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सरकार ने जेनेरिक दवा दुकानों खोलकर सन्देश देने का कार्य किया

राची, झारखण्ड | जुलाई | 17, 2023 ::

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के प्रत्येक ग्राम पंचायत में कम से कम एक दवा दुकान खोलने के वादे को पूरा करते हुए अब तक 543 दवा दुकानों को स्वीकृति प्रदान कर दिया है। जेनेरिक दवा दुकान खोलने के लिए प्राप्त 1593 आवेदन प्राप्त हुए थे। सबसे अधिक देवघर से 233 आवेदन प्राप्त हुए । वहीं चतरा में मुख्यमंत्री ने तीन लोगों को स्वीकृति पत्र प्रदान करते हुए दवा दुकानों का शुभारंभ भी कर दिया है ।

 

सरकार का सहयोग:
राज्य सरकार इस योजना के माध्यम से ग्रामीणों को समय पर दवा उपलब्ध कराना एवं शिक्षित ग्रामीणों को रोजगार एवं आय के स्रोत में वृद्धि करना चाहती है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर इन दवा दुकानों में ग्रामीणों को विभागीय हेल्प लाइन नंबर 104 के साथ टेली – मेडिसिन एवं टेली-कंसल्टेंसी की सुविधाएं निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएंगी।
कल्याण विभाग के द्वारा दुकान खोलने के युवाओं को सहायता उपलब्ध कराई जाएंगी।
प्रखंड विकास पदाधिकारी इच्छुक एवं पात्र व्यक्ति को बैंक से ऋण दिलवाने में सहायता प्रदान करने का कार्य करेंगे।

दवा दुकानों के जरिये रेवड़ियों पर लगेगी रोक :
सरकार ने जेनेरिक दवा दुकानों को खोलकर एक सन्देश देने का कार्य किया है।
झारखण्ड में 56 फार्मेसी कॉलेज संचालित हो रहे है। इनमें से 22 संदेह के दायरे में हैं। सभी कॉलेजों की जाँच के बाद विभाग तय करेगा की किन कॉलेजों की मान्यता बनाये रखी जाय। ये कॉलेज निर्धारित मापदंड का पालन नहीं करते। कुछ महीने पहले मामला उजागर होने के बाद सभी निजी फार्मेसी कॉलेजों की जांच कराई गई जिसमें खुलासा हुआ कि झारखंड में दो-दो कमरों में नर्सिंग और फार्मेसी कॉलेज चल रहे हैं।
मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने निजी फार्मेसी कॉलेजों की जांच के लिए सभी जिलों में मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने का आदेश दिया।
कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर आगे कि कार्रवाई की जाएगी।
जो फार्मेसी कॉलेज मापदंड पूरा नहीं कर रहे, उनका निबंधन रद्द किया जाएगा।

स्वास्थ्य मंत्री के आदेश के बाद स्वास्थ्य विभाग ने भी नर्सिंग और पारा मेडिकल की पढ़ाई में चल रहे फर्जीवाड़े पर नकेल कसने के लिए नियमावली लागू कर झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद के माध्यम से एडमिशन कराने का फैसला लिया।
इसके लिए सभी कॉलेजों से सीटों का ब्योरा और आधारभूत संरचना की जानकारी मांगी गई।
जनवरी महीने में आयोजित डिप्लोमा फार्मेसी की परीक्षा में 98 फीसदी छात्र फेल कर गए थे। मात्र 58 विद्यार्थी ही विषयवार परीक्षा में सफल हो सके। परीक्षा में धांधली की शिकायतें रोज मीडिया में छायी रही। कई बार प्रश्न पत्र लीक होने की शिकायत भी प्राप्त हुई।
कोविड के बाद से ही राज्य में फार्मेसी की पढ़ाई को लेकर युवाओं में एक नया उत्साह देखने को मिला है। मेडिकल से जुड़े विषय फार्मेसी, नर्सिंग और फिजिओथेरेपी में नामांकन के उत्साह को भुनाने के लिए कई निजी संस्थानों ने यह कोर्स प्रारंभ किया लेकिन गुणवत्ता और मानकों की परवाह नहीं की। इसका खामियाजा युवाओं को उठाना पद रहा है। प्रशिक्षण और ज्ञान के आभाव में उनकी डिग्री किसी काम की साबित नहीं हो रही है। बगल के राज्यों में निकलने वाली नियुक्तियों में भी उन्हें मौका नहीं मिल पा रहा है।

प्रशांत जयवर्द्धन

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