 52.7ः गिरीडीह में 52.6ः, कोडरमा में 50.8ः,चतरा में 49ः, दुमका में 47.4ः, पाकुड़ में 41.1ः,, हजारीबाग में 40.8ः, पलामू में 40.5ः, साहेबगंज में 38.4ः और बोकारो में 30.6ः है (एनएफएचएस-4)झारखंड में बाल विवाह की दर जिन जिलों में कम है, उनमें सिमडेगा – 14.7ः, पश्चिमी सिंहभूम-21.3ः, गुमला-24ः, रांची-28.1ःए लोहरदगा-28.5ः और धनबाद – 29.9ः है। (एनएफएचएस – 4)सतत विकास लक्ष्य के टार्गेट संख्या 5.3 में सरकारों ने वादा किया कि वह अपने यहां से 2030 तक सभी प्रकार के हानिकारक प्रथाओं, जैसे कि बाल विवाह, जबरन शादी तथा महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार को समाप्त करेंगे। संयुक्त राष्ट्र महासभा में 25 सितंबर 2015 को संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों ने सतत विकास लक्ष्य के व्यापक उद्देश्य के तहत लक्ष्य संख्या 5.3 में इंगित बाल विवाह को समाप्त करने का वादा किया है।
जैसा कि सतत विकास लक्ष्य के तहत वर्तमान में कार्य चल रहा है, जिसमें सरकारों को शामिल किया गया है तथा वैश्विक, क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय स्तर पर लड़कियों से संबंधित संकतकों की निगरानी की जा रही है, ताकि लड़कियों की स्थिति को लेकर एक विश्वसनीय आंकड़ों को जुटाया जा सके, जिसमें गरीबी और अपंगता की शिकार लड़कियों का आंकड़ा भी शामिल है।
लड़कियों की प्रगति, सबकी प्रगति ऽ लड़कियों की प्राथमिक शिक्षा में यदि एक वर्ष अतिरिक्त जोड़ दिए जाएं तो आगे चलकर उनके आय स्रोत में 10 से 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है इसके साथ ही माध्यमिक शिक्षा का एक अतिरिक्त वर्ष उनकी आय को 15 से 25 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है।ऽ यदि सभी लड़कियों को माध्यमिक शिक्षा मुहैया कराया जाता है, तो 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की होने वाली मृत्यु दर को आधा किया जा सकता है।ऽ अध्ययन के अनुसार, किशोरियों के गर्भधारण में विलंब से राष्ट्रीय आर्थिक उत्पादकता को 51,590 करोड़ तक बढ़ाया जा सकता है।
लड़कियों की प्रगति के लिए आवश्यक बातें -ऽ प्रिवारों और समुदाय को बाल विवाह के नुकसान के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है, उन्हें बाल विवाह निषेध कानून 2006 के प्रावधानों के बारे में भी जानने की आवश्यकता है। इसके अलावा, उन्हें अपने गांव, समुदाय/क्षेत्र में होने वाली शादियों को रोकने हेतु सावधान रहने की जरूरत है। यदि कहीं पर बाल विवाह हो रहा हो तो उन्हें तुरंत इसकी जानकारी प्रखंड विकास पदाधिकारी को देना चाहिए या चाइल्ड हेल्प लाइन नंबर 1098 पर सूचना देनी चाहिए।ऽ बाल विवाह की रोकथाम के लिए कार्य योजना की अधिसूचना जारी करना और उसे लागू करना तथा इसके कार्यान्वयन के लिए आवश्यक वित्तीय प्रावधान किया जाना चाहिए।ऽ लड़कियों को माध्यमिक और उच्च शिक्षा पूर्ण करने हेतु तथा उनके कौशल निर्माण तथा बालिग होने तक शादी नहीं करने के लिए प्रोत्साहन देने हेतु योजना का लाभ प्रदान किया जाना चाहिए। ऽ ग्राम सभा की स्टैंडिंग कमेटी में महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करना, महिलाओं के मुद्दे को ग्राम पंचायत विकास योजना में शामिल करना तथा लड़कियों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता तथा सुरक्षा की बेहतर व्यवस्था बनाना।ऽ सरकारी विभागों और संस्थानों की क्षमता में वृद्धि कर महिलाओं से संबंधित आंकड़ों का संग्रहण, विश्लेषण कर उनका प्रचार-प्रसार करना, ताकि लड़कियों और महिलाओं से संबंधित मुद्दे जैसे कि लैंगिक हिंसा, किशोरी गर्भधारण, प्रजनन स्वास्थ्य, अनौपचारिक रोजगार, बिना भुगतान कार्य और अन्य दूसरी प्राथमिकताओं को बेहतर बनाया जा सके। ऽ जाति, उम्र, आय स्रोत, विकलांगता, स्थान, पलायन की स्थिति आदि के आधार पर लड़के और लड़कियों से संबंधित आंकड़ों का वर्गीकरण करना, ताकि इस बात को साफ-साफ समझा जा सके कि किन जगहों पर कौन से बच्चे और किशोरियां सुविधाओं से वंचित हैं। ऽ दुर्गम क्षेत्रों में लड़कियों को माध्यमिक और उच्च शिक्षा पूरी करने के सहायता उपलब्ध कराना तथा उनके लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।ऽ लड़कियों और बालिकाओं को केंद्र में रखकर नीति निर्माण और विकास की रूपरेखा तय करना, ताकि सुसंगत और समावेशी कार्यवाही को लेकर आम सहमति बनाई जा सके।
आंकड़ा -झारखंड एवं भारत
Indicators | Jharkhand | India | Data Source |
Population girls below 18 years
Population boys below 18 years |
70.3 lakh
75.6 lakh |
Census, 2011
|
|
Population of boys of 0-6 years
Population of girls of 0-6 years |
26.2 lakh
27.6 lakh |
Census, 2011 | |
Child Sex ratio (0-6 years)-girls per 1000 boys | 919 | 919 | NFHS-4,2015-16 |
Female Literacy Rate
Male Literacy Rate Total Literacy Rate |
59
79.7 66.41 |
68.4
85.6 73.0 |
NFHS-4,2015-16
NFHS-4,2015-16 Census, 2011 |
Education | |||
Elementary Education (Enrolment)
(No of girls per 1000 boys) |
974 | NA | DISE, 2015-16 |
Average Annual dropout rate at primary level
Boys Girls |
5.91 5.03 |
NA |
DISE, 2015-16 |
Transition rate
Boys Girls |
80.76 77.66 |
NA |
DISE, 2015-16 |
Retention rate at Elementary level
Boys Girls |
46.06 47.79 |
NA |
DISE, 2015-16 |
Women with 10 or more years of schooling (%) | 28.7 | 35.7 | NFHS 4,2015-16 |
Child Protection | |||
Child Worker (5-14 years) (%)
Boys Girls |
4.9 4.8 |
Census, 2011
|
|
Children aged below 5 years whose birth is registered (%)
Male Female |
35.8 33.9 |
71.3 72.7 |
RSOC,2013-14 |
Mean age at marriage(yrs)
Female Male |
19.8 23.4 |
21.1 25.0 |
RSOC,2013-14 |
Women aged 20-24 married before age 18(%) | 38 | 24.8 | NFHS 4,2015-16 |
Men (25-29 years) married by age 21 (%) | 30.2 | 20.4 | NFHS- 4,2015-16 |
Adolescent Girls (10-19 years) (%)
Adolescent girls ever married (age 10-19) Adolescent girls ever married (age 10-14) Adolescent girls ever married (age 15-19)
|
7.3 0.2 17.0 |
6.4 0.3 12.8 |
RSOC,2013-14 |
Health | |||
Infant Mortality rate (IMR) (Per 1000 live births)
Boys Girls Total |
27 31 29 |
33 36 34
|
SRS-2016 |
Under 5 Mortality rate (U5MR) (Per 1000 live births)
Boys Girls Total |
40 48 44 |
42 49 45 |
SRS-2014 |
Neo-natal Mortality Rate(Per 1000 live births) | 25 | 26 | SRS-2014 |
Maternal Mortality Ratio (MMR)(Per 100,000 live births) | 208 | 167 | SRS-2013 |
Women (15-19 years),who were already mothers or pregnant at the time of the survey | 12 | 7.9 | NFHS- 4,2015-16 |
Nutrition | |||
((%) of children aged 0-59 months) | |||
Stunted (Height for age below-2SD)(%)
Boys Girls |
44.7
49.9 |
39.5
37.8 |
RSOC, 2013-14 |
Severely Stunted (Height for age below-3SD)(%)
Boys Girls Total |
NA NA 23.7 |
17.6 16.9 17.3 |
RSOC, 2013-14 |
Wasted (Weight for height below -2SD)(%)
Boys Girls Total |
NA NA 15.6 |
15.6 14.5 15.1 |
RSOC, 2013-14 |
Severely Wasted (Weight for height below -3SD)(%)
Boys Girls Total |
NA NA 3.7 |
4.8 4.4 4.6 |
RSOC, 2013-14 |
Underweight (Weight for age below -2SD)(%)
Boys Girls Total |
NA NA 42.1 |
30.0 28.7 29.4 |
RSOC, 2013-14 |
Severely Underweight (Weight for age below -2SD)(%)
Boys Girls Total |
NA NA 16.1 |
10.0 8.9 9.4 |
RSOC, 2013-14 |
Children aged 0-23months breastfed Immediately/within an hour of birth (%)
Boys Girls |
33.4 31.9 |
43.8 45.4 |
RSOC, 2013-14 |
Children aged 0-5 months who were exclusively breastfed
Boys(%) Girls |
62.9 66.1 |
65.0 64.8 |
RSOC, 2013-14 |
Children aged 6-8 months who were fed complementary foods
Boys(%) Girls |
61.3 44.2 |
52.9 47.8 |
RSOC, 2013-14 |
Anaemia among women of 15-49 years (%)
Anaemia among adolescent girls of 15-19 years(%) |
65.2
67.2 |
53
55.8 |
NFHS-4 (2015-16)
NFHS-3 (2005-06) |
Women whose Body Mass Index (BMI) is below normal (BMI<18.5kg/m2)(%) | 31.5 | 22.9 | NFHS-4 (2015-16)
|
WASH | |||
Using improved sanitation facility (%) MaleFemale Total |
14.7 17.1 15.0 |
NA NA 41.8 |
RSOC,2013-14 |